कलश स्थापना विधि (kalash sthapana vidhi) : नवरात्रि में सही और सरल तरीका

नवरात्रि के पहले दिन घर में कलश स्थापना (kalash sthapana)  (kalash sthapana) (घटस्थापना) करना बेहद शुभ माना जाता है। यह पूजा न केवल देवी दुर्गा की कृपा पाने का माध्यम है, बल्कि घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। इस लेख में हम आपको कलश स्थापना (kalash sthapana)  की पूरी विधि, आवश्यक सामग्री और शुभ मुहूर्त विस्तार से बताएंगे।

कलश स्थापना (kalash sthapana) के लिए आवश्यक सामग्री

कलश स्थापना (kalash sthapana)  की शुरुआत सही सामग्री के चयन से होती है। इसके लिए आपको निम्न चीज़ों की आवश्यकता होगी:

  • मिट्टी का छोटा घड़ा और पात्र जौ बोने के लिए
  • गंगा जल
  • सुपारी और 1–2 रुपए का सिक्का
  • आम के पत्ते
  • अक्षत (कच्चे चावल)
  • मौली / कलावा / रक्षा सूत्र
  • नारियल और लाल कपड़ा / चुन्नी
  • हल्दी, फूल, दूर्वा घास
  • इत्र (वैकल्पिक)

कलश स्थापना (kalash sthapana)  की विधि: चरण-दर-चरण

1. पूजा स्थल की शुद्धि

सबसे पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। उत्तर या पूर्व-उत्तर दिशा में चौकी रखें। लाल कपड़ा बिछाकर हल्दी से अष्टदल कमल बनाएं।

आपने पूजा स्थल साफ किया और अष्टदल कमल बनाया। मिट्टी के कलश में गंगा जल, सुपारी, अक्षत और फूल डाले। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश पर रखा। दीपक जलाते ही महसूस होगा कि पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा फैल रही है। यह अनुभव आपको समझाएगा कि कलश स्थापना विधि (kalash sthapana vidhi) केवल पूजा का हिस्सा नहीं, बल्कि घर और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने का मार्ग है।

2. कलश तैयार करना

मिट्टी या तांबे के कलश में मौली बांधें। कलश के गले पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद कलश में गंगा जल भरें और उसमें सुपारी, अक्षत, सिक्का, दूर्वा और फूल डालें।

3. नारियल स्थापित करना

नारियल पर चंदन या रोली से तिलक करें और इसे लाल कपड़े में लपेटें। इसे कलश के ऊपर रखें।

4. जौ बोना और वेदी स्थापित करना

एक पात्र में साफ मिट्टी डालें और उसमें सात प्रकार के अनाज के बीज बोएं। इसे बालू की वेदी कहा जाता है। अब कलश को इस अष्टदल कमल या जौ वाले पात्र पर रखें।

5. देवताओं का आवाहन

दीप जलाकर गणेश और माता दुर्गा का आवाहन करें। संकल्प लें और नौ दिनों तक विधिवत पूजा-अर्चना करें।

राधा ने पहली बार अपने घर में नवरात्रि के दिन कलश स्थापना (kalash sthapana)  की। उसने मिट्टी का पात्र तैयार किया, जौ बोए, और कलश में गंगाजल, सुपारी और अक्षत डाले। नारियल के साथ लाल चुन्नी लपेटा और माता दुर्गा का आवाहन किया। जैसे ही दीपक जलाया, पूरे घर में एक अद्भुत शांति और ऊर्जा फैल गई। राधा ने महसूस किया कि सही विधि से की गई कलश स्थापना (kalash sthapana)  जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाती है।

कलश स्थापना (kalash sthapana)  के शुभ मुहूर्त और दिशा

  • कलश स्थापना (kalash sthapana)  के लिए उत्तम दिशा: पूर्व या उत्तर-पूर्व
  • समय: नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में
  • ध्यान दें कि कलश हमेशा साफ और शुद्ध स्थान पर स्थापित हो

