श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) का अर्थ यह नहीं कि राधा रानी पर व्यंग्य किया गया है। वास्तव में यह “श्री राधा कृपा कटाक्ष” नामक दिव्य स्तोत्र है, जिसमें भक्त अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए श्री राधा रानी से कृपा दृष्टि की याचना करता है। इस स्तोत्र में भक्त देवी से करुणा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करता है।

श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) – स्तोत्र का महत्व
राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की अर्धांगिनी शक्ति और आत्मा मानी जाती हैं। यह स्तोत्र भक्त के जीवन में प्रेम, भक्ति, मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास लाने का मार्ग दिखाता है।
स्तोत्र का उद्देश्य
- राधा रानी की कृपा प्राप्त करना
- कर्मों के बंधनों से मुक्ति पाना
- कृष्ण मंडल में प्रवेश की प्राप्ति
- जीवन में मानसिक शांति और समृद्धि
यदि आप (धनतेरस पूजा) Dhanteras Puja के अवसर पर इस स्तोत्र का पाठ करें, तो इसका प्रभाव और भी अधिक माना जाता है।
श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) – श्लोक
मुनीन्द्रवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,
प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी ।
व्रजेन्द्रभानुनन्दिनी व्रजेन्द्र सूनुसंगते,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१॥
अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते,
प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले ।
वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥२॥
अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां,
सुविभ्रम ससम्भ्रम दृगन्तबाणपातनैः ।
निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥३॥
तड़ित्सुवणचम्पक प्रदीप्तगौरविगहे,
मुखप्रभापरास्त-कोटिशारदेन्दुमण्ङले ।
विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशावलोचने,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥४॥
मदोन्मदातियौवने प्रमोद मानमणि्ते,
प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते ।
अनन्यधन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥५॥
अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते,
प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी ।
प्रशस्तमंदहास्यचूणपूणसौख्यसागरे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥६॥
मृणालबालवल्लरी तरंगरंगदोलते,
लतागलास्यलोलनील लोचनावलोकने ।
ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रये,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥७॥
सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेखकम्बुकण्ठगे,
त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्तिदीधिअति ।
सलोलनीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥८॥
नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण,
प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले ।
करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥९॥
अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्,
समाजराजहंसवंश निक्वणातिग ।
विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारूचं कमे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥१०॥
अनन्तकोटिविष्णुलोक नमपदमजाचिते,
हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे ।
अपारसिदिवृदिदिग्ध -सत्पदांगुलीनखे,
कदा करिष्यसीह माँ कृपाकटाक्ष भाजनम् ॥११॥
मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी,
त्रिवेदभारतीयश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी ।
रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी,
ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते ॥१२॥
इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी,
करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम् ।
भवेत्तादैव संचित-त्रिरूपकमनाशनं,
लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डलप्रवेशनम् ॥१३॥
राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः ।
एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥१४॥
यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः ।
राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥१५॥
ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके ।
राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥१६॥
तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् ।
ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥१७॥
तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् ।
येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥१८॥
नित्यलीला–प्रवेशं च ददाति श्री-व्रजाधिपः ।
अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥१९॥
॥ इति श्रीमदूर्ध्वाम्नाये श्रीराधिकायाः कृपाकटाक्षस्तोत्रं सम्पूर्णम ॥
श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) – लाभ
- जीवन में सुख-शांति और मानसिक संतुलन
- सभी सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति
- प्रेम और भक्ति में वृद्धि
- कर्मों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति
यदि आप श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) के साथ नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करेंगे, तो लाभ और भी अधिक माना जाता है।
राधा रानी के श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) स्तोत्र का पाठ कर रही एक भक्त ने अनुभव किया कि उसका मन पहले से अधिक शांत और प्रसन्न हो गया। घर में सुख-शांति की वायु बहने लगी और सभी रिश्तों में मधुरता आई। जैसे ही उसने स्तोत्र पढ़ा, उसका दिल प्रेम और भक्ति से भर गया। यह अनुभव दर्शाता है कि राधा रानी की कृपा वास्तव में जीवन बदल सकती है।
श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) के पाठ विधि
- इस स्तोत्र को दिन में 1–2 बार पढ़ा जा सकता है
- विशेष अवसर: राधाष्टमी, पूर्णिमा, अष्टमी, एकादशी और त्रयोदशी
- भक्त को शुद्ध हृदय से पाठ करना चाहिए
आप जब श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) स्तोत्र का पाठ करेंगे, तो महसूस करेंगे कि आपका मन हल्का और प्रसन्न हो गया है। हर श्लोक आपके हृदय में प्रेम और भक्ति की गूंज पैदा करता है। जैसे ही आप इसे नित्य पढ़ते हैं, राधा रानी की कृपा आपके जीवन के हर क्षण में महसूस होने लगेगी।
भक्तों के अनुभव
बहुत से भक्तों ने अनुभव किया है कि श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) के नियमित पाठ से जीवन में अद्भुत परिवर्तन आते हैं। जीवन की परेशानियाँ कम होती हैं और मन को स्थायी शांति प्राप्त होती है।
श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) से जुड़े सवाल (FAQs)
श्री राधा कृपा कटाक्ष स्त्रोत्र का अर्थ क्या है
श्री राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र का अर्थ है – राधा रानी की कृपा दृष्टि की प्रार्थना करने वाला स्तोत्र। इसमें भक्त राधा रानी से करुणा, प्रेम और आशीर्वाद की विनती करता है। यह स्तोत्र जीवन में भक्ति, शांति और आनंद लाने के लिए पढ़ा जाता है। इसका उद्देश्य राधा रानी की कृपा प्राप्त करना, सांसारिक बंधनों से मुक्ति पाना और श्रीकृष्ण प्रेम में वृद्धि करना है।
राधा राधा और राधे राधे में क्या अंतर है
दोनों ही नाम श्री राधा रानी के लिए प्रेम और भक्ति से लिए जाते हैं। “राधा राधा” का उच्चारण सामान्य रूप से होता है, जबकि “राधे राधे” अधिक आत्मीय और स्नेहपूर्ण संबोधन है। भक्त लोग एक-दूसरे का अभिवादन भी “राधे राधे” कहकर करते हैं, जिससे भक्ति और प्रेम का भाव प्रकट होता है।
दो बार राधे राधे कहने से क्या होता है
जब भक्त प्रेम से दो बार “राधे राधे” कहता है, तो उसका मन तुरंत भक्ति-भाव से भर जाता है। माना जाता है कि यह जप मन की अशांति को दूर करता है, आत्मा को शांति देता है और वातावरण को पवित्र बनाता है। यह राधा रानी और श्रीकृष्ण दोनों का स्मरण कराता है और उनके आशीर्वाद को आकर्षित करता है।
राधे राधे शब्द की क्या शक्ति है
“राधे राधे” शब्द में अपार आध्यात्मिक शक्ति है। यह नाम स्मरण करते ही मन में प्रेम और शांति का संचार होता है। माना जाता है कि “राधे राधे” जप से नकारात्मकता दूर होती है, हृदय में भक्ति का जागरण होता है और जीवन में सौभाग्य व सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह शब्द हर बार उच्चारण पर राधा-कृष्ण की कृपा को आकर्षित करता है।
राधा राधा नाम जपने से क्या होता है
“राधा राधा” नाम जपने से मन में शांति आती है और हृदय भक्ति से भर जाता है। यह जप नकारात्मक विचारों को दूर करता है, रिश्तों में मधुरता लाता है और जीवन में प्रेम, सुख और आध्यात्मिक आनंद का संचार करता है। माना जाता है कि इसका निरंतर स्मरण राधा रानी की कृपा को आकर्षित करता है।
श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) के ब्लॉग का निष्कर्ष
श्री राधा की कृपा व्यंग्य (shri radha kripa kataksh) वास्तव में आपके जीवन में आध्यात्मिक और मानसिक संतुलन लाने वाला स्तोत्र है। इसे नियमित रूप से पढ़ना और भक्ति भाव से स्मरण करना अत्यंत आवश्यक है। आप पत्नी के लिए धनतेरस उपहार(Dhanteras Gift for Wife) जैसे अवसरों पर इस स्तोत्र के महत्व को समझकर अपने परिवार और प्रियजनों के लिए भी आध्यात्मिक वातावरण बना सकते हैं।