Chandra grahan 2026: चंद्र ग्रहण 2026

chandra grahan 2026

Chandra Grahan 2026: तिथि, समय, प्रकार, धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

चंद्र ग्रहण एक अद्भुत खगोलीय घटना है, जो तब घटित होती है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर चंद्रमा को अपनी छाया में ढक लेती है। वर्ष 2026 में भी ऐसा ही रोचक और महत्वपूर्ण दृश्य आकाश में दिखाई देगा। इस ग्रहण का इंतजार खगोल विज्ञान प्रेमियों, ज्योतिष के जानकारों और धार्मिक दृष्टि से ग्रहण को महत्व देने वाले लोगों—सभी को रहता है।
chandra grahan 2026 कई दृष्टियों से खास रहेगा क्योंकि यह वर्ष अपनी अवधि, प्रकार और दृश्यता के आधार पर उल्लेखनीय है।

इस लेख में हम चंद्र ग्रहण 2026 की तिथि, समय, सूतक काल, धार्मिक मान्यताएँ, वैज्ञानिक तथ्य, सावधानियाँ और प्रभाव से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी विस्तार से जानेंगे।

यदि आप ‘मोक्षदा एकादशी 2025’ पढ़ना चाहते हैं, तो यहाँ क्लिक करें — मोक्षदा एकादशी 2025

Chandra Grahan 2026 क्या है?

जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तब सूर्य की किरणें चंद्रमा तक नहीं पहुँच पातीं। यही स्थिति चंद्र ग्रहण कहलाती है। यह पूर्ण, आंशिक और उपच्छाया (पेनुम्ब्रल) तीन प्रकार का होता है। ग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन ही लगता है क्योंकि उसी दिन सूर्य-चंद्रमा के बीच पृथ्वी का संरेखण संभव होता है।

वर्ष 2026 का चंद्र ग्रहण खगोलीय गणना के अनुसार विशेष माना जा रहा है क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा, लेकिन इसका प्रभाव कई क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

2026 में चंद्र ग्रहण कब लगेगा?

ग्रहण से संबंधित मुख्य जानकारी नीचे दी गई है:

  • तिथि : 3 मार्च 2026
  • दिन : मंगलवार
  • ग्रहण का प्रकार : उपच्छाया चंद्र ग्रहण (Penumbral Lunar Eclipse)
  • दृश्यता : भारत में आंशिक रूप से दिखाई देगा (खगोल दृष्टि से), धार्मिक दृष्टि से मान्य नहीं)
  • ग्रहण का आरंभ : लगभग रात 09:20 बजे
  • ग्रहण का मध्य : रात 11:30 बजे के आसपास
  • ग्रहण का समापन : रात 01:40 बजे (4 मार्च की सुबह)
  • कुल अवधि : लगभग 4 घंटे 20 मिनट

(समय खगोलीय अनुमान पर आधारित है, आपके शहर के अनुसार कुछ मिनट का अंतर संभव है।)

क्या 2026 का चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा?

हां, भारत में यह ग्रहण दिखेगा, लेकिन यह उपच्छाया ग्रहण है।
उपच्छाया ग्रहण में चंद्रमा पर सिर्फ हल्का-सा अंधेरा पड़ता है, जिसे आमतौर पर सामान्य व्यक्ति आसानी से नहीं देख पाता।

धार्मिक दृष्टि से उपच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण नहीं माना जाता, इसलिए इसके लिए सूतक काल लागू नहीं होता

सूतक काल – लागू या नहीं?

2026 के इस चंद्र ग्रहण के लिए भारत में सूतक काल मान्य नहीं है, क्योंकि:

  • हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार
    केवल पूर्ण और आंशिक चंद्र ग्रहण में ही सूतक काल लागू होता है।

उपच्छाया ग्रहण में सूतक काल का पालन करने की आवश्यकता नहीं होती।
फिर भी कुछ लोग व्यक्तिगत श्रद्धा के अनुसार सावधानी बरतते हैं।

धार्मिक मान्यता के अनुसार चंद्र ग्रहण का महत्व

हिंदू संस्कृति में ग्रहण का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ग्रहण काल में वातावरण की उर्जा बदलती है।
हालांकि यह ग्रहण उपच्छाया है, फिर भी इसके बारे में धार्मिक मान्यताएँ समझना आवश्यक है:

1.मंत्र जाप

ग्रहण अवधि में मंत्रों का जाप करने से फल अनेक गुना बढ़ जाता है।

2.ध्यान और प्रार्थना

ध्यान और साधना को ग्रहण काल में अत्यंत शुभ माना गया है।

3.दान का महत्व

ग्रहण समाप्ति के बाद दान-पुण्य करना श्रेष्ठ माना जाता है, हालांकि यह उपच्छाया ग्रहण होने के कारण धार्मिक बाध्यता नहीं है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण 2026

