शिव पंचाक्षर स्तोत्र – लिरिक्स, अर्थ और महत्व

शिव पंचाक्षर स्तोत्र का परिचय

शिव पंचाक्षर स्तोत्र (shiv panchaakshar stotr) भगवान शिव की महिमा का अद्वितीय स्तोत्र है। इसमें शिव के पाँच पवित्र अक्षरों – , , शि, वा,  – की स्तुति की गई है। इसे पढ़ने और सुनने से जीवन में शांति, शक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

Bhakti Uday Bharat एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म को आधुनिक युग की भाषा में जन-जन तक पहुँचाता है। प्रदीप डाबास का मानना है कि: भक्ति को सिर्फ़ सुनने या पढ़ने का विषय नहीं, बल्कि जीने का माध्यम बनाना चाहिए।”

पंचाक्षर मंत्र क्या है?

पंचाक्षर मंत्र है – नमः शिवाय”। यह मंत्र पाँच अक्षरों न-म-शि-वा- से बना है, जो शिवतत्व और पंचतत्व (जल, अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी) का प्रतिनिधित्व करते हैं।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र लिरिक्स (संस्कृत में)

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय  
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।  
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय  
तस्मै नकाराय नमः शिवाय ॥१॥ 
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय  
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।  
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय  
तस्मै मकाराय नमः शिवाय ॥२॥  
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय  
दक्षाध्वरनाशकाय ।  
नीलकण्ठाय वृषध्वजाय  
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय ॥३॥  
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र  
देवार्चितशेखराय ।  
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय  
तस्मै वकाराय नमः शिवाय ॥४॥  
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय  
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।  
दिव्याय देवाय दिगम्बराय  
तस्मै यकाराय नमः शिवाय ॥५॥   
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं  
यः पठेच्छिवसंनिधौ ।  
शिवलोकमवाप्नोति  
शिवेन सह मोदते ॥   

नमः शिवाय पंचाक्षरी मंत्र का अर्थ

  • – आकाश का प्रतीक
  • – जल का प्रतीक
  • शि – अग्नि का प्रतीक
  • वा – वायु का प्रतीक
  • – पृथ्वी का प्रतीक

इस प्रकार “ॐ नमः शिवाय” का अर्थ है – मैं स्वयं को भगवान शिव को समर्पित करता हूँ।”

शिव पंचाक्षर स्तोत्र कब पढ़ना चाहिए?

  • सोमवार को सुबह या संध्या समय
  • महाशिवरात्रि या प्रदोष व्रत पर
  • शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाकर
  • रुद्राक्ष माला से मंत्र जप करते समय

 इसी प्रकार, भक्त श्रीराम स्तुति का पाठ भी करते हैं, जिससे भक्ति और श्रद्धा और प्रबल होती है।

पंचाक्षरी मंत्र जपने से क्या लाभ होता है?

  • मानसिक शांति और ध्यान की गहराई
  • रोग और कष्टों से मुक्ति
  • आत्मविश्वास और शक्ति में वृद्धि
  • आध्यात्मिक जागरण

जब आप सुबह के समय गंगाजल से स्नान कर शिव पंचाक्षर स्तोत्र (shiv panchaakshar stotr) का पाठ करते हैं, तो आपका मन तुरंत शांत हो जाता है। जैसे ही आप “ॐ नमः शिवाय” का उच्चारण करते हैं, आपको लगता है कि पूरी सृष्टि आपके भीतर समा गई है। शिवलिंग के सामने दीपक की लौ और धूप की सुगंध आपके मन को गहराई से भक्ति में डुबो देती है। उस क्षण आपको लगता है कि शिव स्वयं आपके समीप हैं।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के रचयिता कौन थे?

इस स्तोत्र की रचना आदि शंकराचार्य ने की थी। उनका उद्देश्य था शिवभक्तों को सरल शब्दों में शिव के पांच स्वरूपों का बोध कराना।

शिव पंचाक्षरा स्तोत्रम का जप करने के क्या लाभ हैं?

  • मोक्ष की प्राप्ति
  • जीवन में सफलता
  • बुरी शक्तियों से रक्षा
  • घर में शांति और समृद्धि

इसी तरह, भक्त हनुमान अष्टक का पाठ करके भी मानसिक बल और साहस प्राप्त करते हैं।

एक साधु प्रतिदिन हिमालय की गुफा में बैठकर शिव पंचाक्षर स्तोत्र (shiv panchaakshar stotr) का जप करता था। वर्षों की साधना के बाद एक दिन उसे ऐसा अनुभव हुआ जैसे उसके सामने स्वयं भोलेनाथ प्रकट हो गए हों। साधु की आँखों से आँसू बह निकले और उसने कहा – “हे महादेव, आपने मेरी तपस्या स्वीकार कर ली।” उसके बाद से उस गुफा में हर कोई शिव की दिव्य ऊर्जा का अनुभव करने लगा।

पंचाक्षरी मंत्र की सिद्धि कैसे होती है?

  • नियमित जप (कम से कम 108 बार रोज़)
  • ध्यान और भक्ति भाव के साथ
  • गुरु के मार्गदर्शन में साधना
  • शिवलिंग के सामने दीपक और जल अर्पण करके

शिव पंचाक्षर स्तोत्र के फायदे

  • शिवलोक की प्राप्ति
  • नकारात्मक ऊर्जा का नाश
  • मानसिक शांति
  • साधना में सफलता
  • जीवन में सकारात्मकता

निष्कर्ष

शिव पंचाक्षर स्तोत्र (shiv panchaakshar stotr) केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि आत्मा को शिवत्व से जोड़ने का मार्ग है। इसके पाठ से जीवन में शांति, आनंद और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यदि आप नियमित रूप से इस स्तोत्र का जप करते हैं तो न केवल आपका जीवन, बल्कि आपका वातावरण भी सकारात्मक और पवित्र हो जाता है।

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