नवरात्रि में कलश स्थापना (kalash sthapana)  क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा लाता है
  • देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है
  • परंपरा और संस्कृति के अनुसार सही विधि का पालन जरूरी है
  • नौ दिनों तक कलश की देखभाल और पूजा से मन और घर में शांति रहती है

कलश स्थापना विधि (kalash sthapana vidhi) से जुड़े सवाल (FAQs)

कलश में क्या डालना चाहिए

कलश स्थापना (kalash sthapana)  के दौरान कलश में निम्न वस्तुएँ डालना शुभ माना जाता है:
गंगा जल – कलश को शुद्ध और पवित्र रखने के लिए।
सुपारी – पारंपरिक रूप से कलश में समृद्धि और ऊर्जा के प्रतीक के रूप में।
अक्षत (कच्चा चावल) – समृद्धि और सुख-शांति के लिए।
सिक्का (1–2 रुपए का) – धन-समृद्धि का प्रतीक।
दूर्वा घास और फूल – देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए।
मौली / कलावा / रक्षा सूत्र – कलश को बांधने और शांति बनाए रखने के लिए।
पांच आम के पत्ते – कलश के मुंह पर रखने से शुभता बढ़ती है।
नारियल – कलश के ऊपर रखा जाता है और इसे लाल कपड़े या चुन्नी में लपेटा जाता है।
आप चाहें तो कुछ लोग इत्र या हल्दी भी डालते हैं, जिससे कलश और पूजा स्थल सुगंधित और पवित्र बने।
संक्षेप में: कलश में जल, अक्षत, सुपारी, सिक्का, फूल, दूर्वा और नारियल डालना पारंपरिक और शुभ माना जाता है।

कलश रखने का नियम क्या है

कलश स्थापना (kalash sthapana)  (घटस्थापना) के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक माना जाता है ताकि पूजा शुभ और फलदायी हो:
दिशा का ध्यान: कलश हमेशा पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। यह दिशा घर में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता लाती है।
स्थल की शुद्धि: कलश रखने से पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और साफ रखें।
चौकी का प्रयोग: कलश को लकड़ी या चौकी पर रखें, उसके नीचे लाल कपड़ा और हल्दी से अष्टदल कमल बनाना शुभ होता है।
कलश की सामग्री: कलश में गंगा जल, सुपारी, अक्षत, सिक्का, फूल, दूर्वा घास और पांच आम के पत्ते डालें।
नारियल और लाल कपड़ा: कलश के ऊपर नारियल रखें, जिसे लाल कपड़े में लपेटा गया हो।
अनाज बोना (जौ की वेदी): यदि जौ या अन्य अनाज बोकर कलश रख रहे हैं तो इसे सही तरह से स्थापित करें ताकि बीज अच्छी तरह उगें।
पूजा का समय: नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना (kalash sthapana)  करना चाहिए।
पूजा का ध्यान: कलश को नौ दिनों तक मंदिर या पूजा स्थल में रखें और आवश्यकतानुसार जल डालते रहें।
सही दिशा, शुद्धि और विधि का पालन करने से कलश स्थापना (kalash sthapana)  से घर में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और देवी दुर्गा की कृपा बनी रहती है।

कलश में नारियल कैसे रखना चाहिए

कलश स्थापना (kalash sthapana)  (घटस्थापना) में नारियल का सही ढंग से रखना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके लिए निम्न नियम अपनाएँ:
नारियल का चयन: नारियल ताजा और साफ होना चाहिए।
तिलक करना: नारियल पर रोली या चंदन से तिलक करें।
लाल कपड़े में लपेटना: नारियल को लाल कपड़े या लाल चुन्नी में लपेटकर कलश के ऊपर रखें।
रक्षा सूत्र बांधना: चुन्नी के साथ आप चाहें तो रक्षा सूत्र (मौली/कलावा) बांध सकते हैं।
सिक्का या पैसे रखना (वैकल्पिक): कुछ लोग लाल कपड़े में सिक्का या कुछ पैसे रखकर नारियल को और शुभ मानते हैं।
कलश पर स्थापना: नारियल को कलश के मुंह पर रखकर संतुलित तरीके से स्थापित करें, ताकि पूजा के दौरान वह गिर न जाए।
सही तरीके से रखा नारियल कलश को पूर्णता प्रदान करता है और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में सहायक होता है।