विज्ञान ग्रहण को प्राकृतिक घटना के रूप में देखता है।
खगोल विज्ञान के अनुसार 3 मार्च 2026 को पृथ्वी अपनी उपच्छाया (Penumbral Shadow) में चंद्रमा को ले जाएगी।

Chandra Grahan 2026 के वैज्ञानिक तथ्य:

  • चंद्रमा पर पड़ने वाली पृथ्वी की हल्की छाया उसकी चमक कम कर देगी।
  • ग्रहण को दूरबीन, टेलीस्कोप या विशेष कैमरा तकनीक से साफ देखा जा सकता है।
  • वैज्ञानिक अध्ययन के लिए यह ग्रहण उपयोगी रहेगा क्योंकि इससे पृथ्वी के वातावरण और छाया की संरचना का अध्ययन किया जा सकता है।
  • यह ग्रहण प्रकृति के नियमों का एक शानदार प्रदर्शन है, जिसका मानव जीवन या शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।

ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें? (परंपरागत मान्यताओं के आधार पर)

हालांकि चंद्र ग्रहण 2026 का सूतक काल मान्य नहीं है, फिर भी कई लोग पारंपरिक सावधानियों का पालन करते हैं:

करें (Do’s):

  • ग्रहण के दौरान मंत्र या ध्यान में मन लगाएँ
  • साफ आसमान में टेलीस्कोप से ग्रहण का अवलोकन करे
  • ग्रहण के बाद स्नान करें (यदि व्यक्तिगत रूप से मानते हैं)
  • भोजन में तुलसी डालना शुभ माना जाता है

न करें (Don’ts):

  • गर्भवती महिलाओं को पुरानी परंपराओं में कुछ सावधानियाँ बताई गई हैं, पर यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं हैं
  • सोने से बचें, बल्कि कुछ समय अध्ययन या ध्यान को दें
  • ग्रहण के दौरान भोजन करने से परहेज़ मान्यता है, पर यह वैज्ञानिक रूप से आवश्यक नहीं

Chandra Grahan 2026 का राशियों पर प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र ग्रहण को ग्रहों की स्थिति में बदलाव के सूचक के रूप में देखता है। ग्रहण उपच्छाया होने के कारण इसका प्रभाव सीमित माना जाता है, लेकिन कुछ राशियों पर हल्का-सा मानसिक और ऊर्जा स्तर में परिवर्तन महसूस हो सकता है।

सामान्य प्रभाव:

  • मानसिक तनाव बढ़ सकता है
  • भावनाओं में अस्थिरता
  • निर्णय लेने में थोड़ी कठिनाई
  • आत्मनिरीक्षण का समय

कौन-सी राशियाँ सतर्क रहें?

  • वृश्चिक
  • कुंभ
  • मकर

कौन-सी राशियाँ लाभ में रहेंगी?

  • कर्क
  • कन्या
  • मीन

(ये सामान्य ज्योतिषीय धारणाएँ हैं, व्यक्तिगत कुंडली के अनुसार प्रभाव अलग होता है।)

चंद्र ग्रहण के दौरान वैज्ञानिक अवलोकन

यदि आप विज्ञान और खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं, तो यह ग्रहण देखने का एक उत्कृष्ट अवसर है।

अवलोकन के लिए सुझाव:

  • खुले स्थान पर जाएँ
  • आकाश बादलों से मुक्त हो
  • एक बेसिक टेलीस्कोप या बाइनोकुलर मददगार होंगे
  • मोबाइल कैमरा से टाइम-लैप्स वीडियो भी बनाया जा सकता है

यदि आप रोज़ाना भक्तिमय वीडियो और हनुमान जी से जुड़े पाठ सुनना चाहते हैं, तो हमारे YouTube चैनल पर जाएँ— Bhakti Uday Bharat

Chandra Grahan 2026 पर निष्कर्ष

3 मार्च 2026 का चंद्र ग्रहण (chandra grahan 2026) एक रोचक खगोलीय घटना है जो वैज्ञानिक, धार्मिक और ज्योतिषीय तीनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है।
हालांकि यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण है और सूतक काल मान्य नहीं है, फिर भी उत्सुक लोगों के लिए यह रात बेहद खास होगी।

चंद्रमा पर पृथ्वी की हल्की छाया का यह दृश्य प्रकृति के अद्भुत नियमों का अनोखा प्रमाण है। यह अवसर हमें ब्रह्मांड की सुंदरता और उसकी विशालता का एहसास कराता है।
खगोल विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए यह एक बेहतरीन मौका है, जबकि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी यह कुछ राशियों पर हल्का प्रभाव छोड़ सकता है।

Leave a Comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Scroll to Top