चंद्र देव की आरती – Chandra Dev Ki Aarti

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चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) (ॐ जय सोम देवा) विशेष रूप से चंद्र देव की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए की जाती है। इसे नियमित रूप से करने से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) के शब्द (Lyrics)

चंद्र देव की आरती(Chandra Dev Ki Aarti) का महत्व

  • सकारात्मक ऊर्जा: इस आरती का पाठ करने से घर और मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • संपत्ति और समृद्धि: चंद्र देव धन, वैभव और समृद्धि के देवता माने जाते हैं।
  • मानसिक शांति: विशेषकर पूर्णिमा और सोमवार के दिन पढ़ने से मानसिक संतुलन और शांति मिलती है।

आप अपने घर के आंगन में बैठकर चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  कर रहे हैं। आपकी आँखों में आस्था और मन में शांति है। जैसे ही आप ‘ॐ जय सोम देवा’ मंत्र पढ़ते हैं, लगता है कि चंद्रमा की शीतल रौशनी सीधे आपके मन और घर में उतर रही है। हर दुख दूर हो रहा है, और जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव हो रहा है। यह चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) आपके लिए एक दिव्य अनुभव बन गई है।

चंद्र देव की पूजा विधि

  1. स्थान और समय: स्वच्छ स्थान पर पूजा करें, ideally सोमवार या पूर्णिमा के दिन।
  2. सामग्री: दीपक, जल, दूध, पुष्प और धूप का उपयोग करें।
  3. आरती पाठ: ऊपर दिए गए मंत्र को ध्यानपूर्वक और प्रेम भाव से पढ़ें।
  4. भक्ति भाव: मन को शांत करके चंद्र देव की उपासना करें।

आप चंद्र देव आरती के साथ श्री राम स्तुति (shri ram stuti lyrics) भी पढ़ सकते हैं, जो भक्ति भाव को और प्रबल बनाती है।

जब आप चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) करते हैं, तो ध्यान दें कि हर शब्द प्रेम और श्रद्धा से भरा हो। आप महसूस करेंगे कि आपका मन धीरे-धीरे शांत हो रहा है और जीवन में सुख और शांति का प्रवेश हो रहा है। यह आरती न सिर्फ़ आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है, बल्कि आपके मन की नकारात्मकता को भी दूर करती है। चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) आपके लिए हर संकट को आसान बना देती है।

चंद्र देव आरती के लाभ

  • संकटमोचन: दुखों और संकटों को दूर करने में मदद।
  • धन और वैभव: वित्तीय और पारिवारिक समृद्धि।
  • सुख और शांति: मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन।

पाठकों के लिए अतिरिक्त जानकारी: चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) को श्री बांकें बिहारी जी की आरती (Shri Banke Bihari ji ki Aarti) के साथ भी पढ़ा जा सकता है।

 चंद्र देव से संबंधित अन्य जानकारी

  • चंद्र ग्रहण और पूजा: चंद्र ग्रहण के दिन विशेष रूप से यह आरती करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
  • अवसर: शरद पूर्णिमा, सोमवार, और अन्य धार्मिक उत्सव।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

चंद्र भगवान की आरती कैसे गाते हैं

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  इस प्रकार की जाती है:
स्थान और तैयारी: साफ-सुथरे स्थान पर पूजा की थाली रखें। दीपक, धूप, फूल, जल और प्रसाद तैयार करें।
स्नान और शुद्धि: आरती से पहले हाथ-पांव धोकर शुद्ध मन से देव का ध्यान करें।
आरती शुरू करना: दीपक जलाकर चंद्र देव के सामने रखें। आरती गाते समय “जय चंद्र देव, शशिनाथ…” जैसे स्तुति गीत या आरती का पाठ करें।
प्रसाद अर्पित करना: आरती के बाद फूल, अक्षत और जल चंद्र देव को अर्पित करें।
संकल्प और प्रार्थना: मनोकामना और स्वास्थ्य, सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) करते समय क्या बोलना चाहिए

