Nageshwar Jyotirling : कालसर्प दोष और भय से मुक्ति का स्थान

Nageshwar Jyotirling

शिव की ऊर्जा का केंद्र – Nageshwar Jyotirling के अद्भुत रहस्य


भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों की असीम महिमा है । सभी ज्योतिर्लिंगों पर सावन के महीने और शिवरात्रि पर विशेष पूजा होती है। उनमें से एक ज्योतिर्लिंग है Nageshwar Jyotirling । 12 ज्योतिर्लिंगों में Nageshwar Jyotirling का दसवां स्थान है । Nageshwar Jyotirling भारत के गुजरात राज्य में स्थित है। यह पवित्र स्थल अरब सागर के किनारे, द्वारका और ओखा बंदरगाह के बीच के क्षेत्र में स्थित है। यह स्थान अत्यंत शांत और ऊर्जा से भरपूर स्थल है। रूद्र संहिता में शिव को ‘दारुकावन नागेशम’ के रूप में बताया गया है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस Nageshwar Jyotirling के दर्शन कर लेता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं ।

Nageshwar Jyotirling की उत्पत्ति की कथा :


पुराणों और शिव महापुराण के अनुसार, यह कथा दारुक नामक एक राक्षस से जुड़ी हुई है। एक समय की बात है, दारुक और उसकी पत्नी दारुका नामक राक्षसी ने धरती पर आतंक फैलाया हुआ था । उन्होंने समुद्र के तट पर “दारुकावन” नामक जंगल में अपना बसेरा बना लिया था। वहां वे साधु-संतों को भी तंग करने लगे। दारुक ने एक बार एक शिवभक्त व्यापारी सुप्रिय को बंदी बना लिया और उसे अपने जंगल में ले गया। सुप्रिय भगवान शिव का परम भक्त था। उसने शिव का ध्यान करते हुए “ॐ नम: शिवाय” का जप शुरू कर दिया।
उसके इस तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और प्रकट होकर उसे राक्षस के बंदीगृह से मुक्त किया। साथ ही, दारुक और उसकी सेना को नष्ट कर दिया। इस स्थान पर स्वयं शिव ने ज्योति रूप में प्रकट होकर भक्तों की रक्षा की, और यहीं Nageshwar Jyotirling की स्थापना हुई। इसलिए भगवान शिव को यहां ‘नागेश्वर’ (सर्पों के स्वामी) कहा जाता है।

Nageshwar Jyotirling का धार्मिक महत्व :


Nageshwar Jyotirling को “रक्षाकर ज्योतिर्लिंग” कहा गया है — यह भक्तों को भय और शत्रुओं से सुरक्षा देता है।
यह ज्योतिर्लिंग “काम, क्रोध, मोह, लोभ” जैसे राक्षसी भावों को नष्ट करता है और साधक को मुक्ति देता है।
यह स्थल विशेष रूप से शिव भक्तों, साधकों और ध्यानियों के लिए उपयुक्त तपस्थली माना गया है।
यहां दर्शन मात्र से नाग दोष, कालसर्प दोष, भय, कर्ज, और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
संतान प्राप्ति, रोगों से मुक्ति, और मानसिक शांति के लिए यहां पूजा की जाती है।
राक्षसी बाधाओं से मुक्ति के लिए यह स्थान अत्यंत प्रभावी माना गया है।

रहस्य और विशेषताएं :


Nageshwar Jyotirling को लेकर सबसे बड़ा रहस्य यह है कि शिवलिंग स्वयंभू (स्वतः उत्पन्न) है और इसमें एक विशेष चुम्बकीय शक्ति भी मानी जाती है।
शिवलिंग का आकार अन्य ज्योतिर्लिंगों की तुलना में थोड़ा लंबा और मोटा है, जिससे इसकी संरचना में अलग तरह की ऊर्जा का आभास होता है।
नागेश्वर मंदिर में भगवान शिव की एक विशाल प्रतिमा भी स्थापित है — जो 25 मीटर (82 फीट) ऊँची बैठी मुद्रा में है। यह विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमाओं में एक है।

नागेश्वर मंदिर का शिल्प और वास्तु :


नागेश्वर मंदिर नवीन और पारंपरिक शिल्पकला का संयोजन है।
मंदिर का रंग सफेद है, जो शांति का प्रतीक माना जाता है।
गर्भगृह में ‘नागेश्वर’ शिवलिंग स्थित है, जो गहरे पत्थर से निर्मित है।
प्रवेश द्वार विशाल है, और मंदिर परिसर में भव्य नंदी मूर्ति और शेषनाग से सुशोभित आकाश छत बनी है।
शिवलिंग के चारों ओर भित्तिचित्र और मूर्तियों से सजी सजावट है, जो शिव महिमा का चित्रण करती हैं।

नागेश्वर कैसे पहुंचे? 

  • रेल मार्ग :
    नजदीकी रेलवे स्टेशन: द्वारका रेलवे स्टेशन (लगभग 18 किमी दूर)
    द्वारका भारत के कई बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है।
  • सड़क मार्ग :
    द्वारका से नागेश्वर के लिए प्राइवेट टैक्सी, ऑटो और लोकल बसें उपलब्ध हैं।
    द्वारका से मंदिर तक का रास्ता समुद्र के किनारे से जाता है — यात्रा अत्यंत मनोरम है।
  • वायुमार्ग :
    निकटतम हवाई अड्डा: जामनगर एयरपोर्ट (लगभग 137 किमी)
    जामनगर से टैक्सी या बस से द्वारका पहुँचा जा सकता है।
  • सटीक स्थान :
    नागेश्वर महादेव मंदिर, नागेश्वर रोड, द्वारका, जिला देवभूमि द्वारका
  • स्थान की विशेष जानकारी :
    यह स्थान द्वारका शहर से लगभग 18 किलोमीटर दूर है।
    मंदिर गुजरात के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित है।
    अगर आप द्वारका जाते हैं तो द्वारकाधीश मंदिर, बेत द्वारका, और रुक्मिणी मंदिर के दर्शन करना भी न भूलें। ये सभी स्थल आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पूजनीय हैं।

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