Sawan Shivratri 2025 क्यों मनाई जाती है , व्रत, पूजा विधि और पौराणिक महत्व

Sawan Shivratri

सावन मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा का बहुत मह्त्व है । पूरा महीना शिवालय में भक्तों की भीड़ उमड़ती है । पूरा वातावरण शिवमय हो जाता है और इसी महीने की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को आती है Sawan Shivratri जिसे धूमधाम से मनाया जाता है । Sawan Shivratri भगवान शिव के भक्तों के लिए आध्यात्मिक रूप से बहुत पावन और फलदायक माना जाता है । Sawan Shivratri पर लाखों की संख्या में भक्त गंगा का जल कांवड़ में लेकर आते हैं और शिवलिंग का अभिषेक करते हैं । श्रावण मास को शिवजी का सबसे प्रिय मास कहा गया है । इस मास की शिवरात्रि को मनाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है

Sawan Shivratri क्यों मनाई जाती है?


श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली शिवरात्रि का महत्व पौराणिक मान्यता के अनुसार कुछ यूं है ।

समुद्र मंथन और विषपान की कथा


कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था, समुद्र मंथन में सबसे पहले कालकूट विष निकला था, जो पूरे संसार को नष्ट कर सकता था । पूरे विश्व की रक्षा के लिए भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण किया था । भगवान भोलेनाथ ने इस विष को अपने कंठ से नीचे नहीं उतरने दिया । जिससे उनका कंठ नीला हो गया । इसी के बाद भगवान भोलेनाथ का नीलकंठ नाम पड़ा । कहते हैं जब भगवान भोलेनाथ ने विष पिया था तब भक्तों ने उन्हें विष के प्रभाव से बचाने के लिए जल और बेलपत्र अर्पित किया । तभी से शिवरात्रि पर जलाभिषेक और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा बनी ।

Sawan Shivratri का धार्मिक महत्व

  • उपवास और व्रत का पुण्य: Sawan Shivratri का व्रत रखने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, उन्हें स्वास्थ्य, संतान, धन और समृद्धि का वरदान मिलता है । शिवरात्रि पर श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।
  • कुंवारी कन्याओं के लिए: Sawan Shivratri का व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं और भगवान शिव की उपासना करती हैं । कहते हैं कि यह व्रत रखने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है । क्योंकि शिवजी को आदर्श पति माना जाता है । जो भी भक्त शिवरात्रि का व्रत रखना चाहते हैं वो इस पूजा विधि के अनुसार अपना व्रत रख सकते हैं ।

Sawan Shivratri व्रत कैसे और क्या करें ?

  • व्रत और संकल्प लें : सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान शिव का ध्यान करके व्रत का संकल्प लें – “मैं आज Sawan Shivratri  का व्रत विधिपूर्वक करूंगा/करूंगी।”
  • शिवलिंग पर जल एवं पंचामृत से अभिषेक करें: भगवान शिव को गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, शक्कर से स्नान कराएं और फिर बेलपत्र, धतूरा, आक, भस्म, फल और फूल चढ़ाएं।
  • ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें: कम से कम 108 बार भगवान शिव के षडाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें । अगर महामृत्युंजय मंत्र या शिव चालीसा का पाठ भी करें तो अति उत्तम रहेगा
  • दिनभर उपवास रखें: अगर संभव हो तो निर्जला व्रत रखें, यदि आप बीमारी या किसी अन्य वजह से निर्जला व्रत नहीं रख सकते तो फलाहार (फल, दूध, पानी, साबूदाना आदि) ले सकते हैं ।
  • रात्रि जागरण और पूजा: शिवरात्रि की रात भगवान शिव की चार प्रहर की पूजा करें । हर प्रहर में अलग-अलग सामग्री से शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • भक्ति और ध्यान में मन लगाएं: दिनभर भगवान शिव के भजन-कीर्तन, ध्यान और सत्संग में शामिल रहें।
  • पारण (व्रत समाप्ति) सही विधि से करें: अगले दिन ब्राह्मण भोजन या गरीबों को दान देकर व्रत का पारण करें और स्वयं भी सात्विक भोजन ग्रहण करें।

Sawan Shivratri व्रत में क्या न करें

  • व्रत के दिन नमक, लहसुन, प्याज, मांस-मछली, अंडा और अनाज (गेहूं, चावल आदि) का सेवन न करें ।
  • व्रत के दिन मानसिक और शारीरिक रूप से पवित्र रहना चाहिए । किसी को अपशब्द कहना, निंदा और चुगली करना, झूठ बोलना या झगड़ा करना व्रत के प्रभाव को खत्म कर देता है.
  • भगवान शिव को तुलसी अर्पण नहीं करें क्यों कि तुलसी केवल भगवान विष्णु को चढ़ाई जाती है । इसके अलावा शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना भी वर्जित माना गया है क्योंकि यह देवी स्वरूप की पूजा में उपयोगी होती है, शिव की नहीं।
  • अभिषेक या पूजा करते समय जल या सामग्री अर्पण करें, लेकिन शिवलिंग को हाथ से छूना वर्जित माना जाता है, विशेष रूप से स्त्रियों के लिए।
  • किसी देवी-देवता, साधु-संत, या धर्म की निंदा न करें। यह व्रत का पुण्य नष्ट कर सकता है।
  • महिलाएं जिन्होंने व्रत का संकल्प लिया हो और मासिक धर्म हो जाए तो केवल मन से भगवान का ध्यान करें, पूजा किसी और से करवाएं ।

Sawan Shivratri का आध्यात्मिक संदेश


Sawan Shivratri हमें सिखाती है कि विष को भी प्रसन्नता से स्वीकार कर, दूसरों के लिए त्याग करना ही सच्चा ईश्वरत्व है । संयम, तपस्या और भक्ति से आत्मिक शुद्धि होती है । यह रात्रि आत्मचिंतन, ध्यान और शिवतत्व को आत्मसात करने का श्रेष्ठ अवसर है 

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