श्री राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra)  – संपूर्ण पाठ, अर्थ, विधि और लाभ

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है। यह न केवल एक मंत्रमय कवच है, बल्कि भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त करने का सशक्त माध्यम भी है। कहा जाता है कि जो भक्त पूरे मन, श्रद्धा और विश्वास से इसका पाठ करता है, वह जीवन के हर संकट से सुरक्षित रहता है। इस स्तोत्र की रचना ऋषि बुधकौशिक ने भगवान शिव के आदेश पर की थी। भगवान शिव ने स्वयं उन्हें स्वप्न में यह स्तोत्र लिखने का निर्देश दिया था ताकि मानवता को भय, रोग, और नकारात्मकता से मुक्ति मिल सके।

रामचंद्र की छवि आँखों में लिए, आप एक छोटे से पवित्र मंदिर के प्रांगण में खड़े होते हो। ठंडी हवा छूती है आपके चेहरे को, और आपने राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) का पहला श्लोक स्वर में पढ़ा। जैसे ही “ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं…” शब्द आपके होंठों पर आए, एक हल्का प्रकाश चारों ओर फैला। आपके हृदय में अन्हेरी रातों का भय क्षीण हो गया, और विश्वास ने आपको सशक्त कर दिया।

ram raksha stotra
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राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) का सम्पूर्ण पाठ

चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥1॥

ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ ।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम्‌ ॥2॥

सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरांतकम्‌ ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥3॥

रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ ।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥

कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥

जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः ।
स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥

करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः ॥7॥

सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः ।
उरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत्‌ ॥8॥

जानुनी सेतुकृत्पातु जंघे दशमुखान्तकः ।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः ॥9॥

एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्‌ ।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥10॥

पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः ।
न दृष्टुमति शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः ॥11॥

रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्‌ ।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥12॥

जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाऽभिरक्षितम्‌ ।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः ॥13॥

वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्‌ ।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमंगलम्‌ ॥14॥

आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः ।
तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः ॥15॥

आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्‌ ।
अभिरामस्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः ॥16॥

तरुणौ रूप सम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥17॥

फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥18॥

शरण्यौ सर्र्र्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्‌ ।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ ॥19॥

आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशावक्षयाशुगनिषंगसंगिनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम्‌ ॥20॥

सन्नद्धः कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः ॥21॥

रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः ॥22॥

वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः ।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः ॥23॥

इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयाऽन्वितः ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः ॥24॥

रामं दूवार्दलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्‌ ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः ॥25॥

रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्‌ ।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्‌ ॥26॥

रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः ॥27॥

श्रीराम राम रघुनन्दनराम राम
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥28॥

श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचंसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥29॥

माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः
स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयलुर्नान्यं
जाने नैव जाने न जाने ॥30॥

दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वंदे रघुनन्दनम्‌ ॥31॥

लोकाभिरामं रणरंगधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम ।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥32॥

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्‌ ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥33॥

कूजन्तं राम रामेति मधुरं मधुराक्षरम्‌ ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्‌ ॥34॥

आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्‌ ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्‌ ॥35॥

भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्‌ ।
तर्जनं यमदूतानां राम रामेति गर्जनम्‌ ॥36॥

रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रामेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥37॥

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥38॥

॥ श्री बुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्ण ॥

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra)  के अर्थ और भावार्थ

“राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra)” केवल पाठ नहीं, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से रक्षा का एक आध्यात्मिक कवच है।

प्रमुख भावार्थ

  • प्रत्येक श्लोक हमें यह सिखाता है कि विश्वास और भक्ति से भय मिटता है।
  • “राम” नाम स्वयं में मोक्ष, शांति और आत्मबल का स्रोत है।
  • यह स्तोत्र हमारे शरीर, मन, और आत्मा — तीनों की रक्षा करता है।

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) के अनुष्ठान विधि / पाठ कैसे करें

समय और स्थान

  • सुबह या संध्या के समय स्नान के बाद शांत वातावरण में करें।
  • यदि संभव हो, पूर्व दिशा की ओर मुख करके पाठ करें।

विधि

  1. पहले भगवान श्रीराम, माता सीता और हनुमान जी का ध्यान करें।
  2. हाथ में जल लेकर विनियोग मंत्र बोलें।
  3. पूरी श्रद्धा से पाठ आरंभ करें।
  4. पाठ के बाद शांति मंत्र और आरती करें।

