
हनुमान चालीसा: इतिहास, महत्व और संपूर्ण Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
भारतीय संस्कृति में हनुमान जी का स्थान अद्वितीय है। वे शक्ति, भक्ति, साहस, निष्ठा और आत्मविश्वास के प्रतीक माने जाते हैं। कहा जाता है कि हनुमान जी की कृपा से हर कार्य सिद्ध होता है। चाहे बाधा हो, भय हो, रोग हो या शत्रु — “संकट मोचन हनुमान” हर भक्त की रक्षा करते हैं।
इन्हीं हनुमान जी की स्तुति में गोसाईं तुलसीदास जी ने 16वीं शताब्दी में हनुमान चालीसा की रचना की थी।
इस लेख में हम प्रस्तुत कर रहे हैं:
- हनुमान चालीसा का इतिहास
- इसके पाठ का महत्व
- पाठ विधि
- और 100% सही Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
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हनुमान चालीसा का इतिहास (History of Hanuman Chalisa)
हनुमान चालीसा का रचना-काल लगभग 1532–1623 ईस्वी माना जाता है। तुलसीदास जी ने इसे अवधी भाषा में लिखा था। “चालीसा” शब्द “चालीस” से बना है, क्योंकि इस स्तोत्र में कुल 40 दोहे/चौपाइयाँ हैं।
तुलसीदास जी के अनुसार, वे संकट में पड़े हुए थे तभी हनुमान जी ने दर्शन देकर उन्हें इस चालीसा की प्रेरणा दी।
हनुमान चालीसा पाठ का महत्व
हनुमान चालीसा पढ़ने से:
- भय दूर होता है
- मानसिक शांति मिलती है
- रोग और कष्ट कम होते हैं
- नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है
- सफलता और आत्मविश्वास बढ़ता है
- शनि व अन्य ग्रहजन्य बाधाएँ समाप्त होती हैं
शास्त्रों में कहा गया है:
“जहाँ-जहाँ हनुमान नाम लेवा, वहाँ-वहाँ संकट कभी न देवा”
हनुमान चालीसा पाठ करने का सही समय
हालाँकि हनुमान चालीसा किसी भी समय पढ़ी जा सकती है, पर विशेष समय हैं:
- सुबह स्नान के बाद
- शाम को दीपक जलाकर
- मंगलवार या शनिवार को
- मंगलवार और शनिवार उपयुक्त दिन हैं
- संकट या भय की स्थिति में कभी भी
हनुमान चालीसा कैसे पढ़ें?
- शांत मन से पढ़ें
- लाल वस्त्र या आसन श्रेष्ठ माना जाता है
- सामने तेल का दीपक जलाएँ
- श्री राम और हनुमान जी का स्मरण करें
- सरल उच्चारण से पढ़ें
- नित्य पाठ से विशेष फल मिलता है
संपूर्ण हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa Lyrics
दोहा
॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ॥
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फलचारि ॥
॥ बुद्धिहीन तनु जानिकै, सुमिरौं पवन-कुमार ॥
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार ॥
हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi)
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर।
काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
ब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूतपिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
हनुमान चालीसा का विस्तृत अर्थ और शक्ति
हनुमान चालीसा का प्रत्येक शब्द शक्ति और भक्ति से भरा हुआ है। इसकी 40 चौपाइयाँ श्री हनुमान जी के गुणों, कार्यों और भक्तों पर उनकी कृपा का वर्णन करती हैं।
दोहा (प्रारम्भिक) का अर्थ:
- प्रथम दोहा: गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि श्री गुरु के चरण कमलों की रज से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके मैं श्री रघुनाथ जी के उस निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) प्रदान करने वाला है।
- द्वितीय दोहा: अपने को बुद्धिहीन जानकर मैं पवनकुमार (हनुमान जी) का स्मरण करता हूँ। हे पवनकुमार! आप मुझे बल, बुद्धि और विद्या प्रदान करें और मेरे मन के सभी क्लेशों (दुखों) और विकारों (बुराइयाँ) को दूर करें। यह पद हनुमान जी से बुद्धि, बल और ज्ञान की प्रार्थना है।
प्रमुख चौपाइयों का अर्थ:
- चौपाई 1-3: हनुमान जी की महिमा का गुणगान करते हैं। उन्हें ज्ञान, गुण का सागर और तीनों लोकों में प्रसिद्ध बताया गया है। वह कुमति (दुष्ट बुद्धि) को दूर करके सुमति (सद्बुद्धि) प्रदान करने वाले हैं।
