ललिता सप्तमी 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, ललिता सप्तमी 2025 (Lalita Saptami)का पर्व 30 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। यह तिथि 29 अगस्त 2025 को रात 08:22 बजे से शुरू होकर 30 अगस्त को रात्रि 10:46 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत और पूजा 30 अगस्त 2025 को ही की जाएगी।
देवी ललिता कौन हैं?
देवी ललिता जी को राधा रानी की प्रिय सखी माना जाता है। मान्यता है कि वे भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक थीं और उनका संपूर्ण जीवन राधा-कृष्ण की भक्ति और सेवा में ही समर्पित रहा। यही कारण है कि ललिता सप्तमी (Lalita Saptami)का पर्व विशेष रूप से भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।
Bhakti Uday Bharat एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म को आधुनिक युग की भाषा में जन-जन तक पहुँचाता है। प्रदीप डाबास का मानना है कि:
“भक्ति को सिर्फ़ सुनने या पढ़ने का विषय नहीं, बल्कि जीने का माध्यम बनाना चाहिए।”
इसी भाव से हम ललिता सप्तमी (Lalita Saptami)जैसे पर्वों की दिव्यता आप तक पहुँचाते हैं।
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ललिता सप्तमी का महत्व
- यह पर्व राधा अष्टमी से एक दिन पहले आता है।
- इसे संतान सप्तमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए व्रत से संतान सुख की बाधाएं दूर होती हैं।
- नवविवाहित जोड़ों के लिए यह व्रत वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाता है।
- ललिता देवी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, सौभाग्य और मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
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ललिता सप्तमी पर पूजा विधि
- प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर में पूजा स्थान पर कलश स्थापित करें, उस पर आम्रपल्लव व श्रीफल रखें।
- धूप-दीप, चंदन, अक्षत, रोली, फल-फूल, मिष्ठान अर्पित करें।
- देवी ललिता के साथ राधा-कृष्ण की विशेष पूजा करें।
- इस दिन आटे और गुड़ से बने 7 पुए माता को भोग में अर्पित करना विशेष फलदायी माना गया है।
- संतान सप्तमी व्रत की कथा सुनें और माता-पिता शिव-पार्वती की भी पूजा करें।
यही कारण है कि यह पर्व भक्ति और अध्यात्म को गहराई से जोड़ता है। हनुमान अष्टक के लाभ (Hanuman Ashtak Benefits) की तरह, यह व्रत भी साधक की इच्छाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है।
जब आप ललिता सप्तमी 2025 (Lalita Saptami) पर प्रातःकाल उठकर श्रद्धा से पूजा करते हैं, तो आपका मन तुरंत शांति और आनंद से भर जाता है। आप देवी ललिता के सामने दीप जलाते हैं और मन ही मन राधा-कृष्ण के चरणों में अपने जीवन की सभी इच्छाएँ समर्पित कर देते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से न केवल आपका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है, बल्कि संतान सुख की बाधाएँ भी दूर हो जाती हैं।
ललिता सप्तमी व्रत का फल
- व्रत करने से मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
- वैवाहिक जीवन सुखमय और समृद्ध बनता है।
- संतान प्राप्ति में आ रही सभी बाधाएं समाप्त होती हैं।
- भक्ति भाव से पूजा करने वाले को कृष्ण-राधा का स्नेह और आशीर्वाद मिलता है।
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी को वृंदावन की गलियों में भक्ति का रंग छा जाता है। राधा-कृष्ण की प्रिय सखी ललिता जी की स्मृति में भक्त विशेष पूजा करते हैं। एक नवविवाहित दंपत्ति ने श्रद्धा से ललिता सप्तमी 2025 (Lalita Saptami) का व्रत रखा और मान्यता के अनुसार उन्हें वैवाहिक जीवन में सुख और संतान का आशीर्वाद मिला। यह कथा आज भी भक्तों को विश्वास दिलाती है कि देवी ललिता की भक्ति सब बाधाओं को दूर कर देती है।
निष्कर्ष
ललिता सप्तमी 2025 न सिर्फ़ एक धार्मिक पर्व है, बल्कि भक्ति, प्रेम और समर्पण का उत्सव भी है। राधा-कृष्ण की परम सखी देवी ललिता का यह दिन हर साधक के लिए प्रेरणादायी माना जाता है। इस दिन विधिवत पूजा और व्रत रखने से सौभाग्य, संतान सुख और वैवाहिक जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।
भक्ति का यह मार्ग केवल परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि आज भी हर उस व्यक्ति के जीवन में प्रकाश फैलाता है जो श्रद्धा और प्रेम से देवी-देवताओं की पूजा करता है।