दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) हर वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह दिन भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव के रूप में अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश — इन तीनों देवों का संयुक्त अवतार माना गया है। इन्हें ज्ञान, योग और सन्यास का प्रतीक कहा गया है।

दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) की तिथि और पर्व का महत्व
सनातन वैदिक उपासना में भगवान दत्तात्रेय का विशेष स्थान है। इस दिन गृहस्थ भक्त व्रत और पूजन करते हैं, जबकि संन्यासी और साधक आध्यात्मिक प्रवचनों और साधना में लीन रहते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और दक्षिण भारत में यह पर्व अत्यंत श्रद्धा से मनाया जाता है।
इस वर्ष दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) 4 दिसंबर 2025, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान की आराधना करने से साधक को ज्ञान, विवेक और जीवन के संकटों से मुक्ति प्राप्त होती है।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) की रात
पूर्णिमा की चाँदनी में एक साधक नदी किनारे बैठा जप कर रहा था। अचानक उसे लगा जैसे कोई उसके पीछे खड़ा है। पलटकर देखा तो प्रकाशमय आभा फैली हुई थी। वह बोला — “प्रभु!” और तुरंत उसका मन निर्मल हो गया। यही है दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) का चमत्कार — जब श्रद्धा सच्ची हो, तो भगवान स्वयं दर्शन देते हैं।
भगवान दत्तात्रेय का जन्म और कथा
महर्षि अत्रि और माता अनसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय का जन्म एक अद्भुत लीला के माध्यम से हुआ। कथा के अनुसार, देवी ब्रह्माणी, लक्ष्मी और रुद्राणी को अपने पतिव्रता धर्म पर गर्व हुआ। देवर्षि नारद ने उन्हें बताया कि अनसूया का सतीत्व सबसे श्रेष्ठ है। इससे प्रेरित होकर तीनों देव — ब्रह्मा, विष्णु और महेश — साधु रूप में उनके आश्रम पहुँचे।
जब उन्होंने देवी अनसूया से कहा कि हमें गोद में बिठाकर भोजन कराएं, तो माता ने अपने पातिव्रत्य बल से उन्हें शिशु रूप में परिवर्तित कर दिया। तत्पश्चात, उन्होंने प्रेमपूर्वक तीनों को दूध पिलाया। जब देवियाँ चिंतित होकर आईं, तो माता ने उन्हें पूर्व रूप में लौटा दिया। प्रसन्न होकर तीनों देवों ने अनसूया से वर माँगने को कहा। उन्होंने कहा — “आप तीनों देव मुझे पुत्र रूप में प्राप्त हों।”
तब ब्रह्मा के अंश से चंद्रमा, शिव के अंश से दुर्वासा, और विष्णु के अंश से दत्तात्रेय का अवतरण हुआ। इसलिए भगवान दत्तात्रेय को विष्णु का अवतार भी कहा जाता है।
भगवान दत्तात्रेय का स्वरूप और शिक्षाएं
भगवान दत्तात्रेय सर्वज्ञ, योगी और गुरु हैं। उन्होंने मानवता को यह संदेश दिया कि सच्चा ज्ञान आत्मबोध में निहित है। वे “अखिल गुरु” के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनके तीन मुख त्रिमूर्ति के प्रतीक हैं — सृजन, पालन और संहार।
उनकी शिक्षाओं का सार यही है कि संसार में रहते हुए भी व्यक्ति वैराग्य, सेवा और समर्पण से मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
दत्त संप्रदाय और पूजन विधि
भगवान दत्तात्रेय के नाम पर “दत्त संप्रदाय” दक्षिण भारत में विशेष प्रसिद्ध है। इस दिन श्रद्धालु सुबह स्नान कर भगवान का ध्यान करते हैं, व्रत रखते हैं, और दत्तात्रेय स्तोत्र या दत्त जयंती कथा का पाठ करते हैं।
भक्तजन दीप जलाकर भगवान से बुद्धि, विवेक और संतुलन की कामना करते हैं। महाराष्ट्र के माहूर में तो इस दिन भव्य उत्सव और शोभायात्रा निकाली जाती है।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) और अन्य धार्मिक पर्वों का संबंध
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) की भक्ति भावना और शुद्धता का संबंध अन्य शुभ पर्वों से भी है। जैसे कि गीता जयंती (gita jayanti) का संदेश भी यही है — कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