कलश स्थापना (kalash sthapana)  के लिए कौन सा मंत्र है

कलश स्थापना (kalash sthapana)  (घटस्थापना) के समय देवी-देवताओं को आमंत्रित करने और पूजा को शुभ बनाने के लिए निम्न मंत्रों का उच्चारण किया जाता है:

गणेश आवाहन मंत्र:
ॐ गण गणपतये नमः
– यह मंत्र गणेश जी को आमंत्रित करता है, ताकि सभी बाधाएँ दूर हों।

माता दुर्गा आवाहन मंत्र:
ॐ देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
– इस मंत्र से माता दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

संपूर्ण कलश स्थापना (kalash sthapana)  मंत्र:
ॐ त्वां गन्धर्वा अखनस्त्वां इन्द्रस्त्वां बृहस्पतिः।
 त्वामोषधे सोमो राजा विद्वान् यक्ष्मादमुच्यत।।
– यह मंत्र कलश में जल भरते समय उच्चारण किया जाता है। 

मंत्र उच्चारण करते समय ध्यान और श्रद्धा से करना चाहिए। सही विधि और मंत्र के साथ की गई कलश स्थापना (kalash sthapana)  से घर में सकारात्मक ऊर्जा और देवी दुर्गा की कृपा बनी रहती है।

कलश स्थापना (kalash sthapana)  के लिए क्या सामग्री चाहिए

नवरात्रि या किसी शुभ अवसर पर कलश स्थापना (kalash sthapana)  (घटस्थापना) के लिए निम्न सामग्री का उपयोग किया जाता है:
मिट्टी का पात्र और कलश – जौ बोने और कलश रखने के लिए।
गंगा जल – कलश और पूजा स्थल को शुद्ध रखने के लिए।
सुपारी – शुभता और समृद्धि के लिए।
अक्षत (कच्चा चावल) – देवी-देवताओं को अर्पित करने के लिए।
सिक्का (1–2 रुपए का) – धन और समृद्धि का प्रतीक।
फूल और दूर्वा घास – पूजा के लिए।
मौली / कलावा / रक्षा सूत्र – कलश को बांधने और पवित्रता बनाए रखने के लिए।
पांच आम के पत्ते – कलश के मुंह पर रखने के लिए।
नारियल – कलश के ऊपर रखने के लिए, जिसे लाल कपड़े में लपेटा जाता है।
लाल कपड़ा / चुन्नी – कलश और नारियल के सजावट के लिए।
हल्दी और इत्र (वैकल्पिक) – अष्टदल कमल बनाने और सुगंधित वातावरण के लिए।
सभी सामग्री शुद्ध और साफ होनी चाहिए। सही सामग्री और विधि के साथ की गई कलश स्थापना (kalash sthapana)  घर में सकारात्मक ऊर्जा और देवी दुर्गा की कृपा लाती है।

कलश स्थापना विधि (kalash sthapana vidhi) के ब्लॉग का निष्कर्ष

कलश स्थापना (kalash sthapana)  (घटस्थापना) न केवल नवरात्रि की परंपरा का एक महत्वपूर्ण अंग है, बल्कि यह घर और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा, समृद्धि और शांति लाने का सर्वोत्तम साधन भी है। सही सामग्री, विधि, दिशा और मंत्रों का पालन करके की गई कलश स्थापना (kalash sthapana)  देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने में सहायक होती है।

Bhakti Uday Bharat एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म है, जो भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म को आधुनिक युग की भाषा में जन-जन तक पहुँचाता है। प्रदीप डाबास का मानना है कि: “भक्ति को सिर्फ़ सुनने या पढ़ने का विषय नहीं, बल्कि जीने का माध्यम बनाना चाहिए।”

सही विधि से कलश स्थापना (kalash sthapana)  करने पर घर में सकारात्मक वातावरण बनता है, और यह नवरात्रि पर्व का आध्यात्मिक अनुभव और भी समृद्ध बनाता है।

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