गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) 2025: कथा, विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और प्रकृति के सम्मान से जुड़ा हुआ है। यह दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर इसका विशेष महत्व होता है। इस दिन भक्तजन गोवर्धन पर्वत, गायबैल, और अन्नकूट की पूजा करते हैं।
गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) को अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “भोजन का पर्वत”। यह दिन भक्तों के लिए भक्ति, समर्पण और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।

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 गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक समय ब्रजवासी हर वर्ष इंद्र देव की पूजा करते थे ताकि वर्षा का आशीर्वाद मिले। तब भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को समझाया कि वर्षा तो गोवर्धन पर्वत और प्रकृति की कृपा से होती है, न कि अहंकारी इंद्र की पूजा से।
जब लोगों ने इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पूजा पूजा की, तो इंद्र ने क्रोधित होकर मूसलधार वर्षा की। तब बालकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों और पशुओं की रक्षा की।
उस दिन से हर वर्ष इस दिव्य घटना की स्मृति में गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) का आयोजन किया जाता है।

 गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) 2025 बुधवार, 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार —

  • तिथि प्रारंभ: 21 अक्टूबर, शाम 5:54 बजे
  • तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर, शाम 8:16 बजे

शुभ मुहूर्त:

  • प्रातःकाल पूजा मुहूर्त: सुबह 6:26 बजे से 8:42 बजे तक
  • सायंकाल पूजा मुहूर्त: दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक

इन मुहूर्तों में गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) करने से भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) की विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं। इसके साथ ही छोटी-छोटी गाय और बछड़े की आकृतियाँ बनाएं।
फिर पूजा सामग्री जैसे रोली, चावल, चंदन, दूध, दही, खीर, बताशे, पानसुपारी, पुष्प और दीपक रखें।
मंत्र उच्चारण करें —

“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।”

फिर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें और अन्नकूट का भोग लगाएं।

यदि आप दीपावली से पहले की पूजा विधि जानना चाहते हैं, तो धनतेरस पूजा (Dhanteras puja) की जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) का महत्व

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति और पशुओं का आदर करना चाहिए।
गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) से वर्षा की कृपा प्राप्त होती है, अकाल से रक्षा होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

ब्रज क्षेत्र में इस दिन 21 किलोमीटर की गोवर्धन परिक्रमा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है।

अन्नकूट का विशेष आयोजन

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) के दिन भक्तजन अन्नकूट का आयोजन करते हैं, जिसमें सैकड़ों प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। यह अन्नकूट भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित किया जाता है।
खीर, पूरी, सब्जियाँ, दाल, मिठाइयाँ, फल, सब कुछ एक थाली में सजा कर गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) के रूप में भोग लगाया जाता है।

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) और गौ-सेवा

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) के दौरान गाय और बैल की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। गाय के सींगों पर तेल और गेरू लगाया जाता है और उसकी आरती उतारी जाती है।
माना जाता है कि इस दिन गाय की पूजा (gowardhan puja) करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

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गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) के लाभ

  1. गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
  2. यह परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाती है।
  3. गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) से वर्षा और फसल की वृद्धि होती है।
  4. यह पर्व पर्यावरण संरक्षण और गौसेवा का संदेश देता है।
  5. गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) से जुड़ी परंपराएँ

  • गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) में गाय और बछड़ों को सजाकर उनकी पूजा की जाती है।
  • अन्नकूट प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों में बाँटने से पुण्य मिलता है।
  • ब्रज क्षेत्र में भक्तजन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं।
  • गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) के दिन दान-पुण्य करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) का आध्यात्मिक संदेश

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) हमें सिखाती है कि जीवन में विनम्रता और कृतज्ञता का भाव बनाए रखना चाहिए। यह पर्व प्रकृति और पशु-पक्षियों के प्रति संवेदना जगाता है।
गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) करने से न केवल भगवान श्रीकृष्ण की कृपा मिलती है, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी का एहसास भी होता है।

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) से जुड़े सवाल (FAQs)

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा क्यों की जाती है?

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से मन की शांति मिलती है और आस्था मजबूत होती है। यह परंपरा पापों के नाश और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करने का माध्यम मानी जाती है।

अन्नकूट का महत्व क्या है?

अन्नकूट एक भव्य भोजन समारोह है जिसमें कई प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इसे समर्पित करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ती है, और यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका है।

पूजा के दौरान गाय और बैल की क्यों की जाती है पूजा?

गाय और बैल की पूजा से पर्यावरण और पशुओं के प्रति सम्मान बढ़ता है। इसे करने से मानसिक शांति, पुण्य और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा की भावना विकसित होती है।

पर्व पर किए जाने वाले दान-पुण्य का क्या लाभ है?

इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से पुण्य प्राप्त होता है और समाज में सहानुभूति व सामंजस्य बढ़ता है। यह छोटे-छोटे कार्यों में भी आध्यात्मिक संतोष दिलाता है।

त्योहारों के माध्यम से बच्चों को क्या शिक्षा मिलती है?

त्योहारों में बच्चों को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों का ज्ञान मिलता है। उन्हें प्रकृति, परिवार और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाता है।

गोवर्धन पूजा (gowardhan puja) के ब्लॉग का निष्कर्ष

गोवर्धन पर्व का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति सम्मान और आस्था का प्रतीक भी है। इस दिन किये जाने वाले अनुष्ठान, अन्नकूट और परिक्रमा सभी जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश देते हैं। परिवार और समुदाय के साथ इसे मनाने से आस्था और सामाजिक जुड़ाव भी बढ़ता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति की सुरक्षा और सम्मान करना हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

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