Ganesha Pancharatnam Lyrics: श्री गणेशा पंचरत्नम्

Ganesha Pancharatnam Lyrics

भारतीय परंपरा में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, सिद्धिदाता, बुद्धि के अधिष्ठाता और प्रथम पूज्य कहा गया है। जीवन के किसी भी शुभ प्रारम्भ से पहले गणेश जी की आराधना अनिवार्य मानी जाती है। इन्हीं की स्तुति के लिए रचित ganesha pancharatnam lyrics एक अद्भुत दिव्य स्तोत्र है, जिसे आदि शंकराचार्य ने उल्लेखनीय भाव से संजोया। पाँच श्लोकों में बँधा यह स्तोत्र गणेश जी के स्वरूप, ज्ञान, विस्तार, कृपा और शक्ति का अद्भुत वर्णन करता है।

आज के आधुनिक समय में भी भक्तजन इस स्तुति का पाठ करते हैं, क्योंकि यह मन को शांति, बुद्धि को तीक्ष्णता और आत्मा को प्रकाश प्रदान करती है। यहाँ हम Ganesha Pancharatnam Lyrics, उसका अर्थ, पाठ का महत्व, लाभ और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि—सब कुछ विस्तार से समझेंगे।

1. गणेशा पंचरत्नम् क्या है?

गणेशा पंचरत्नम् पाँच रत्नों अर्थात पाँच श्लोकों वाला गणेश स्तोत्र है। “पंचरत्न” नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इसमें पाँच अत्यंत मूल्यवान श्लोक हैं, जिनमें भगवान गणेश की दिव्यता का सार छिपा है।
आदि शंकराचार्य ने इसे संस्कृत भाषा में अत्यंत सुंदर काव्य शैली में रचा। प्रत्येक श्लोक में गहराई, दर्शन और भक्ति का संगम मिलता है।

इस स्तोत्र का मूल उद्देश्य भक्त को गणेश जी के आध्यात्मिक स्वरूप से जोड़ना और उसकी आंतरिक शक्तियों को जागृत करना है। यही कारण है कि आज भी इसके पाठ से मानसिक शांति, एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

यदि आप अपने जीवन से विघ्न दूर करना चाहते हैं, तो गणेश संकट नाशन स्तोत्र का भी पाठ करें।

2. Ganesha Pancharatnam Lyrics – संपूर्ण संस्कृत पाठ

श्लोक 1
मुदाकरात्तमोदकं सदार्चितप्रपुजितं
सुरासुरैर्युपासनारतं नमस्विनं।
विनायकं विना नयं विघातकं सुधाकरं
कृपाकरं त्रिलोचनं भजेम वक्रतुण्डकम॥

श्लोक 2
नटन्तमेव नान्तरं न दिख्यते नियच्छकं
निरन्तरं हि च चित्तयन्तमेव योगिनाम्।
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुंजरं
दरेदरं करुणाकरं भजेम सिद्धिविनायकम॥

श्लोक 3
कृतान्ततारकं परात्परं पराश्रयं
स्मरारिबंधनाशकं त्रिलक्षणं सुरेश्वरम्।
कृतान्तदूतकारकं वरेश्वरं निषेधकं
भवप्रदं भवच्छिदं भजेम भूतनायकम॥

श्लोक 4
अखण्डमण्डलाक्षरं व्ययं व्यापकं विभुं
निशाकरप्रकाशकं नमद्विपक्षनायकम्।
विशुद्धबुद्धिमन्वितं समस्तचेतनालयं
कृतान्ततारकं सदा भजामि शंभुनन्दनम्॥

श्लोक 5
स्वयम्भुवं सुगन्धिनं सुवर्णवर्णबंधुरं
स्फुटात्मकं करूणाकरं नमत्सुरारिवल्लभम्।
विनष्टदोषवृत्तिदं प्रसन्नदृष्टिपातकं
विनायकं भजेम सदा गजेन्द्रमूर्ध्वजम्॥

3. Ganesha Pancharatnam Lyrics का सरल और विस्तृत अर्थ

यह पाँच श्लोक गणेश जी के स्वरूप, शक्ति, उपकार, ज्ञान और करुणा का अद्भुत चित्रण करते हैं। प्रत्येक श्लोक का भावार्थ नीचे सरल भाषा में प्रस्तुत है—

(1) पहला श्लोक – आनंद, कृपा और विघ्नविनाशक स्वरूप
पहले श्लोक में गणेश जी को मोदक प्रिय, हमेशा पूजित, सभी देवों और असुरों द्वारा सम्मानित बताया गया है।
उनका स्वरूप भक्तों के विघ्नों को नष्ट करने वाला है।
वक्रतुण्ड रूप में वे त्रिलोचन (तीन नेत्रों वाले) कहलाते हैं, जो उनकी दिव्य दृष्टि का प्रतीक है।

(2) दूसरा श्लोक – योगियों के ध्यान का केंद्र
योगी ध्यान में जिस परम चेतना का अनुभव करते हैं, वह गणेश ऊर्जा का ही रूप है।
यह श्लोक बताता है कि गणेश जी के विचार ही साधना का आधार बनते हैं।
संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा और दानव शक्तियों का विनाश उनकी कृपा से होता है।
गणेश जी “सिद्धिविनायक” कहलाते हैं क्योंकि वे हर उचित कार्य को पूर्णता देते हैं।

