श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) – पाठ, महत्व और लाभ

भगवान शिव को त्रिदेवों में संहारक की उपाधि प्राप्त है। वे केवल संहारक ही नहीं बल्कि करुणा, दया और प्रेम के प्रतीक भी हैं। भक्त उन्हें भोलेनाथ कहते हैं क्योंकि वे अपने भक्तों की प्रार्थना से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) उन्हीं की स्तुति का अत्यंत पवित्र ग्रंथ है। इसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से उनके स्वरूप, गुण, शक्ति और कृपा का वर्णन है।

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का नियमित पाठ करने से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं, मन में सकारात्मकता आती है और भक्त को भक्ति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Bhakti Uday Bharat का उद्देश्य भी यही है कि भारतीय अध्यात्म और भक्ति को आधुनिक समय की भाषा में प्रस्तुत किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।

श्री शिव चालीसा

श्री शिव चालीसा का पूरा पाठ

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥

॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥

श्री शिव चालीसा का इतिहास और उत्पत्ति

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) की रचना संत तुलसीदास जी के शिष्य अयोध्यादास जी ने की थी। इसका उद्देश्य था – साधारण भक्तों को भी सरल भाषा में भगवान शिव की महिमा का अनुभव कराना। वेद और पुराण में वर्णित जटिल श्लोकों को सरल चौपाइयों में ढालकर, हर भक्त के लिए भगवान तक पहुँचने का रास्ता खोला गया।

कहा जाता है कि जब संत अयोध्यादास ने गहन तपस्या के बाद भोलेनाथ का ध्यान किया, तब उन्हें श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) की चौपाइयाँ सूझीं। तभी से यह भक्तों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो गई।

श्री शिव चालीसा का पाठ कब करें?

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन विशेष समय और दिन अधिक फलदायी माने जाते हैं:

  1. सोमवार – यह दिन भगवान शिव को समर्पित है।
  2. श्रावण मास – पूरे महीने शिव भक्ति का माहौल रहता है।
  3. महाशिवरात्रि – इस दिन श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa)  का पाठ करने से विशेष कृपा मिलती है।
  4. त्रयोदशी तिथि – शिव पूजा के लिए अत्यंत शुभ दिन।
  5. सुबह और संध्या काल – जब वातावरण शांत हो और मन एकाग्र किया जा सके।

श्री शिव चालीसा पाठ के नियम और विधि

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) पढ़ने के लिए किसी बड़ी व्यवस्था की आवश्यकता नहीं है, बस श्रद्धा और भक्ति सबसे महत्वपूर्ण हैं। फिर भी कुछ नियम माने जाते हैं:

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • दीपक और धूप जलाकर वातावरण को पवित्र बनाएं।
  • “ॐ नमः शिवाय” का जप करते हुए श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का पाठ करें।
  • श्रद्धा अनुसार 3, 5, 7 या 11 बार पाठ करना उत्तम है।
  • अंत में भगवान को जल, बिल्वपत्र और प्रसाद अर्पित करें।

श्री शिव चालीसा का महत्व

  1. श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) के प्रत्येक श्लोक में जीवन के गूढ़ रहस्य छिपे हैं।
  2. इसका पाठ साधक को कठिनाइयों और दुखों से उबारता है।
  3. मानसिक शांति और आत्मिक बल प्रदान करता है।
  4. रोग, शोक और संकट से मुक्ति दिलाता है।
  5. भक्ति मार्ग पर चलने वाले को मोक्ष प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है।

श्री शिव चालीसा के लाभ

  1. संकट से मुक्ति – चाहे आर्थिक हो, स्वास्थ्य संबंधी या पारिवारिक समस्या, श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) पढ़ने से मार्ग मिलता है।
  2. पारिवारिक सुख-शांति – गृहस्थ जीवन में समरसता आती है।
  3. रोग निवारण – लगातार बीमारियों से जूझ रहे व्यक्ति के लिए यह संजीवनी है।
  4. व्यापार और करियर में सफलता – नई ऊर्जा और अवसर मिलते हैं।
  5. मानसिक शांति और ध्यान – अवसाद, चिंता और तनाव कम होता है।
  6. आध्यात्मिक उन्नति – मनुष्य आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
  7. भूत-प्रेत बाधा से रक्षा – मान्यता है कि श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का पाठ नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है।
  8. लंबी आयु और अकाल मृत्यु से रक्षा – भगवान शिव का आशीर्वाद साधक को जीवनभर सुरक्षा देता है।

अगर आप जीवन की समस्याओं से परेशान हैं, तो शिव चालीसा का पाठ आपके लिए संजीवनी साबित हो सकता है। जब आप ध्यानपूर्वक इसकी चौपाइयों का उच्चारण करेंगे, तो मन की बेचैनी धीरे-धीरे दूर होने लगेगी। आपको लगेगा जैसे भोलेनाथ स्वयं आपकी रक्षा कर रहे हैं। नियमित रूप से इसका पाठ करने पर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे।

श्री शिव चालीसा और विज्ञान

आधुनिक विज्ञान की दृष्टि से भी मंत्रों और स्तोत्रों का उच्चारण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।

