माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)कौन हैं?
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है। ‘ब्रह्मचारिणी’ नाम दो शब्दों से बना है – ब्रह्म (तपस्या) और चारिणी (आचरण करने वाली)। यानी तप का आचरण करने वाली देवी।
माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)तप, संयम और वैराग्य की प्रतीक हैं। उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएँ हाथ में कमंडल सुशोभित रहता है।

उत्पत्ति की कथा : माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की कहानी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)वही पार्वती हैं जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
सती का आत्मदाह और पुनर्जन्म
प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर देवी सती ने योगाग्नि से अपना देह त्याग दिया। इसके बाद महादेव गहन तप में लीन हो गए और सृष्टि संकट में पड़ गई। तब देवी आदिशक्ति ने हिमालय और मैना के घर पुत्री रूप में जन्म लिया और पार्वती कहलायीं।
कठोर तपस्या का आरंभ
जब नारद जी ने बताया कि पार्वती का विवाह महादेव से होगा, तो देवी ने वन में जाकर कठोर तपस्या प्रारंभ की।
- पहले वर्षों तक फल और पुष्प खाकर रही।
- फिर सूखे बिल्वपत्रों पर निर्वाह किया।
- अंततः वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या में लीन रहीं।
उनकी इस कठिन साधना से प्रसन्न होकर देवताओं और ऋषियों ने आशीर्वाद दिया कि उनकी सभी इच्छाएँ पूरी होंगी और उनका विवाह भगवान शिव से ही होगा। यही तपस्या और संयम माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)के स्वरूप का आधार बना।
माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)का स्वरूप
- दाहिने हाथ में अक्षय जपमाला
- बाएँ हाथ में कमंडल
- वस्त्र – श्वेत और सरल
- वाहन – पदयात्रा (पैदल चलने वाली)
उनका स्वरूप अत्यंत शांत, तपस्विनी और ज्ञानदायिनी है।
पूजा विधि : नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की विधिपूर्वक पूजा करते हैं।
पूजा सामग्री
- स्वच्छ जल, कलश, पुष्प, अक्षत
- रोली, चंदन, धूप, दीप
- मौली, नैवेद्य (फल, मिश्री, पान)
पूजन विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- देवी ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा/चित्र को स्थापित करें।
- कलश स्थापना कर, देवी का आह्वान करें।
- अक्षत, पुष्प, धूप, दीप अर्पित करें।
- नीचे दिए गए मंत्रों का जप करें।
माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)मंत्र और श्लोक
मुख्य मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः॥
स्तुति श्लोक
दधाना कर पद्माभ्यामक्ष माला कमण्डलु ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
अर्थ:
हे माँ! जिनके हाथों में जपमाला और कमंडल है, वे सर्वोत्तमा ब्रह्मचारिणी देवी मुझ पर कृपा करें।
माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की महिमा और लाभ
- साधक के जीवन में तप, संयम और वैराग्य का संचार होता है।
- जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी मनोबल और धैर्य मिलता है।
- स्वाधिष्ठान चक्र की ऊर्जा जागृत होती है।
- अविवाहित कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है।
- भक्त को सिद्धि, विजय और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
एक छोटे से गाँव में एक कन्या रोज़ माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की पूजा करती थी। उसका जीवन कठिनाइयों से भरा था, परंतु उसने धैर्य और तपस्या का मार्ग नहीं छोड़ा। समय बीतते-बीतते उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया, और लोग उसे आदर्श मानने लगे। माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की कृपा से उसे योग्य साथी, सम्मान और सुख-समृद्धि प्राप्त हुई। यह कथा हमें बताती है कि श्रद्धा और संयम से असंभव भी संभव हो जाता है।
जीवन सीख : माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)का संदेश
माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)का स्वरूप हमें सिखाता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी तप, धैर्य और संयम बनाए रखना चाहिए।
