श्री बांके बिहारी जी की आरती का महत्व
श्री बांके बिहारी जी, जिन्हें कुंजबिहारी या गिरिधर के नाम से भी जाना जाता है, वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध देवता हैं। उनकी आरती करना भक्तों के लिए अत्यंत पुण्य का कार्य माना जाता है।
आरती का महत्व:
- दिल की शांति और सुख-समृद्धि के लिए।
- जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए।
- भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के प्रति भक्ति व्यक्त करने का माध्यम।
- अगर आप जन्माष्टमी के महत्व और उत्सव के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह लिंक बहुत उपयोगी है।
श्री बांके बिहारी जी की आरती में भक्ति
रिया हर सुबह सूर्योदय से पहले उठती है। वह दीपक जलाती है, आंखें बंद करती है और पूरे मन से “श्री बांके बिहारी जी की आरती” गाती है।
जैसे ही आरती के शब्द घर में गूंजते हैं, हर कोने में शांति फैल जाती है। परिवार भी शामिल हो जाता है और सब मिलकर बांके बिहारी जी की दिव्य उपस्थिति को महसूस करते हैं।
यह छोटा सा अनुष्ठान उनकी साधारण सुबह को आध्यात्मिक आनंद में बदल देता है।
आपके अनुभव में बांके बिहारी जी की आरती
आप अपनी आंखें खोलते हैं और मन में हल्की घंटियों की ध्वनि सुनते हुए “श्री बांके बिहारी जी की आरती” का पाठ शुरू करते हैं।
हर पंक्ति के साथ आप भगवान के और करीब महसूस करते हैं, आपकी चिंताएं धीरे-धीरे गायब हो जाती हैं।
कल्पना कीजिए, अगरबत्ती की खुशबू, दीपक की चमक और मन में शांति फैल रही हो। इन क्षणों में आप केवल पढ़ नहीं रहे, बल्कि आरती को अनुभव कर रहे हैं और बांके बिहारी जी के आशीर्वाद से घर और मन भर रहा है।
श्री बांके बिहारी जी की आरती – पूरी लिरिक्स
नीचे प्रस्तुत है श्री बांके बिहारी जी की आरती, जिसे पढ़कर और गाकर आप भगवान की कृपा पा सकते हैं।
आरती का प्रारंभिक स्तोत्र
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
मस्तक और मुकुट स्तोत्र
मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे,
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे।
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
चरणों का स्तोत्र
चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
भक्त स्तोत्र
दास अनाथ के नाथ आप हो,
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो।
हरी चरणों में शीश झुकाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
हरीदास स्तोत्र
श्री हरीदास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं।
॥ श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं..॥
आरती का समापन
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं।
आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं।
आरती का अर्थ और महत्व
- “मोर मुकुट प्यारे शीश पे सोहे” – भगवान के सिर पर मोर का मुकुट है, जो उनकी सुंदरता दर्शाता है।
- “दास अनाथ के नाथ आप हो” – भगवान सबके दुख-सुख में साथ देने वाले हैं।
- “चरणों से निकली गंगा प्यारी” – उनके चरणों से जीवन में पवित्रता और शांति आती है।
यह अर्थ पढ़कर भक्त आरती के समय अधिक भक्ति और ध्यान के साथ भगवान को समर्पित कर सकते हैं।
इसके अलावा, आप गोवर्धन परिक्रमा और इसकी महिमा के बारे में भी पढ़ सकते हैं, जो बांके बिहारी जी की लीला से जुड़ी है।
श्री बांके बिहारी जी की आरती का समय
- मंगला आरती (सुबह): 5:30 AM – 6:00 AM
- Rajbhog आरती (शाम): 7:00 PM – 7:30 PM
- स्थान: बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
ध्यान दें: ये समय मंदिर के आधिकारिक समयानुसार बदल सकते हैं।
आरती डाउनलोड / प्रिंट करें
भक्त इसे PDF डाउनलोड करके घर पर प्रिंट कर सकते हैं या किसी मंदिर में लाकर पढ़ सकते हैं।
- डाउनलोड PDF – श्री बांके बिहारी जी की आरती
बांके बिहारी मंदिर और आरती से जुड़े सवाल (FAQs)
बांके बिहारी मंदिर में रोजाना मंगल आरती क्यों नहीं होती है?
कुछ विशेष अवसरों और त्योहारों पर ही मंदिर में मंगल आरती का आयोजन होता है। यह भगवान की दैनिक पूजा व्यवस्था और भक्तों की सुविधा के अनुसार तय किया जाता है।
बांके बिहारी जी का मंत्र क्या है?
सबसे प्रसिद्ध मंत्र है:
“ओम नाथाय नमः”
इस मंत्र का जप करने से भगवान बांके बिहारी की कृपा प्राप्त होती है और मन की शांति मिलती है।
बांके बिहारी मंदिर में घंटी क्यों नहीं है?
बांके बिहारी मंदिर में पारंपरिक तौर पर घंटी नहीं है क्योंकि यहाँ भक्तों की आवाज़, भजन और आरती की ध्वनि ही पूजा का मुख्य माध्यम मानी जाती है।
बांके बिहारी जी को क्या पसंद है?
उन्हें भक्ति, भजन और शुद्ध प्रेम पसंद है। विशेष रूप से माखन और फूलों से भरी पूजा में उनकी प्रसन्नता मानी जाती है।
बांके बिहारी मंदिर के क्या रहस्य हैं?
मंदिर की विशेषता है कि यहाँ भगवान की मूर्ति हमेशा पर्दे के पीछे रखी जाती है और केवल पूजा के समय ही दर्शन होते हैं।