यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में 3,291 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक दिव्य तीर्थस्थल है। यह चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव माना जाता है और यमुना नदी के पवित्र उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) देवी यमुना को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में पवित्रता, करुणा और जीवन के प्रवाह की प्रतीक माना गया है।

यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) का इतिहास
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) का निर्माण 19वीं शताब्दी में गढ़वाल नरेश प्रत्याहारी सुदर्शन शाह ने करवाया था। बाद में इसका पुनर्निर्माण तेज सिंह द्वारा किया गया। कहा जाता है कि यहाँ ऋषि असित मुनि तपस्या करते थे, और देवी यमुना स्वयं उनकी आराधना स्वीकार करने आती थीं।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) बंदरपूंछ पर्वत की तलहटी में स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाना जाता है। [ संबंधित: केदारनाथ मंदिर (KEDARNATH MANDIR) ]
यमुना नदी का उद्गम स्थल
यमुनोत्री से लगभग 1 किमी ऊपर कालिंदी पर्वत की ढलानों पर यमुनोत्री ग्लेशियर स्थित है, जहाँ से यमुना नदी का उद्गम होता है। हालांकि यहाँ पहुँचना कठिन है, इसलिए तीर्थयात्री यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) को ही यमुना का प्रतीक मानते हैं।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) परिसर में स्थित सूर्यकुंड (गरम जल कुंड) में श्रद्धालु प्रसाद (चावल और आलू) पकाते हैं और उसे देवी को अर्पित करते हैं।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) की वास्तुकला और विशेषताएं
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) का मुख्य शिखर लकड़ी और पत्थर से निर्मित है। भीतर देवी यमुना की मूर्ति काले पत्थर से बनी है, जबकि उनके साथ सूर्य देव की चमकदार प्रतिमा भी विराजमान है।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) के चारों ओर बर्फ से ढकी चोटियाँ और हरे-भरे देवदार के जंगल इसे दिव्यता का अनुभव कराते हैं।
यमुनोत्री धाम यात्रा मार्ग
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) तक पहुँचने का मार्ग जानकी चट्टी तक सड़क मार्ग से जाता है। वहाँ से लगभग 6 किमी की पैदल यात्रा शुरू होती है। यह ट्रेक हिमालय की वादियों, झरनों और प्राकृतिक दृश्यों से भरा हुआ है।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) यात्रा ऋषिकेश से लगभग 220 किमी दूर है।
सबसे उपयुक्त समय — मई से अक्टूबर तक।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) दर्शन समय
- खुला रहने का समय: सुबह 6:00 बजे से रात 8:00 बजे तक।
- दोपहर का अवकाश: दोपहर 12:00 बजे से 2:00 बजे तक।
- मंगला आरती: सुबह 6:30 बजे से 7:30 बजे तक।
- शयन आरती: शाम 6:30 बजे से 7:30 बजे तक।
सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) के कपाट भैया दूज के दिन बंद कर दिए जाते हैं और देवी की मूर्ति खरसाली गांव में प्रतिष्ठित की जाती है।
यमुनोत्री धाम का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, यमुना नदी सूर्य देव और यमराज की बहन हैं। ऐसा माना जाता है कि यमुनोत्री में स्नान करने और देवी यमुना की आराधना करने से मृत्यु का भय समाप्त होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। [ पढ़ें: बृहस्पति मंत्र (brihaspati mantra) ]
जब तुम यमुनोत्री की ओर बढ़ते हो, ठंडी हवा तुम्हारे चेहरे को छूती है। हर कदम पर तुम्हें लगता है कि माँ यमुना स्वयं तुम्हारा मार्गदर्शन कर रही हैं। यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) के द्वार पर पहुँचकर जब तुम घण्टी बजाते हो, तो भीतर एक गहरी शांति उतर आती है। यही अनुभव तुम्हें बार-बार बुलाता है — देवी यमुना की छत्रछाया में लौटने के लिए।
अगर आप ध्यान, मंत्र और आध्यात्मिक लेखों में रुचि रखते हैं, तो ओम शांति हिंदी में (om shanti in hindi) भी ज़रूर पढ़ें।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) यात्रा सुझाव और महत्वपूर्ण जानकारी
- यमुनोत्री की ऊँचाई: 3,291 मीटर
- निकटतम रेल स्टेशन: देहरादून (172 किमी)
- निकटतम हवाई अड्डा: जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (200 किमी)
- रुकने के स्थान: जानकी चट्टी, हनुमान चट्टी
- निकटस्थ दर्शनीय स्थल: हनुमान चट्टी, सप्त ऋषि आश्रम
एक दिन एक यात्री जानकी चट्टी से ऊपर चढ़ रहा था। सांसें थमी थीं, पर भक्ति जीवित थी। जैसे ही यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) की घंटियाँ बजीं, बर्फ से ढकी घाटियों में “जय माँ यमुना” की गूँज फैल गई। उस क्षण उसने समझा — यह यात्रा पैरों से नहीं, विश्वास से पूरी होती है। यही है यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) का असली अर्थ — आत्मा का शुद्धिकरण।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) से जुड़े सवाल (FAQs)
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) कहाँ स्थित है?
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में, गढ़वाल हिमालय की पश्चिमी पर्वतमाला पर 3,291 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर चार धाम यात्रा का पहला तीर्थस्थल माना जाता है और यमुना नदी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) का इतिहास क्या है
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) का निर्माण 19वीं शताब्दी में गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह द्वारा करवाया गया था। बाद में इसका पुनर्निर्माण तेज सिंह ने करवाया। पौराणिक कथा के अनुसार, यहाँ ऋषि असित मुनि तपस्या करते थे, और देवी यमुना उनकी सेवा स्वयं करती थीं।
यमुनोत्री धाम तक कैसे पहुँचा जा सकता है?
यमुनोत्री धाम तक पहुँचने के लिए ऋषिकेश या देहरादून से सड़क मार्ग द्वारा जानकी चट्टी पहुँचा जाता है। वहाँ से लगभग 6 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई (ट्रेक) शुरू होती है। यह मार्ग घने जंगलों, झरनों और हिमालयी घाटियों से होकर गुजरता है।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) के दर्शन का समय क्या है?
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) के कपाट सुबह 6:15 बजे खुलते हैं और दोपहर 12:00 बजे से 2:00 बजे तक बंद रहते हैं। शाम को मंदिर फिर से 2:00 बजे से 8:00 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। सर्दियों में मंदिर बंद रहता है और देवी की पूजा खरसाली गांव में की जाती है।
यमुनोत्री धाम का धार्मिक महत्व क्या है?
देवी यमुना सूर्य देव और यमराज की पुत्री हैं। मान्यता है कि यमुनोत्री में स्नान करने से मृत्यु का भय समाप्त होता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह स्थान आत्मिक शुद्धता और अध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) के ब्लॉग का निष्कर्ष
यमुनोत्री मंदिर (yamunotri mandir) न केवल एक तीर्थस्थल है, बल्कि यह श्रद्धा, प्रकृति और दिव्यता का संगम है। यहाँ की हर घाटी और हर पत्थर देवी यमुना की उपस्थिति का अनुभव कराता है। चार धाम यात्रा का आरंभ यहीं से होता है — जहाँ भक्ति और प्रकृति एक हो जाती हैं।