  • श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) पढ़ते समय “ॐ” ध्वनि का बार-बार उच्चारण मस्तिष्क में सकारात्मक कंपन उत्पन्न करता है।
  • इससे तनाव हार्मोन (Cortisol) कम होता है और मानसिक स्थिरता आती है।
  • नियमित जप करने वालों में इम्यूनिटी और मानसिक शक्ति बेहतर पाई जाती है।

श्री शिव चालीसा से जुड़ी कथा

वाराणसी के एक छोटे गाँव की कथा है। वहाँ एक वृद्ध साधक हर सुबह मंदिर में श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का पाठ करते थे। धीरे-धीरे गाँव के लोग भी उनके साथ जुड़ने लगे। कहते हैं कि पाठ के प्रभाव से गाँव में शांति और समृद्धि फैल गई। लोग मानते हैं कि श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) की शक्ति ने गाँव की किस्मत बदल दी।

श्री शिव चालीसा और अन्य स्तोत्र

यदि आप शिव भक्ति को और गहरा करना चाहते हैं, तो निम्न स्तोत्र भी पढ़ सकते हैं:

  • शिव पंचाक्षर स्तोत्र – “ॐ नमः शिवाय” की महिमा का गान।
  • शिव महिम्न स्तोत्र – भगवान शिव की महानता का विस्तृत वर्णन।
  • शिव तांडव स्तोत्र – रावण द्वारा रचित शिव का अद्भुत स्तोत्र।
  • शिव के 108 नाम – भगवान के प्रत्येक नाम का अपना महत्व।

आप यहाँ भगवान शिव के 108 नाम (bhagwan shiv ke 108 naam) पढ़ सकते हैं।

आधुनिक जीवन में श्री शिव चालीसा का महत्व

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई तनाव, चिंता और असुरक्षा से जूझ रहा है। ऐसे में श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का पाठ मानसिक शांति और सकारात्मक सोच लाता है।

  • यह मेडिटेशन का आसान तरीका है।
  • रोज़ 10–15 मिनट का पाठ दिनभर की थकान मिटा देता है।

यह आध्यात्मिक काउंसलिंग की तरह काम करता है, जहाँ व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति को पहचानता है।

श्री शिव चालीसा से जुड़े सवाल (FAQs)

श्री शिव चालीसा के पाठ से क्या लाभ मिलते हैं

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) के नियमित पाठ से भक्त को जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यह कठिनाइयों और संकटों से मुक्ति दिलाता है और घर-परिवार में सुख-शांति स्थापित करता है।
इसका पाठ मन को स्थिर करता है, तनाव कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। व्यापार, नौकरी और करियर में सफलता के अवसर बढ़ते हैं।
श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) रोग, अकाल मृत्यु और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करता है। साथ ही साधक को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है।
संक्षेप में, इसका पाठ जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और भगवान शिव का आशीर्वाद लाता है।

श्री शिव चालीसा का पाठ करने से क्या फल मिलता है

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का पाठ करने से भक्त को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह पापों का नाश करता है और जीवन के सभी संकटों से मुक्ति दिलाता है।
इसके नियमित पाठ से मानसिक शांति, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। परिवार में सुख-समृद्धि आती है और व्यापार या नौकरी में सफलता के द्वार खुलते हैं।
श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) रोग, भय और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है और साधक को आध्यात्मिक उन्नति व मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करता है।

श्री शिव चालीसा कब पढ़ना है

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सुबह स्नान करके और संध्या के समय इसका पाठ अधिक फलदायी माना जाता है। सोमवार और श्रावण मास में इसका पाठ विशेष लाभकारी होता है।
महाशिवरात्रि और प्रदोष व्रत के दिन भी श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) पढ़ना शुभ फल देता है। श्रद्धा और भक्ति के साथ नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

श्री शिव चालीसा का क्या शक्ति है

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) में भगवान शिव की महिमा, स्वरूप और कृपा का वर्णन है। इसकी शक्ति ऐसी है कि यह साधक के मन को शांति देती है और उसे नकारात्मक विचारों से मुक्त करती है।
नियमित पाठ करने से मानसिक संतुलन, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक बल बढ़ता है। यह रोग, भय और संकट को दूर करने की दिव्य शक्ति रखती है और भक्त को जीवन में सुख-समृद्धि और सुरक्षा प्रदान करती है।

श्री शिव चालीसा के रचयिता कौन हैं

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) के रचयिता कवि अयोध्या दास जी माने जाते हैं। उन्होंने भक्तिभाव से भगवान शिव की स्तुति करते हुए इस चालीसा की रचना की। 40 चौपाइयों में शिवजी के स्वरूप, गुण, लीलाओं और उनकी कृपा का सुंदर वर्णन मिलता है। भक्तजन मानते हैं कि अयोध्या दास जी ने इसे साधना और लोककल्याण के भाव से लिखा था, ताकि हर कोई भोलेनाथ की महिमा का पाठ कर सके।

श्री शिव चालीसा के ब्लॉग का निष्कर्ष

श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa) केवल चौपाइयों का संग्रह नहीं, बल्कि भगवान शिव से जुड़ने का साधन है। इसका पाठ साधक को हर संकट से उबारता है और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

जो भी श्रद्धा और भक्ति से श्री शिव चालीसा (Shri Shiv Chalisa का पाठ करता है, उसे भोलेनाथ की कृपा अवश्य मिलती है।

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