नवरात्रि के पावन अवसर पर देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनमें मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) तीसरे दिन की देवी हैं। इन्हें वीरता, साहस और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र और दस हाथ हैं, जो उनके दैवीय स्वरूप और दिव्य शक्ति का परिचायक हैं। मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) अपने भक्तों को भय-मुक्ति, साहस और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती हैं।
यह परिचय न केवल मां के स्वरूप को दर्शाता है, बल्कि उनके महत्व और आशीर्वाद की भी झलक देता है।
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मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) का स्वरूप और प्रतीक
माता चंद्रघंटा (Mata chandraghanta), मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं और नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा की जाती है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माता के दस हाथ हैं, जिनमें शंख, चक्र, खड्ग और अन्य शस्त्र हैं, और उनका वाहन सिंह है। माता चंद्रघंटा (Mata chandraghanta) निर्भयता और साहस की देवी हैं, जो अपने भक्तों के लिए दयालु हैं और उनके जीवन से भय और बाधाओं को दूर करती हैं।
- स्वर्ण शरीर: माता का शरीर स्वर्ण की भांति चमकदार है।
- अर्धचंद्र: मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र।
- दस भुजाएं: शस्त्रों से सुशोभित।
- सिंह वाहन: वीरता और निर्भयता का प्रतीक।
देवी चंद्रघंटा (Devi chandraghanta), नवरात्रि के तीसरे दिन आराध्य मां दुर्गा का दिव्य स्वरूप हैं। उनके दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और मस्तक पर अर्धचंद्र का प्रतीक विराजमान है। देवी चंद्रघंटा (Devi chandraghanta) का वाहन सिंह है, जो उनके साहस और निर्भयता का प्रतीक है। इनके पूजन और मंत्र जाप से भक्तों के जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सुख-समृद्धि आती है। माता की कृपा से भय और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और साधक अपने जीवन में स्थिरता और शांति अनुभव करता है।
पौराणिक कथा और महत्व
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) देवी महाशक्ति का तीसरा नवदुर्गा स्वरूप हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर राक्षस के बढ़ते आतंक को समाप्त करने के लिए त्रिदेवों के क्रोध से मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) का जन्म हुआ। उन्होंने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की।
इनका स्वरूप केवल वीरता का प्रतीक नहीं है, बल्कि शांतिदायक और कल्याणकारी भी है। माता के आशीर्वाद से साधक आत्मविश्वास, निर्भयता और बौद्धिक क्षमता प्राप्त करता है।
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की पूजा और मंत्र
पूजा विधि: नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। उनके लिए खीर और शहद का भोग लगाया जाता है।
प्रिय रंग: भूरा और स्वर्ण।
मुख्य मंत्र:
“पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥”
अन्य मंत्र और स्तोत्र:
- ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः
- आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी।
आप शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA TEESARA DIN) की पूजा विधि और नियमों को भी जान सकते हैं।
जब आप नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की पूजा करते हैं, तो अपने मन, वचन और कर्म को पवित्र रखें। मंत्र जाप और भोग अर्पित करते समय महसूस करें कि मां आपकी हर चिंता दूर कर रही हैं। आप देखेंगे कि आपके आत्मविश्वास, साहस और बुद्धिमत्ता में वृद्धि हो रही है। मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की कृपा से आपका जीवन अधिक शांत, सुखी और समृद्ध होगा, और आप हर चुनौती का निर्भयता से सामना कर पाएंगे।
चंद्रघंटा के भक्तों के लिए लाभ
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की आराधना से साधक के पाप और बाधाएँ नष्ट होती हैं। उनके भक्त को वीरता, निर्भयता और सौम्यता मिलती है। माता की कृपा से जीवन में सुख, सौभाग्य और बौद्धिक क्षमता का विकास होता है।
साथ ही, विद्यार्थी और व्यवसायी इनकी कृपा से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए नाम के साथ नवदुर्गा चित्र (Navdurga images with name) भी देखें।
एक बार रमेश नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की पूजा करने गया। उन्होंने ध्यान और मंत्र जाप से मां का ध्यान किया। पूजा के तुरंत बाद उनके जीवन में आत्मविश्वास और साहस की भावना जाग उठी। वह अपनी नौकरी और व्यक्तिगत जीवन में निर्भयता से निर्णय लेने लगे। रमेश ने महसूस किया कि मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की कृपा से केवल भौतिक सुख ही नहीं, बल्कि मानसिक शक्ति और स्थिरता भी प्राप्त होती है।
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की आरती
जय मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