(3) तीसरा श्लोक – भय, मृत्यु और कष्टों के नाशक
इस श्लोक में गणेश जी को कष्टों और भय से मुक्ति दिलाने वाला बताया गया है।
वे संसार के दुखों को काटकर जीवन को सार्थक दिशा देते हैं।
साधक की सीमाओं को तोड़कर उसे शक्ति, साहस और स्थिरता प्रदान करते हैं।

(4) चौथा श्लोक – सर्वव्यापक और अविनाशी
गणेश ऊर्जा समस्त ब्रह्मांड में विद्यमान है।
वे व्यापक, अविनाशी और अनंत हैं।
सभी चेतन प्राणियों के अंदर के ज्ञान, प्रकाश और विचार का स्रोत वही हैं।
शिवनंदन होने के कारण वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा के सर्वोच्च रूप का प्रतिनिधित्व करते हैं।

(5) पाँचवाँ श्लोक – करुणा, सद्गुण और शुद्धता
अंतिम श्लोक में गणेश जी को सुगंधित, स्वर्ण वर्ण, सौम्य और करुणा से पूर्ण बताया गया है।
उनकी दृष्टि ही पाप, दोष और नकारात्मकता का नाश कर देती है।
यह श्लोक हमारे जीवन में शुभता, शांति और समृद्धि का प्रवाह लाता है।

4. Ganesha Pancharatnam Lyrics का इतिहास और उत्पत्ति

गणेशा पंचरत्नम् की रचना आदि शंकराचार्य ने की मानी जाती है।
जब वे भारत भ्रमण पर थे, तब उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में भक्तिपूर्ण स्तोत्र रचे।
संस्कृत पर उनकी पकड़ और काव्य सौंदर्य ने इस स्तुति को कालजयी बना दिया।
उनका उद्देश्य था—भक्तों में ज्ञान, भक्ति, मोक्ष और विवेक के चार स्तंभों को स्थापित करना।

गणेश जी को बुद्धि और विवेक का देवता माना जाता है, इसलिए यह स्तोत्र साधक के भीतर स्थित बुद्धि-शक्ति को जागृत करता है।
दक्षिण भारत में यह स्तुति विशेष लोकप्रिय है, और कई गणेश मंदिरों में प्रतिदिन इसका पाठ होता है।

5. Ganesha Pancharatnam Lyrics के पाठ का महत्व

बुद्धि का विकास
गणेश जी को “बुद्धि के देवता” कहा गया है।
इस स्तोत्र के उच्चारण से स्मरण शक्ति और निर्णय क्षमता बढ़ती है।

विघ्नों का नाश
जीवन में आने वाली बाधाएँ—व्यापार में समस्या, पढ़ाई में रुकावट, मन में उलझन—सबका समाधान इस स्तुति से मिलता है।

तनाव कम होता है
श्लोकों की लय मानसिक शांति प्रदान करती है।
नकारात्मक विचार कम होते हैं।

परिवार में शुभ ऊर्जा
दैनिक पाठ से घर में सकारात्मकता, सौभाग्य और समृद्धि का वातावरण बनता है।

आत्मिक शक्ति में वृद्धि
साधक के भीतर साहस, धैर्य, स्थिरता और आध्यात्मिक शक्ति का संचार होता है।

6. Ganesha Pancharatnam Lyrics कैसे पढ़ें? (पाठ विधि)

  1. सुबह स्नान के बाद गणेश जी के सामने दीप प्रज्वलित करें।
  2. शांत मन से बैठकर पहले गणेश मंत्र “ॐ गं गणपतये नमः” का 11 बार जाप करें।
  3. इसके बाद पूरे भाव से पंचरत्नम् का पाठ करें।
  4. उच्चारण धीरे और स्पष्ट हो।
  5. यदि संभव हो तो पाठ के बाद गणेश चालीसा या गणेश स्तुति पढ़ें।

7. गणेशा पंचरत्नम् के चमत्कारी लाभ

  • बुद्धि और विवेक स्थिर होते हैं
  • डर, चिंता और तनाव दूर होता है
  • कार्यों में सफलता प्राप्त होती है
  • परीक्षा, नौकरी और व्यापार में उन्नति मिलती है
  • घर में शांति और सौहार्द बढ़ता है
  • साधक की आध्यात्मिक ऊर्जा प्रबल होती है
  • मन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ता है

              अधिक भक्ति वीडियो और मंत्र उच्चारण के लिए विजिट करें Bhakti Uday Bharat YouTube चैनल।

              8. निष्कर्ष

              Ganesha Pancharatnam Lyrics केवल पाँच श्लोकों का स्तोत्र नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है।
              आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह स्तुति हर भक्त को आंतरिक बल, बुद्धि और शांति प्रदान करती है।
              यदि कोई व्यक्ति इसे प्रतिदिन श्रद्धा से पढ़े, तो वह न केवल विघ्नों से मुक्त होता है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतुलन भी प्राप्त करता है।

              गणेश जी की कृपा हर उस भक्त पर रहती है जो सच्चे मन से उनकी आराधना करता है।
              यह स्तोत्र जीवन को सहज, सुंदर और सकारात्मक बनाने वाला श्रेष्ठ साधन है।

              Leave a Comment

              आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

              Scroll to Top