सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata ), माँ दुर्गा का नौवां स्वरूप हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है। ‘सिद्धि’ का अर्थ है अलौकिक शक्ति और पूर्णता, और ‘दात्री’ का अर्थ है देने वाली। वे भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ, ज्ञान, भौतिक सुख और मोक्ष प्रदान करती हैं।
सिद्धिदात्री माता का स्वरूप और विशेषताएँ
सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata ) का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सुशोभित है:
- चार भुजाएँ: देवी के चार हाथ होते हैं।
- अस्त्र-शस्त्र: एक हाथ में शंख, दूसरे में चक्र, तीसरे में गदा और चौथे में कमल का फूल।
- वाहन: वे सिंह की सवारी करती हैं और कमल पुष्प पर भी विराजमान होती हैं।
मान्यताओं के अनुसार, सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata ) अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों, भौतिक सुख-संपत्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए मार्गदर्शन देती हैं।

सिद्धिदात्री माता की पूजा विधि (Siddhidatri Mata Puja Vidhi)
नवमी के दिन पूजा करने के लिए:
- सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
- घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें और मां सिद्धिदात्री की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- दीपक, अगरबत्ती और पुष्प अर्पित करें।
- श्रद्धा भाव से भोग अर्पित करें।
- मंत्रों का जाप करें और ध्यान केंद्रित करें।
- अंत में आरती उतारें और प्रसाद वितरित करें।
नवमी के दिन शारदीय नवरात्रि 2025 यह जान लेना भी शुभ होता है, ताकि पूजा सही समय पर की जा सके।
आप भी इस नवरात्रि पर सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata ) की पूजा कर सकते हैं। अपने घर के पूजा स्थल को स्वच्छ करें, दीपक और पुष्प अर्पित करें। मंत्रों का जाप करते हुए आप महसूस करेंगे कि आपकी मनोकामनाएँ धीरे-धीरे पूरी हो रही हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है।
सिद्धिदात्री माता का भोग (Siddhidatri Mata ka Bhog)
सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata ) को तिल और मेवे से बने व्यंजनों का भोग लगाने का विशेष महत्व है। इसके अलावा, खीर, पूड़ी, हलवा, चना, नारियल और मौसमी फल भी अर्पित किए जाते हैं।
सिद्धिदात्री माता के मंत्र (Maa Siddhidatri Mantra)
- बीज मंत्र: ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
- स्तुति मंत्र: स्तुति मंत्र या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
मंत्रों का जाप करने से मन की शुद्धि होती है और भक्तों को सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
सिद्धिदात्री माता का शुभ रंग
नवरात्रि की नवमी तिथि पर बैंगनी या जामुनी रंग पहनना शुभ माना जाता है। यह रंग मां के दिव्य स्वरूप और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।
सिद्धिदात्री माता की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, असुरों के अत्याचार से देवता परेशान हो गए। उन्होंने भगवान शिव और विष्णु से मदद मांगी। देवताओं के तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ, जिसे मां सिद्धिदात्री कहा गया।
भगवान शंकर ने सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata ) की कृपा से सभी सिद्धियाँ प्राप्त कीं। सिद्धिदात्री देवी की कृपा से शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था, इसी कारण शिव अर्द्धनारीश्वर के रूप में प्रसिद्ध हुए।
माँ ब्रह्मचारिणी की कथा भी नवदुर्गा में महत्वपूर्ण है, जिससे आप पूरी नवरात्रि की शक्ति समझ सकते हैं।
एक छोटे गाँव में पूजा करने वाला बच्चा अपनी नन्हीं श्रद्धा से सिद्धिदात्री माता (Siddhidatri Mata ) को दीपक अर्पित करता है। उसके मन की सच्ची भक्ति से मां ने उसे अचानक ज्ञान और आत्म-विश्वास की दिव्य शक्ति दी। अब वह बच्चा न केवल गाँव में सम्मानित है, बल्कि दूसरों की मदद करके सभी को सिद्धि की राह दिखाता है।
निष्कर्ष
मां सिद्धिदात्री का आराधन करने से न केवल सिद्धियाँ और भौतिक सुख मिलते हैं, बल्कि मन की शांति और आत्मिक विकास भी होता है। इस चैत्र नवरात्रि पर नवमी के दिन उनकी पूजा विधि, भोग, मंत्र और कथा का पालन करके आप अपने जीवन में दिव्यता और सकारात्मकता ला सकते हैं।