आइए हम जानते हैं रुद्राभिषेक क्या होता है।
रुद्राभिषेक (Rudrabhishek) भगवान शिव की एक विशेष पूजा विधि है जिसमें शिवलिंग का अभिषेक जल, दूध, शहद, दही, घी और पंचामृत जैसे पवित्र द्रव्यों से किया जाता है। अभिषेक के साथ-साथ रुद्र मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और “ॐ नमः शिवाय” का जाप किया जाता है। इसे शिव भक्ति का सर्वोत्तम रूप माना गया है।
Bhakti Uday Bharat एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म को आधुनिक युग की भाषा में जन-जन तक पहुँचाता है। प्रदीप डाबास का मानना है कि: “भक्ति को सिर्फ़ सुनने या पढ़ने का विषय नहीं, बल्कि जीने का माध्यम बनाना चाहिए।”

रुद्राभिषेक कैसे किया जाता है?
- पूजा स्थान को शुद्ध कर गंगाजल छिड़कें।
- शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करें और मुख पूर्व दिशा में रखें।
- श्रृंगी में जल, दूध, शहद, दही, घी या पंचामृत डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें।
- मंत्र जाप: महामृत्युंजय मंत्र, रुद्राष्टाध्यायी या “ॐ नमः शिवाय” का जाप करें।
- अभिषेक के बाद चंदन, बेलपत्र, धूप-दीप अर्पित करें।
भगवान शिव के 108 नाम (bhagwan shiv ke 108 naam) का जाप भी रुद्राभिषेक के दौरान विशेष फल देता है।
रुद्राभिषेक कितने प्रकार के होते हैं?
मुख्यतः रुद्राभिषेक के 6 प्रकार माने गए हैं:
- जलाभिषेक
- दूध अभिषेक
- दही अभिषेक
- शहद अभिषेक
- घी अभिषेक
- पंचामृत अभिषेक
जलाभिषेक और रुद्राभिषेक में क्या होता है अंतर?
- जलाभिषेक: केवल गंगाजल या शुद्ध जल से किया जाने वाला अभिषेक।
- रुद्राभिषेक: जल के साथ दूध, दही, शहद, घी आदि पवित्र द्रव्यों और मंत्रों के साथ किया जाने वाला विस्तृत अनुष्ठान।
रुद्राभिषेक पूजा में कितना खर्चा आता है?
खर्च स्थान और विधि के अनुसार अलग होता है।
- साधारण मंदिर में: ₹500–₹1500
- विस्तृत रुद्राभिषेक (पंडित और सामग्रियों सहित): ₹3000–₹10000
रुद्राभिषेक के फायदे
- पिछले जन्मों के पापों से मुक्ति
- गृह क्लेश, दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा का नाश
- आत्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव
- स्वास्थ्य में सुधार और लंबी आयु की प्राप्ति
सावन महीने में किया गया रुद्राभिषेक सर्वश्रेष्ठ फलदायी माना जाता है।
दूध से रुद्राभिषेक के फायदे
- मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन दूर होता है।
- दांपत्य जीवन में मधुरता आती है।
- संतान प्राप्ति और परिवार की समृद्धि के लिए उत्तम माना जाता है।
सावन के सोमवार को गाँव के एक साधारण युवक ने पहली बार रुद्राभिषेक किया। दूध, शहद और बेलपत्र से अभिषेक करते समय उसकी आँखों से आँसू बह निकले। कुछ ही समय में उसका जीवन बदल गया—नौकरी मिली, परिवार में शांति लौटी और स्वास्थ्य भी सुधर गया। लोग कहते हैं कि भगवान शिव का आशीर्वाद उस युवक पर उनके पहले रुद्राभिषेक से ही बरस पड़ा।
रुद्राभिषेक पूजन सामग्री लिस्ट
- शिवलिंग
- गंगाजल
- दूध, दही, शहद, घी, पंचामृत
- बेलपत्र, चंदन, धूप-दीप
- फल, पान, सुपारी
- मंत्र जाप हेतु रुद्राक्ष माला
शिव स्तुति के लिए आप शिव पंचाक्षर स्तोत्र (shiv panchaakshar stotr) का पाठ भी कर सकते हैं।
रुद्राभिषेक में हवन होता है या नहीं?
आमतौर पर रुद्राभिषेक में हवन आवश्यक नहीं है, लेकिन कई मंदिरों और विशेष अवसरों पर रुद्र हवन भी साथ में किया जाता है। इससे पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
सावन में ही क्यों किया जाता है रुद्राभिषेक?
सावन भगवान शिव का प्रिय महीना है। मान्यता है कि इस समय रुद्राभिषेक करने से शिव जी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को विशेष आशीर्वाद देते हैं।
घर पर शिव रुद्राभिषेक कैसे करें?
- घर पर छोटा शिवलिंग रखें।
- तांबे या स्टील के पात्र से गंगाजल और दूध चढ़ाएँ।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- परिवार सहित आरती और प्रसाद का वितरण करें।
जब आप सुबह गंगाजल और दूध से शिवलिंग का रुद्राभिषेक करते हैं, तो वातावरण में एक अद्भुत शांति का अनुभव होता है। मंत्र जाप के साथ जैसे ही धूप की सुगंध फैलती है, आपका मन पूरी तरह निर्मल और सकारात्मक हो उठता है। यही रुद्राभिषेक की शक्ति है—यह केवल पूजा नहीं, बल्कि आपके जीवन को नई ऊर्जा और शिव कृपा से भर देने का माध्यम है।
हम रुद्राभिषेक क्यों करते हैं?