आरती के समय भक्त अपने मन में मां के प्रति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण रखें।
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) से जुड़े सवाल (FAQs)
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) कौन थीं
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta), मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं और नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा की जाती है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माता के दस हाथ हैं, जिनमें शंख, चक्र, खड्ग और अन्य शस्त्र हैं, और उनका वाहन सिंह है। देवी चंद्रघंटा (Devi chandraghanta) निर्भयता, साहस और शक्ति का प्रतीक हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, उन्होंने महिषासुर जैसे राक्षस का संहार कर देवताओं और भक्तों की रक्षा की।
चंद्रघंटा की कथा क्या है
चंद्रघंटा की कथा पौराणिक धर्मग्रंथों में वर्णित है। कहा जाता है कि महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं और पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ा दिया था। त्रिदेवों की शक्ति से उत्पन्न ऊर्जा से मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का रूप धारण किया। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र और दस हाथ हैं, जिनमें विभिन्न अस्त्र-शस्त्र हैं। मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) ने महिषासुर का वध किया और देवताओं तथा भक्तों की रक्षा की।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) न केवल निर्भयता और शक्ति की देवी हैं, बल्कि अपने भक्तों के लिए दयालु और कल्याणकारी भी हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन की कहानी क्या है
नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप, मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta), पूजनीय होता है। इस दिन की कहानी के अनुसार, महिषासुर नामक राक्षस ने पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ा दिया था। देवी दुर्गा ने त्रिदेवों की शक्ति से चंद्रघंटा का रूप धारण किया और अपने दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र लेकर महिषासुर का वध किया। इस दिन साधक उनका ध्यान और मंत्र जाप करके अपने जीवन से भय और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
माना जाता है कि इस दिन मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की आराधना से साहस, निर्भयता और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
चंद्रघंटा देवी का मंत्र क्या है
चंद्रघंटा देवी के मंत्र का जाप नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष रूप से किया जाता है। यह मंत्र उनके भक्तों के भय और बाधाओं को दूर करने, साहस और आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करता है।
मुख्य मंत्र:
“पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥”
अन्य लोकप्रिय मंत्र:
ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः
आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी।
या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मंत्र जाप के दौरान भूरा या स्वर्ण रंग का वस्त्र पहनना और भोग के रूप में खीर और शहद अर्पित करना शुभ माना जाता है।
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) का प्रिय रंग कौन सा है
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) का प्रिय रंग भूरा (Brown) और स्वर्ण (Golden) माना जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा करते समय भक्त इन रंगों के वस्त्र पहनते हैं। साथ ही, लाल और नारंगी रंग के फूल और वस्तुएं अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की कृपा अधिक फलदायी होती है और भक्त के जीवन में साहस, शक्ति और समृद्धि का वास होता है।
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) के ब्लॉग का निष्कर्ष
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) न केवल शक्ति, वीरता और साहस की देवी हैं, बल्कि अपने भक्तों के लिए दयालु और कल्याणकारी भी हैं। नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा और मंत्र जाप से भय, बाधाएँ और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सुख-समृद्धि का संचार होता है। उनके दस हाथ, सिंह वाहन और मस्तक पर अर्धचंद्र उनकी दिव्यता और अद्भुत शक्ति का प्रतीक हैं।
भक्तों को चाहिए कि वे न केवल पूजा और मंत्र जाप करें, बल्कि अपने मन, वचन और कर्म को पवित्र रखते हुए मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) के आशीर्वाद को अनुभव करें। उनके आशीर्वाद से साधक न केवल भौतिक सुख-समृद्धि, बल्कि मानसिक शक्ति, स्थिरता और आत्मविश्वास भी प्राप्त करता है।
मां चंद्रघंटा (maa chandraghanta) की कृपा से जीवन में हर संकट दूर होता है और साधक निर्भय होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है। यही कारण है कि उनकी भक्ति नवरात्रि के दौरान अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है।