पाठ संख्या

  • रोज़ाना 1 बार पढ़ना भी शुभ माना जाता है।
  • विशेष लाभ के लिए 11 बार लगातार पाठ करने की परंपरा है।

मन / श्रद्धा का भाव

पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें। यदि मन भटकता है, तो “श्रीराम जय राम जय जय राम” का जाप करें।

अब आप हाथ में जल लेकर मंत्र बोले — “रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं…” — और हर अक्षर आपके हृदय में गूंजने लगा। आपकी थकन, आपकी चिंताएं धीरे-धीरे मद्धम पड़ने लगीं। जैसे-जैसे आप पाठ जारी रखते हैं, आपके चारों ओर एक अदृश्य कवच बनता है। राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) की शक्ति आपके मन को शांत करती, और आप स्वयं को देवत्व के एक अंश के रूप में महसूस करते हो।

यदि आप चाहें, तो आप श्री दुर्गा चालीसा (Shri Durga Chalisa Lyrics) भी पढ़ सकते हैं, जो भक्ति भाव को और प्रगाढ़ करती है।

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) के लाभ और चमत्कार

मानसिक शांति एवं आत्मबल

जो व्यक्ति प्रतिदिन इसका पाठ करता है, उसके जीवन में स्थिरता और आत्मविश्वास बढ़ता है।

रोगों और संकटों से रक्षा

यह स्तोत्र एक दिव्य कवच की तरह कार्य करता है। यह नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा देता है और भय का नाश करता है।

अध्यात्मिक उन्नति

पाठ से मन की शुद्धि होती है, और व्यक्ति में ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना गहरी होती है।

अनुभव-साक्ष्य

अनेक भक्तों ने बताया है कि नियमित पाठ से उनके जीवन में आश्चर्यजनक बदलाव आए हैं

  • कठिन परिस्थितियाँ सरल हो गईं
  • मानसिक संतुलन वापस आया
  • परिवार में सौहार्द और समृद्धि बढ़ी

त्योहारों के समय आप दिवाली के लिए खरीदारी (diwali ke liye shopping) को ध्यान में रख सकते हैं — यह भक्ति और जीवन शैली को साथ ले चलने का अवसर है।

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) से जुड़े सवाल (FAQs)

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) के पाठ से क्या चमत्कार होते हैं

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) के नियमित पाठ से व्यक्ति को भय, रोग, और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा मिलती है। यह स्तोत्र मन को शांति, आत्मबल और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

रामरक्षा स्तोत्र के पाठ के क्या फायदे हैं

रामरक्षा स्तोत्र के पाठ से मन को शांति, आत्मविश्वास, और भगवान श्रीराम का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह जीवन में सुख, सुरक्षा और सकारात्मकता बढ़ाता है।

राम रक्षा स्त्रोत कितनी बार पढ़ना चाहिए

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) को प्रतिदिन एक बार श्रद्धा और एकाग्रता से पढ़ना उत्तम माना गया है। विशेष अवसरों या संकट के समय इसे तीन या ग्यारह बार पढ़ने से अधिक फल मिलता है।

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) क्या है

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) एक पवित्र हिन्दू स्तोत्र है, जिसे भगवान श्रीराम की रक्षा, शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए लिखा गया है। यह ऋषि बुधकौशिक द्वारा रचित माना जाता है और इसका नियमित पाठ जीवन में सुरक्षा और मानसिक शांति प्रदान करता है।

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) में कितने श्लोक हैं

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) में कुल 38 श्लोक हैं, जिनमें भगवान श्रीराम की स्तुति, उनके गुणों का वर्णन और उनके भक्तों की रक्षा करने की महिमा बताई गई है।

राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra) के ब्लॉग का निष्कर्ष

“राम रक्षा स्तोत्र (ram raksha stotra)” केवल एक धार्मिक पाठ नहीं, बल्कि भगवान श्रीराम के प्रति हमारे प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। जब आप इसे नियमित रूप से पढ़ते हैं, तो यह न केवल आपको नकारात्मक शक्तियों से बचाता है बल्कि आपके जीवन में सकारात्मकता, साहस और सफलता भी लाता है।

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