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) करते समय आप मुख्य रूप से संतुलित और भक्ति भाव से स्तुति वाले शब्द बोलते हैं। सामान्यतः इस प्रकार कहते हैं:
आरती का प्रारंभ:
“जय चंद्र देव, शशिनाथ, जय जय चंद्र देव…”
“जय सोमनाथ, अमोघ कृपालु, आनंदकारी चंद्र देव…”
स्तुति और भक्ति भाव:
चंद्र देव के सौंदर्य, शांति और कृपा का वर्णन करें।
जैसे: “शीतल चंद्रमण्डल, दुख निवारक, स्वास्थ्य दाता।”
आरती के दौरान मंत्र जाप:
“ॐ चन्द्राय नमः”
“सोम सोम सोमाय नमः”
अंत में प्रार्थना:
देव से स्वास्थ्य, सुख-शांति, और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगे।
थाली में दीपक घुमाते हुए या जल अर्पित करते समय मन में अपनी इच्छाओं का संकल्प करें।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  कब नहीं करनी चाहिए

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  कुछ विशेष परिस्थितियों में नहीं करनी चाहिए। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
रजस्वला महिलाओं के लिए – पूजा के दौरान menstruation में आरती वर्जित मानी जाती है।
रात्रि के अत्यंत बाद समय – आधी रात के बाद चंद्र आरती नहीं करनी चाहिए।
अस्वच्छ स्थान पर – गंदगी या अव्यवस्था वाले स्थान पर पूजा करना उचित नहीं है।
असुरक्षित मानसिक स्थिति – क्रोध, नकारात्मक भाव या अशांति के समय आरती करने से फल नहीं मिलता।
खाली हाथ या बिना सामग्री – दीपक, जल, फूल आदि के बिना आरती करना अनुचित माना जाता है।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) के बाद जल क्यों घुमाया जाता है

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) के बाद जल (पानी) घुमाने की परंपरा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है:
शुद्धिकरण – जल घुमाने से न केवल पूजा की थाली और स्थान शुद्ध होता है, बल्कि मन और वातावरण भी पवित्र बनता है।
चंद्र देव की कृपा – चंद्र देव को जल अर्पित करने से उनके आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह – जल को थाली या हाथ में घुमाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा फैलती है।
मनोकामना पूर्ण होने की प्रथा – जल अर्पित करते समय मन में इच्छाओं का संकल्प करने से चंद्र देव उनकी पूर्ति में मदद करते हैं।
प्रकृति के तत्वों का सम्मान – जल को घुमाकर सूर्य और चंद्र जैसी प्राकृतिक शक्तियों का सम्मान किया जाता है।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) कितनी बार घुमानी चाहिए

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti) के बाद जल या दीपक घुमाने की परंपरा का पालन संख्या और विधि के अनुसार किया जाता है:
दीपक घुमाना – आमतौर पर दीपक को एक बार या तीन बार देव के चारों ओर घुमाया जाता है।
जल अर्पित करना – जल को घुमाने की संख्या 3, 5 या 7 बार होती है, यह परिवार या परंपरा पर निर्भर करता है।
मंत्र जाप के साथ – प्रत्येक चक्कर में “ॐ चन्द्राय नमः” या आरती का कोई मंत्र जपते हुए घुमाना शुभ माना जाता है।
सकारात्मक ऊर्जा – इन चक्रों के दौरान ध्यान और भक्ति भाव बनाए रखना महत्वपूर्ण है, जिससे आरती का फल अधिक मिलता है।

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  के ब्लॉग का निष्कर्ष

चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है जो आपके जीवन में शांति, सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाता है। नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से न केवल आपके मन और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है, बल्कि यह आपके धार्मिक भक्ति भाव को भी प्रबल करता है

चंद्र देव की कृपा पाने के लिए इस आरती को प्रेम और श्रद्धा के साथ करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आप इसे श्री राम स्तुति या श्री बांकें बिहारी जी की आरती के साथ भी पढ़ सकते हैं, जिससे आपकी भक्ति और आध्यात्मिक अनुभव और गहरा हो जाएगा।

अतः, चाहे आप संकटमोचन, धन-वैभव या मानसिक शांति के लिए इसे करें, चंद्र देव की आरती (Chandra Dev Ki Aarti)  हमेशा आपके जीवन में उजाला और सुख-समृद्धि लाती रहेगी।

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