कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) 2025: स्नान-दान, पूजा विधि और उपाय

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। कार्तिक मास की अमावस्या पर विशेष स्नान, दान और पूजा की जाती है। यह दिन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला भी माना जाता है। इस दिन ही दिवाली का पर्व मनाया जाता है। आइए जानते हैं कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, उपाय, महत्त्व और इतिहास।

Kartik Amavasya
Kartik Amavasya

कार्तिक मास की अमावस्या कब है?

इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या 20 अक्टूबर 2025 दोपहर 3:45 बजे से प्रारम्भ होकर 21 अक्टूबर 2025 शाम 5:55 बजे तक रहेगी। दिवाली का पूजा निशिता काल यानि रात को किया जाता है। इसलिए इस बार दिवाली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

कार्तिक मास की अमावस्या की तिथि का निर्धारण हिंदू पंचांग के अनुसार किया जाता है। इसे कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि माना जाता है। इस दिन का समय (मुहूर्त) और शुभ घड़ी पंचांग में दर्ज होती है, ताकि पूजा और व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त हो।

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कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) का महत्व

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) को विशेष रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए शुभ माना जाता है।

  • आध्यात्मिक लाभ: मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और धार्मिक पुण्य प्राप्त होता है।
  • आर्थिक लाभ: तुलसी और गायत्री मंत्र के जाप से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
  • परिवारिक लाभ: इस दिन पूजा और व्रत करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

ऐतिहासिक दृष्टि:
संदर्भों के अनुसार, कार्तिक मास की अमावस्या पर प्राचीन काल से ही स्नान, दान और गीता पाठ का प्रचलन रहा है। इस दिन विशेष रूप से नदी, तालाब या पवित्र जल स्रोतों में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

रमेश हर साल कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) पर अपने घर की सफाई और पूजा करता है। इस बार उसने 108 बार तुलसी माला से गायत्री मंत्र का जाप किया। रात में दीपक जलाकर उसने अपने पूरे परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए प्रार्थना की। उसकी मेहनत और भक्ति से घर में सुकून और धन की वृद्धि हुई। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) पर नियमित पूजा और दान से जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है।

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) स्नान और दान का शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त: 04:44 AM से 05:35 AM तक
  • स्नान और दान: इस समय स्नान और दान करने से विशेष पुण्य और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) स्नान के नियम:

  1. ताजे जल से स्नान करें।
  2. शरीर को साफ करके विशेष वस्त्र धारण करें।
  3. स्नान के बाद तुलसी के पत्ते लेकर भगवान विष्णु को अर्पित करें।

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) दान के सुझाव:

  • गरीब और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
  • घर में किसी जरूरतमंद को भोजन कराना भी पुण्यकारी है।

सुझाव: संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि (sankashti chaturthi vrat vidhi) भी पढ़ें, इससे व्रत एवं पूजा विधि का ज्ञान बढ़ेगा।

आप जब इस कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करेंगे और तुलसी माला से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करेंगे, तो महसूस करेंगे कि आपके मन में शांति और ऊर्जा का संचार हो रहा है। दीपक जलाकर मां लक्ष्मी और विष्णु जी को भोग अर्पित करने से आपके घर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी। यह दिन आपके लिए आध्यात्मिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से बेहद लाभकारी साबित होगा।

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) पूजा विधि

  1. सुबह स्नान कर मंदिर या पूजा स्थल की सफाई करें।
  2. गणेश जी को प्रणाम करें।
  3. विष्णु जी का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें।
  4. पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें।
  5. घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  6. श्री विष्णु चालीसा का पाठ करें।
  7. तुलसी दल सहित भोग अर्पित करें।
  8. अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
  9. पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्यों के साथ दीपक जलाएं।

संदर्भ: जय गणेश जय गणेश देवा लिरिक्स (Jai Ganesh Jai Ganesh Deva Lyrics)

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) उपाय

  • तुलसी की माला से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • घर और मंदिर की सफाई करके दीपक जलाएं।
  • जरूरतमंदों को दान देना पुण्य का कारण बनता है।
  • इस दिन व्रत और पूजा नियमित रूप से करने से आत्मिक शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) को स्कंदपुराण और भागवत पुराण में विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन गीता पाठ, तुलसी पूजा और अन्नदान करने से पुण्य मिलता है। इसे दिवाली का पूर्वाभ्यास भी माना जाता है।

लक्ष्मी पूजन:

  • घर में साफ-सफाई और दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करें।
  • धन, सुख और समृद्धि के लिए तुलसी और चावल का दान करना शुभ माना गया है।

 कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) से जुड़े सवाल (FAQs)

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) क्या है?

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा, स्नान और दान का महत्व होता है। इसे आध्यात्मिक शांति और घर में समृद्धि लाने वाला दिन माना जाता है।

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) के दिन क्या करना चाहिए?

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें, घर और मंदिर की सफाई करें, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें। तुलसी माला से 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें और जरूरतमंदों को अन्न या वस्त्र दान करें। दीपक जलाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाएं।

कार्तिक मास की अमावस्या कब है?

इस वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या 20 अक्टूबर 2025 दोपहर 3:45 बजे से प्रारम्भ होकर 21 अक्टूबर 2025 शाम 5:55 बजे तक रहेगी। यह तिथि पंचांग के अनुसार निश्चित की जाती है और स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।

दीपावली अमावस्या कब है?

दीपावली अमावस्या इस वर्ष 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। यह दिन निशिता काल यानी रात में पूजा करने के लिए शुभ माना जाता है। दिवाली पर विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे घर में धन, सुख और समृद्धि आती है।

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) को दिवाली है?

हां, कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) के दिन ही दिवाली का पर्व मनाया जाता है। इस दिन घरों में दीपक जलाए जाते हैं, लक्ष्मी पूजन किया जाता है और परिवार के साथ खुशियां बांटी जाती हैं। अमावस्या का यह दिन आध्यात्मिक और आर्थिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जाता है।

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) के ब्लॉग का निष्कर्ष

कार्तिक अमावस्या (Kartik Amavasya) केवल व्रत या पूजा का दिन नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और घर में खुशहाली लाने का अवसर है। इस दिन स्नान, दान, पूजा और मंत्र जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। नियमित पूजा और दान से जीवन में समृद्धि, सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

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