
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अत्यंत विशेष स्थान है। वर्ष भर आने वाली चौबीस एकादशियों में से मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी केवल मोक्षदा एकादशी मानी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा और नियमों के साथ करने से साधक के पाप नष्ट होते हैं, पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है और आत्मा शांति की ओर अग्रसर होती है। Mokshada Ekadashi 2025 आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ अवसर माना जा रहा है, क्योंकि यह साधकों को आत्मिक उन्नति और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कराने वाला पावन दिन है।
मोक्षदा एकादशी 2025 कब है?
Mokshada Ekadashi 2025 का व्रत सोमवार, 1 दिसंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह पवित्र तिथि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ती है, जिसे गीता जयंती के रूप में भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, इसी दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्धभूमि में श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य उपदेश दिया था।
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मोक्षदा एकादशी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
मोक्षदा एकादशी का मुख्य उद्देश्य जीवात्मा को पाप बंधनों से मुक्त कर मोक्ष के मार्ग पर अग्रसर करना है। ऐसा माना जाता है कि:
- इस दिन किया गया व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों को नष्ट कर देता है।
- पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनकी आत्मा को दिव्य लोक में स्थान मिलता है।
- साधक के जीवन में ज्ञान, धर्म और सत्य का मार्ग प्रशस्त होता है।
- भगवान विष्णु के आशीर्वाद से परिवार में समृद्धि, शांति और सौभाग्य स्थापित होता है।
पुराणों में इसका गौरव इसी कारण विशेष रूप से वर्णित है। पद्म पुराण में वर्णित कथा भी इस एकादशी की अद्भुत महिमा को प्रमाणित करती है।
मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा
पद्म पुराण के अनुसार, एक बार चंपकवन में वैखानस नामक एक धर्मनिष्ठ राजा होता था। वह प्रजा का भली-भांति पालन करता था। एक दिन उसे स्वप्न में पता चला कि उसके पिता दुखभोग कर रहे हैं और उन्हें मोक्ष नहीं प्राप्त हो पा रहा है। राजा अत्यंत व्यग्र हुआ और समाधान खोजने के लिए महर्षि पर्वत के आश्रम पहुँचा।
महर्षि ने राजा को मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का व्रत करने का निर्देश दिया और कहा कि व्रत का पुण्य अपने पिता को समर्पित कर दें। राजा ने पूर्ण श्रद्धा से व्रत कर उसका फल अपने पिता को अर्पित किया। इसके परिणामस्वरूप उसके पिता को तत्काल मोक्ष मिला। इसीलिए इस तिथि को मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी कहा गया।
मोक्षदा एकादशी व्रत की विधि
Mokshada Ekadashi 2025 के दिन व्रत करने का शुभ विधान इस प्रकार है—
1.प्रातःकालीन तैयारी
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
- घर में स्वच्छता और पवित्रता बनाए रखें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
2.पूजन सामग्री
- तुलसी दल
- पीले पुष्प
- गंगाजल
- पंचामृत
- धूप, दीप, नैवेद्य
- श्री विष्णु सहस्रनाम या गीता ग्रंथ
3.पूजन विधि
- भगवान विष्णु के चित्र या मूर्ति का विधिवत अभिषेक करें।
- पीले वस्त्र अर्पित करें।
- तुलसी और पीले पुष्प चढ़ाएँ।
- गीता का पाठ करें, विशेषकर गीता जयंती होने के कारण इसे अत्यंत फलदायी माना जाता है।
4.व्रत नियम
- पूरे दिन निराहार रहें या केवल फलाहार करें।
- द्वादशी तिथि में परायण (व्रत खोलना) किया जाता है।
- व्रत के दौरान क्रोध, छल-कपट और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती का दुर्लभ संयोग
Mokshada Ekadashi 2025 का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गीता का पाठ और विष्णु पूजा का योग साधक को विशेष आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है।
गीता में वर्णित कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग जीवन को उच्च आदर्शों की ओर उन्मुख करते हैं। इस दिन गीता के 18 अध्यायों का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
मोक्षदा एकादशी के लाभ
मोक्षदा एकादशी व्रत के कई आध्यात्मिक और मानसिक लाभ मिलते हैं—
1.पापों का शमन
पुराणों के अनुसार, यह एकादशी जन्म-जन्मांतर के पापों को समाप्त कर देती है।
2.पितरों की मुक्ति
व्रत का फल पितरों को अर्पित करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3.मन की शांति
व्रत, ध्यान और पूजा से मन स्थिर होता है और चिंताएँ कम होती हैं।
4.आध्यात्मिक उन्नति
साधक को भक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
5.परिवार में सुख-समृद्धि
विष्णु कृपा से परिवार में सौभाग्य, सेहत और समृद्धि बनी रहती है।
मोक्षदा एकादशी पर क्या करें और क्या न करें?
क्या करें
- भगवान विष्णु के नामों का जाप करें।
- गीता का पाठ करें।
- दान-पुण्य करें, विशेषकर भोजन और वस्त्र दान।
- तुलसी की पूजा अवश्य करें।
क्या न करें
- मद्यपान, मांसाहार, तामसिक आहार से दूर रहें।
- कटु वाणी का प्रयोग न करें।
- फिजूलखर्ची और अनावश्यक विवाद से बचें।
मोक्षदा एकादशी 2025 का सामाजिक और पारिवारिक महत्व
Mokshada Ekadashi 2025 केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि परिवार और समाज में नैतिक मूल्यों को जागृत करने का भी अवसर है।
इस दिन परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर गीता का पाठ कर सकते हैं, जिससे घर का वातावरण सकारात्मक बनता है।
साथ ही, दान-पुण्य करने से समाज में सहयोग और सेवा की भावना बढ़ती है। यह दिन लोगों को सच्चाई, सदाचार, भक्ति और कर्तव्यपथ पर चलने की प्रेरणा देता है।
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मोक्ष प्राप्ति का आध्यात्मिक संदेश
मोक्ष का अर्थ केवल मृत्यु से मुक्ति नहीं, बल्कि जीवन में अज्ञान, भय, लोभ और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति है।
Mokshada Ekadashi 2025 हमें यह सिखाती है कि सच्ची मुक्ति उन्हीं को मिलती है जो ईश्वर में श्रद्धा रखते हुए सत्य, धर्म और कर्तव्य का पालन करते हैं।
यह दिन आत्मचिंतन, आत्मज्ञान और आत्मशुद्धि का अद्भुत अवसर है।