इसी प्रकार, मोक्षदा एकादशी (mokshada ekadashi) के व्रत से मुक्ति का मार्ग प्राप्त होता है, जबकि विवाह पंचमी (vivah panchami) पर भगवान राम और सीता का दिव्य मिलन प्रेम और धर्म का संदेश देता है।
इन सभी पर्वों का मूल भाव “भक्ति से मुक्ति” का ही है।
भगवान दत्तात्रेय की कृपा और साधना का रहस्य
भगवान दत्तात्रेय को “स्मृतिगामी” कहा गया है — अर्थात जो भक्त के स्मरण मात्र से ही उपस्थित हो जाते हैं। जो व्यक्ति सच्चे मन से उनका नाम जपता है, उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है।
मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को उनका स्मरण करने से समस्त पापों का नाश होता है और मन को दिव्य शांति प्राप्त होती है।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) का आध्यात्मिक संदेश
यह पर्व हमें सिखाता है कि भक्ति, ज्ञान और त्याग तीनों मिलकर जीवन को पूर्ण बनाते हैं। जैसे भगवान दत्तात्रेय ने तीनों गुणों का संतुलन दिखाया, वैसे ही मनुष्य को भी भौतिक जीवन और आध्यात्मिक साधना के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।
जब तुम दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) की सुबह मंत्रोच्चारण करते हो, तो वह सिर्फ़ शब्द नहीं — एक ऊर्जा बन जाती है। तुम्हारे भीतर का भय मिटता है, और मन में शांति उतरती है। यदि तुम सच्चे मन से दत्तात्रेय भगवान का ध्यान करोगे, तो वे तुम्हारे हर संकट को अपने करुणामय स्पर्श से दूर कर देंगे। यही इस पावन दिन की सच्ची साधना है।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) से जुड़े सवाल (FAQs)
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) कब मनाई जाती है?
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) हर वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व 4 दिसंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान दत्तात्रेय के जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया जाता है।
भगवान दत्तात्रेय कौन हैं और उनका जन्म कैसे हुआ?
भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु और महेश — इन तीनों देवताओं का संयुक्त अवतार हैं। उनका जन्म महर्षि अत्रि और माता अनसूया के घर हुआ था। कथा के अनुसार, अनसूया के पतिव्रत बल से तीनों देव शिशु बने और बाद में उन्हीं से भगवान दत्तात्रेय प्रकट हुए।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) पर कौन-कौन से नियम या व्रत रखे जाते हैं?
भक्तजन इस दिन व्रत, ध्यान और दत्त स्तोत्र का पाठ करते हैं। पूजा में भगवान को पंचामृत स्नान कराया जाता है और दीपदान किया जाता है। कई लोग पूरे दिन उपवास रखकर शाम को आरती और भोग लगाते हैं।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
यह दिन ज्ञान, योग और त्याग के त्रिगुण का प्रतीक है। दत्तात्रेय भगवान की आराधना करने से साधक को आत्मज्ञान, विवेक और जीवन के कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है। यह दिन गुरु-तत्व की साधना के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) कहाँ-कहाँ विशेष रूप से मनाई जाती है?
महाराष्ट्र के माहूर, गुजरात, मध्य प्रदेश, और दक्षिण भारत के कई भागों में दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। माहूर में इस दिन विशाल शोभायात्रा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) के ब्लॉग का निष्कर्ष
दत्तात्रेय जयंती (dattatreya jayanti) केवल एक पर्व नहीं, बल्कि ज्ञान, योग और भक्ति का संगम है। यह दिन हमें सिखाता है कि सच्चा धर्म वही है जो अहंकार मिटाकर ईश्वर में समर्पण सिखाए। भगवान दत्तात्रेय की उपासना से मनुष्य को न केवल आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में विवेक, संतुलन और करुणा का विकास भी होता है।
इस पूर्णिमा के दिन यदि आप श्रद्धा, ध्यान और सेवा का संकल्प लें, तो निश्चित ही भगवान दत्तात्रेय की कृपा से आपका जीवन प्रकाशमय हो उठेगा।
जय दत्तात्रेय भगवान
