भगवान शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे कर्मों के आधार पर फल देने वाले देवता हैं और शनिदेव की कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भक्त शनिवार के दिन विशेष रूप से श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करते हैं। इस आरती का पाठ करने से शनि दोष शांत होता है और भक्त के जीवन से कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
श्री शनि देव की आरती (Shani Dev Aarti Lyrics in Hindi)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

श्री शनि देव की आरती का महत्व
- शनि दोष और साढ़े साती से राहत मिलती है
- कार्यों में सफलता और स्थिरता आती है
- परिवार में शांति और सुख-समृद्धि का वास होता है
- मानसिक तनाव और भय दूर होते हैं
जैसे चंद्र देव की आरती (chandr dev ki aarti) करने से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है, वैसे ही शनि देव की आरती से जीवन संतुलित और सुखमय बनता है।
“एक व्यापारी के जीवन में लगातार कठिनाइयाँ आ रही थीं। उसे कोई काम स्थिरता से सफल नहीं हो रहा था। किसी ने उसे शनिवार को श्रद्धा से श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करने की सलाह दी। उसने नियम से आरती करना शुरू किया। कुछ ही महीनों में उसके जीवन में बदलाव आया—उसके कार्य सफल होने लगे और परिवार में शांति लौट आई। यह अनुभव उसके विश्वास को और मजबूत कर गया।”
श्री शनि देव की आरती करने की विधि
- शनिवार के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- शनि देव की प्रतिमा या चित्र के सामने तिल का तेल और दीपक जलाएँ।
- उड़द दाल, काला तिल, और लोहे का दान करें।
- श्रद्धा भाव से श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) का पाठ करें।
- अंत में “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप करें।
“जब आप शनिवार की सुबह तिल के दीपक के सामने बैठकर श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) पढ़ते हैं, तो आप भीतर से शांति और सुरक्षा का अनुभव करते हैं। यह एहसास आपको यह विश्वास दिलाता है कि शनिदेव आपकी हर बाधा दूर कर रहे हैं। धीरे-धीरे आप देखेंगे कि आपका आत्मविश्वास और सफलता दोनों बढ़ने लगे हैं।”
श्री शनि देव की आरती के लाभ
- शत्रु पर विजय मिलती है
- नौकरी और व्यवसाय में सफलता आती है
- दाम्पत्य जीवन में सुख और स्थिरता बढ़ती है
- बाधाएँ और संकट स्वतः दूर हो जाते हैं
इसी प्रकार श्री शिव चालीसा (shree shiv chalisa) पढ़ने से भी जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शिव कृपा प्राप्त होती है।
इसी विचारधारा को ध्यान में रखकर श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है ताकि हर कोई इसे समझ सके और अपने जीवन में शामिल कर सके।
शनिवार को शनि देव आरती का विशेष महत्व
शनिवार को शनि देव की पूजा और आरती करने का महत्व सबसे अधिक माना जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और तेल का दीपक जलाकर शनि देव की आरती करते हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा से शनिवार को श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करता है, उसे जीवन में न्याय, सफलता और संतुलन मिलता है।
भक्तगण अक्सर खाटू श्याम जी की आरती (khatu shyam ji ki aarti) भी पढ़ते हैं, जिससे उनके जीवन में भक्ति और विश्वास का भाव और गहरा हो जाता है।
श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) से जुड़े सवाल (FAQs)
Q1. श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) कब करनी चाहिए?
शनिवार के दिन प्रातःकाल या संध्या समय श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करना सबसे शुभ माना जाता है। विशेष रूप से शनि जयंती और अमावस्या पर यह आरती करने से अधिक लाभ मिलता है।
Q2. श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करने से क्या लाभ होता है?
श्रद्धा और भक्ति भाव से श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करने से शनि दोष दूर होता है, कार्यों में सफलता मिलती है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
Q3. क्या श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करने के लिए कोई विशेष सामग्री चाहिए?
हाँ, तिल का तेल, काले तिल, उड़द दाल, लोहे का दीपक और पुष्प के साथ श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) करना शुभ फलदायी माना जाता है।
Q4. क्या शनिदेव की पूजा केवल शनिवार को ही करनी चाहिए?
नहीं, आप किसी भी दिन श्रद्धा भाव से शनिदेव की पूजा कर सकते हैं, लेकिन शनिवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
Q5. शनि दोष से मुक्ति पाने के और कौन से उपाय हैं?
आरती और पूजा के साथ-साथ तिल दान, गरीबों को भोजन कराना, और “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप करना भी अत्यंत प्रभावी उपाय हैं।
श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) के ब्लॉग का निष्कर्ष
श्री शनि देव की आरती (shani dev ki aarti) केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि जीवन में संतुलन और न्याय प्राप्त करने का माध्यम है। श्रद्धा और विश्वास से इस आरती का पाठ करने पर शनि देव कृपा बरसाते हैं और भक्त के जीवन से दुःख और कष्ट दूर होते हैं। यदि आप अपने जीवन में शांति और सफलता चाहते हैं, तो शनिवार को शनि देव की आरती अवश्य करें।