- आत्मिक शांति और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए
- जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए
- मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु
- परिवार की सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए
रुद्राभिषेक से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
रुद्राभिषेक करवाने से क्या होता है?
रुद्राभिषेक से पापों का नाश होता है, गृह क्लेश और रोग दूर होते हैं तथा जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद पाने का साधन है।
रुद्राभिषेक कब और कैसे करना चाहिए?
रुद्राभिषेक किसी भी सोमवार को किया जा सकता है, लेकिन सावन मास और महाशिवरात्रि पर इसका विशेष महत्व है। गंगाजल और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक कर मंत्र जाप करते हुए पूजा करनी चाहिए।
रुद्राभिषेक करने में कितना खर्च आता है?
साधारण रुद्राभिषेक का खर्च ₹500–₹1500 तक हो सकता है, जबकि विस्तृत पूजन में ₹3000–₹10000 तक का खर्च आता है।
रुद्राभिषेक के लिए कौन सा दिन अच्छा है?
सोमवार, सावन माह के दिन और महाशिवरात्रि रुद्राभिषेक के लिए सबसे श्रेष्ठ माने जाते हैं।
रुद्राभिषेक का फल कब मिलता है?
श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया रुद्राभिषेक तुरंत सकारात्मक ऊर्जा देता है। इसके दीर्घकालिक फल समय के साथ जीवन में अनुभव होते हैं।
रुद्राभिषेक के लिए 11 वस्तुएं कौन सी हैं?
गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, पंचामृत, बेलपत्र, चंदन, धूप-दीप, फल, सुपारी।
रुद्राभिषेक में कितने लीटर दूध लगता है?
साधारण पूजन में 1 लीटर दूध पर्याप्त है। बड़े अनुष्ठानों में 5 से 11 लीटर दूध उपयोग किया जाता है।
रुद्राभिषेक 5 शास्त्री क्या है?
यह एक विशेष विधि है जिसमें पाँच ब्राह्मण मिलकर रुद्राभिषेक करते हैं। इससे पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।
क्या रात में रुद्राभिषेक किया जा सकता है?
हाँ, लेकिन परंपरागत रूप से सुबह के समय करना श्रेष्ठ माना गया है। रात में केवल विशेष अवसरों पर किया जाता है।
रुद्राभिषेक कहाँ करना चाहिए?
मंदिर में शिवलिंग पर करना उत्तम है। घर में भी नियमपूर्वक शिवलिंग स्थापित कर पूजा की जा सकती है।
रुद्राभिषेक के लिए शुभ तिथियां क्या हैं?
सोमवार, प्रदोष व्रत, सावन, महाशिवरात्रि और श्रावण पूर्णिमा विशेष शुभ मानी जाती हैं।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाते समय क्या बोलना चाहिए?
“ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
घर में रुद्राभिषेक करने से क्या फायदा होता है?
घर का वातावरण शुद्ध होता है, नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और परिवार में सुख-शांति आती है।
रोग नाश के लिए रुद्राभिषेक कैसे करें?
दूध, गंगाजल और महामृत्युंजय मंत्र के साथ रुद्राभिषेक करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।
2025 में शिव वास की तिथियां क्या हैं?
2025 में सावन मास 10 जुलाई से 7 अगस्त तक रहेगा और महाशिवरात्रि 26 फरवरी को होगी।
रुद्राभिषेक कब नहीं करना चाहिए?
अमावस्या की रात्रि और ग्रहण के समय रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए।
क्या मंगलवार को रुद्राभिषेक करना शुभ है?
हाँ, मंगलवार भी शुभ है, लेकिन सोमवार को इसका विशेष फल मिलता है।
क्या लड़कियां रुद्राभिषेक कर सकती हैं?
हाँ, महिलाएँ भी नियमपूर्वक रुद्राभिषेक कर सकती हैं।
क्या रुद्राभिषेक में हवन होता है?
आवश्यक नहीं है, लेकिन कई जगह रुद्र हवन भी साथ में किया जाता है।
रुद्राभिषेक किससे करना चाहिए?
तांबे के पात्र से गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और पंचामृत से।
सावन में रुद्राभिषेक करने से क्या फल मिलता है?
सावन में किया गया रुद्राभिषेक शीघ्र फलदायी होता है और शिव कृपा तुरंत प्राप्त होती है।
रुद्राभिषेक के बाद क्या करना चाहिए?
आरती कर परिवार सहित प्रसाद ग्रहण करना चाहिए और अभिषेक का जल पूरे घर में छिड़कना चाहिए।
क्या एकादशी के दिन रुद्राभिषेक किया जा सकता है?
हाँ, एकादशी के दिन भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।
रुद्राभिषेक के ब्लॉग का निष्कर्ष
रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने की सबसे पवित्र और प्रभावी पूजा विधि है। जल, दूध, दही, शहद, घी और पंचामृत जैसे पवित्र द्रव्यों से शिवलिंग का अभिषेक करने पर जीवन से पाप, रोग और संकट दूर होते हैं तथा सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। सावन और महाशिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर किया गया रुद्राभिषेक शीघ्र फलदायी माना गया है। चाहे मंदिर में हो या घर पर, श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया यह अनुष्ठान भक्त के जीवन में नई ऊर्जा, सकारात्मकता और शिव कृपा का संचार करता है।