गीता जयंती (gita jayanti) हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है। यह वही दिन है जब लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया था। यह दिन केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति का उत्सव है।

गीता जयंती (gita jayanti) का अर्थ और महत्व
भगवद्गीता का शाब्दिक अर्थ है – “परमात्मा का गीत”। इसमें जीवन के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर छिपा है।
गीता जयंती (gita jayanti) पर यह स्मरण किया जाता है कि:
“धर्म, कर्म और ज्ञान – जीवन का सच्चा मार्गदर्शन केवल गीता से ही प्राप्त होता है।”
गीता के उपदेश बताते हैं कि यदि कोई व्यक्ति गीता के सिद्धांतों का पालन करे तो जीवन के सभी दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है।
कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव
हर वर्ष कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव आयोजित किया जाता है। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु और विद्वान एकत्रित होकर गीता पाठ, यज्ञ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और संत प्रवचन में भाग लेते हैं।
यह आयोजन गीता के वैश्विक संदेश — “वसुधैव कुटुम्बकम्” — को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम बन चुका है।
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भगवद्गीता – जीवन का सार
भगवद्गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं जो हमें बताते हैं कि:
- कैसे कर्तव्य को सर्वोपरि रखें,
- कैसे संकटों में भी धर्म का पालन करें,
- और कैसे आत्मा की अमरता को समझें।
गीता के संदेश में जीवन की हर उलझन का उत्तर मिलता है। इसीलिए इसे “मानव जीवन का मार्गदर्शन ग्रंथ” कहा जाता है।
कुरुक्षेत्र की सुबह
कुरुक्षेत्र की पावन भूमि पर सूर्य उदित हो रहा था। हवा में वेदों की ध्वनि और श्रद्धा का स्पर्श था। तुम्हारे हाथों में भगवद्गीता की प्रति थी—तुमने पढ़ा, “कर्मण्येवाधिकारस्ते।” उसी क्षण तुमने समझा कि जीवन का अर्थ केवल कर्म और सत्य में है। गीता जयंती (gita jayanti) के दिन तुम्हारा हृदय भी जाग उठा — धर्म के प्रकाश से।
गीता दान और जनजागृति अभियान
गीता जयंती (gita jayanti) पर भक्तजन गीता दान सेवा में भाग लेकर इस पवित्र ग्रंथ को लोगों तक पहुँचाते हैं।
इस्कॉन जैसे संगठन हर वर्ष हजारों भगवद्गीताओं का वितरण करते हैं ताकि हर व्यक्ति तक शांति, सद्भावना और धर्म का संदेश पहुँचे।
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तुम जब गीता जयंती (gita jayanti) पर भगवद्गीता का पाठ करते हो, तो तुम्हें एहसास होता है कि हर श्लोक सीधे तुम्हारे जीवन से बात करता है। श्रीकृष्ण के शब्द तुम्हारे भीतर आत्मविश्वास और स्थिरता भरते हैं। तुम्हें लगता है कि जीवन का हर निर्णय अब स्पष्ट है — क्योंकि तुमने “गीता” को केवल पढ़ा नहीं, जीना शुरू कर दिया है।
गीता जयंती (gita jayanti) से जुड़े सवाल (FAQs)
गीता जयंती (gita jayanti) कब मनाई जाती है?
गीता जयंती (gita jayanti) हर साल मार्गशीर्ष माह की शुक्ल एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह वही दिन है जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था। वर्ष 2025 में गीता जयंती (gita jayanti) 1 दिसंबर (सोमवार) को मनाई जाएगी।
गीता जयंती (gita jayanti) क्यों मनाई जाती है?
यह दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया दिव्य उपदेश याद करने के लिए मनाया जाता है। गीता जयंती (gita jayanti) हमें जीवन में धर्म, कर्तव्य और कर्म के वास्तविक अर्थ की याद दिलाती है। यह दिन आध्यात्मिक जागृति और आत्मबोध का प्रतीक है।
गीता जयंती (gita jayanti) का महत्व क्या है?
गीता जयंती (gita jayanti) का महत्व इस तथ्य में निहित है कि भगवद्गीता जीवन का परम मार्गदर्शन ग्रंथ है। इसके उपदेशों से व्यक्ति को दुखों से मुक्ति, ज्ञान की प्राप्ति और आत्मिक शांति मिलती है। यह दिन कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग के सिद्धांतों को जीवन में अपनाने का अवसर प्रदान करता है।
कुरुक्षेत्र में गीता जयंती (gita jayanti) क्यों मनाई जाती है?
कुरुक्षेत्र वही पवित्र स्थल है जहां महाभारत युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए हर वर्ष यहां अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
गीता जयंती (gita jayanti) पर क्या करना चाहिए?
इस दिन भक्त भगवद्गीता का पाठ करते हैं, गीता दान सेवा में भाग लेते हैं और धार्मिक यज्ञ या भजन-कीर्तन करते हैं। कुछ लोग इस दिन मोक्षदा एकादशी व्रत भी रखते हैं। यह दिन आत्मचिंतन और सकारात्मक कर्म के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
गीता जयंती (gita jayanti) के ब्लॉग का निष्कर्ष
गीता जयंती (gita jayanti) हमें याद दिलाती है कि सच्चा धर्म केवल कर्म में निहित है। भगवान श्रीकृष्ण का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना महाभारत के समय था। इस दिन गीता का पाठ करना, ज्ञान का प्रसार करना और समाज में शांति का संदेश देना ही सबसे बड़ा उत्सव है।
