Shocking news for devotees कुल्लू में स्थित प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर के कपाट बंद

Bijli Mahadev Temple Closed, देवभूमि हिमाचल से एक बड़ी खबर सामने आई है । खबर यह है कि कुल्लू में स्थित प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं । अब श्रद्धालु मंदिर के भीतर प्रवेश नहीं कर सकेंगे और दर्शन केवल बाहर से ही किए जाएंगे । ऐसा पहली बार हुआ है कि सावन के महीने में मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए हैं ।
रोपवे निर्माण को लेकर भगवान महादेव रुष्ट
ऐसा देव आदेश के तहत किया गया है । यह आदेश स्वयं बिजली महादेव द्वारा गुरवाणी के माध्यम से दिया गया है । आगामी 6 माह तक मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम पर रोक लगा दी गई है । ऐसा माना जा रहा है कि मंदिर परिसर के पास बन रहे रोपवे निर्माण को लेकर भगवान महादेव रुष्ट हैं । प्रशासन ने रोपवे प्रोजेक्ट के लिए निजी कंपनी को टेंडर दे दिया और निर्माण कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है।
मंदिर परिसर के आसपास नई दरारें,Bijli Mahadev Temple Closed
रोपवे के लिए अब तक 72 पेड़ों की कटाई की जा चुकी है, जिसकी लकड़ी वहीं मंदिर क्षेत्र में पड़ी है । स्थानीय लोगों ने इसे हटाने से मना कर दिया है । इसके विरोध में 25 जुलाई को विशाल प्रदर्शन की घोषणा की गई है । हाल ही में मंदिर परिसर के आसपास नई दरारें भी देखी गई हैं, जिससे स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ गई है। लोगों को आशंका है कि प्राकृतिक असंतुलन या अनहोनी का संकेत हो सकता है। बताते हैं कि 1988 में यहां हेलीपेड भी बनाने की कोशिश की गई थी तब भी प्राकृतिक त्रासदी घटित हुई थी । अब रोपवे को लेकर लोग फिर से आशंकित हैं ।
बुजुर्ग शिवनाथ की चेतावनी – करेंगे आत्मदाह
बुजुर्ग शिवनाथ, जो वर्षों से बिजली महादेव की सेवा में रत है उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि । “रोपवे का निर्माण नहीं रोका गया तो मैं आत्मदाह कर लूंगा।”। बुजुर्ग शिवनाथ का कहना है कि आस्था और देव परंपरा के खिलाफ है रोपवे का निर्माण, और वह किसी भी हालत में इस रोपवे को नहीं बनने देंगे।
Bijli Mahadev Temple Closed, ऐसा पहली बार हुआ है
अब तक यह मंदिर सर्दियों में दिसंबर संक्रांति से लेकर महाशिवरात्रि तक ही बंद रहता था। लेकिन इस बार देव आदेश के कारण श्रद्धा और आस्था के इस केंद्र के कपाट सावन में बंद किए गए हैं।
निष्कर्ष
बिजली महादेव न केवल एक मंदिर है, बल्कि देवभूमि हिमाचल की आस्था, पर्यावरण संतुलन और लोक संस्कृति का प्रतीक भी है । यहां का हर निर्णय देव परंपरा से संचालित होता है, और उसे तोड़ना प्राकृतिक और सामाजिक असंतुलन को बुलावा देना हो सकता है।
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