जिस प्रकार देवी ने कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्राप्त किया, उसी प्रकार इंसान भी मेहनत और संयम से अपने लक्ष्य को पा सकता है।
जब आप माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की पूजा करते हैं, तो आपके भीतर असीम धैर्य और साहस का संचार होता है। जीवन की चुनौतियाँ चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, देवी की कृपा से आप संतुलित और संयमी बने रहते हैं। उनकी साधना से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है और योग्य अवसर आपके जीवन में आते हैं। नवरात्रि के इस दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की भक्ति आपको शक्ति, सफलता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
ब्रह्मचारिणी माता (brahmacharini mata) से जुड़े सवाल (FAQs)
ब्रह्मचारिणी माता (brahmacharini mata) को क्या चढ़ाना चाहिए
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की पूजा में विशेष रूप से सफेद वस्त्र, श्वेत पुष्प, कमल, अक्षत, मिश्री, पान और शुद्ध घी का दीपक अर्पित करना शुभ माना जाता है। भोग के रूप में माँ को शक्कर और मिश्री अति प्रिय है। मान्यता है कि इन प्रसाद और भेंटों से माता प्रसन्न होकर भक्त को दीर्घायु, शांति, संयम और वैवाहिक सुख का आशीर्वाद देती हैं।
देवी ब्रह्मचारिणी का पसंदीदा रंग कौन सा है
देवी ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग सफेद (श्वेत) है। यह रंग पवित्रता, सादगी, संयम और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त प्रायः सफेद वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं और देवी को श्वेत पुष्प अर्पित करते हैं। ऐसा करने से साधक को शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
ब्रह्मचारिणी माता (brahmacharini mata) की सवारी कौन सी है
माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)की सवारी पदयात्रा (पैदल चलना) है। उनका स्वरूप अत्यंत सरल, तपस्विनी और संयमित है, इसलिए वे किसी वाहन पर आरूढ़ नहीं होतीं। यह उनके कठोर तप, वैराग्य और साधना का प्रतीक माना जाता है। पदयात्रा से यह संदेश मिलता है कि जीवन में धैर्य और परिश्रम के साथ आगे बढ़ना ही सच्ची सफलता का मार्ग है।
ब्रह्मचारिणी माता (brahmacharini mata) को क्या भोग लगाया जाता है
नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)को शक्कर और मिश्री का भोग अति प्रिय माना गया है। भक्तजन देवी को मिश्री, शक्कर, पान और फल अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस भोग से माँ प्रसन्न होकर साधक को स्वास्थ्य, दीर्घायु, संयम, मानसिक शांति और वैवाहिक सुख का आशीर्वाद देती हैं। शुद्ध हृदय और श्रद्धा से लगाया गया यह भोग साधक के जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
माता का नाम ब्रह्मचारिणी क्यों पड़ा
माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप को ब्रह्मचारिणी कहा जाता है। यह नाम दो शब्दों से बना है – “ब्रह्म” अर्थात् तपस्या और “चारिणी” अर्थात् आचरण करने वाली। यानी, जो तप का आचरण करे वही ब्रह्मचारिणी कहलाती हैं। देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप और संयम का पालन किया। इसी कारण उनका यह स्वरूप “ब्रह्मचारिणी” नाम से प्रसिद्ध हुआ।
ब्रह्मचारिणी माता (brahmacharini mata) के ब्लॉग का निष्कर्ष
माँ ब्रह्मचारिणी (brahmacharini mata)नवरात्रि के दूसरे दिन पूजित होती हैं और उनका स्वरूप तपस्या, संयम और वैराग्य का आदर्श है। उनकी उपासना से साधक को शक्ति, धैर्य और सिद्धि प्राप्त होती है। भक्त यदि श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करें, तो जीवन की सभी कठिनाइयाँ दूर होकर सफलता और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग की जानकारी धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है, जिसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है। यदि हमारे कंटेंट से किसी को कोई असुविधा हो, तो कृपया हमसे संपर्क करें।