- चौपाई 4-6: हनुमान जी के दिव्य स्वरूप का वर्णन है: स्वर्ण के समान काया, सुंदर वेशभूषा, कानों में कुण्डल, घुँघराले बाल, हाथ में वज्र और ध्वजा, और कंधे पर मूँज का जनेऊ। उन्हें शंकर (शिव) का अवतार और केसरी नन्दन कहा गया है।
- चौपाई 7-10: हनुमान जी के कार्यों का वर्णन है। वे विद्यावान, गुणी और चतुर हैं, जो सदैव राम-काज करने को आतुर रहते हैं। उन्होंने माता सीता को अपना सूक्ष्म रूप दिखाया और लंका को जलाने के लिए भयंकर रूप धारण किया।
- चौपाई 11-13: संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जीवनदान देने पर भगवान राम ने उन्हें अपने गले से लगा लिया और कहा कि तुम मेरे लिए भरत के समान प्रिय भाई हो।
- चौपाई 18: इसमें एक वैज्ञानिक सत्य का वर्णन है – “जुग सहस्र जोजन पर भानू”। यह चौपाई सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी को इंगित करती है, जो आश्चर्यजनक रूप से आधुनिक विज्ञान के अनुमान के निकट है।
- चौपाई 24: “भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥” यह चौपाई भक्तों को सभी प्रकार के भय, नकारात्मकता और भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति का आश्वासन देती है।
- चौपाई 25: “नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा॥” यह रोगों और सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों को दूर करने की शक्ति रखती है।
- चौपाई 31: “अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥” माता जानकी के वरदान से हनुमान जी को आठ सिद्धियों (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व) और नौ निधियों (पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुंद, कुंद, नील, और वर्च) का दाता बनाया गया है।
- चौपाई 33-35: यह स्पष्ट करती है कि हनुमान जी की भक्ति करने से ही भगवान राम की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के दुःख दूर हो जाते हैं। अन्य देवताओं की आराधना न करने पर भी केवल हनुमान जी की सेवा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
दोहा (अंतिम) का अर्थ:
पवनपुत्र! आप संकटों को हरने वाले और मंगल (कल्याण) की मूर्ति हैं। हे देवों के राजा! आप श्री राम, लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृदय में निवास करें।
हनुमान चालीसा पाठ का महत्व
हनुमान चालीसा का पाठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है जिसके अनेक लाभ हैं:
- भय और संकट निवारण: जो व्यक्ति सच्चे मन से हनुमान जी का स्मरण करता है, उन्हें भूत-पिशाच, नकारात्मक शक्तियाँ और हर प्रकार के संकट का भय नहीं रहता। यह तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है।
- बल, बुद्धि और विद्या: चालीसा के पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे बल, सद्बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।
- रोग मुक्ति: नियमित पाठ से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- ग्रह दोष शांति: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हनुमान चालीसा का पाठ, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को, शनि देव और मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करने में सहायक होता है।
- आत्मविश्वास: हनुमान जी को साहस और वीरता का प्रतीक माना जाता है। उनके चरित्र का ध्यान करने से व्यक्ति में आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प का संचार होता है।
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निष्कर्ष
हनुमान चालीसा (hanuman chalisa lyrics) एक अमूल्य आध्यात्मिक धरोहर है। यह सिर्फ एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि गोस्वामी तुलसीदास जी की कलम से निकला एक ऐसा मंत्र है जो हर भक्त को संकट की घड़ी में सहारा देता है। इसके शुद्ध पाठ (hanuman chalisa lyrics in hindi) और अर्थ को समझकर यदि कोई व्यक्ति इसे अपने जीवन का अंग बनाता है, तो वह निश्चित रूप से बल, बुद्धि, विद्या और मोक्ष जैसे चारों फलों की प्राप्ति करता है।
नियमित रूप से इसका पाठ करें और पवनपुत्र हनुमान जी की असीम कृपा और शक्ति को अपने जीवन में महसूस करें।


