शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din) : माँ कात्यायनी की पूजा, विधि और महत्व

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)   माँ कात्यायनी को समर्पित होता है। माँ दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में कात्यायनी देवी की पूजा करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। विशेषकर विवाह योग, मनचाहा वर/वधू प्राप्त करना और जीवन में सुख-समृद्धि लाना शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    की मुख्य श्रद्धा है।

भक्तों का विश्वास है कि जो व्यक्ति पूरे मन और निष्ठा के साथ शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    माँ कात्यायनी की पूजा करता है, उसके जीवन में न केवल विवाह संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं, बल्कि मानसिक शांति, आत्मबल और परिवारिक सुख भी प्राप्त होता है।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din) 2025 कब है?

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)   27 सितंबर 2025 (शनिवार) को पड़ रहा है। यह दिन माता कात्यायनी की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करके, मंदिर या घर में पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करते हैं और विधिपूर्वक देवी की पूजा करते हैं।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    की पूजा से न केवल सौभाग्य और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है, बल्कि साधक को आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास भी प्राप्त होता है।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)  माँ कात्यायनी की पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    माँ कात्यायनी की पूजा विधि को सही ढंग से अपनाना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके लिए निम्न चरण अपनाए जा सकते हैं:

  1. स्नान और शुद्धि: प्रातः उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से शुद्ध करें।
  2. प्रतिमा या चित्र सजाना: देवी की प्रतिमा या चित्र को लाल वस्त्र में सजाएँ और लाल पुष्प चढ़ाएँ।
  3. भोग अर्पण: देवी को शहद, मालपुए और अन्य मिठाई का भोग अर्पित करें।
  4. मंत्र और पाठ: दुर्गा सप्तशती पाठ करें और “ॐ कात्यायनी नमः” मंत्र का जाप करें।
  5. प्रार्थना: अंत में देवी से विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करने और जीवन में समृद्धि, सौभाग्य तथा सुख-शांति की प्रार्थना करें।

इसी क्रम में भक्त अक्सर शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    श्री दुर्गा चालीसा का पाठ भी करते हैं, जिससे नवरात्रि साधना और अधिक फलदायी हो जाती है।

अगर तुम अपने जीवन में विवाह संबंधी बाधाओं से जूझ रहे हो, तो इस शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    माँ कात्यायनी की सच्चे मन से आराधना करो। सुबह स्नान करके लाल वस्त्र धारण करो, देवी को पुष्प और शहद का भोग अर्पित करो और दुर्गा चालीसा का पाठ करो। तुम देखोगे कि धीरे-धीरे सभी रुकावटें दूर होती जाएँगी और तुम्हारे जीवन में सुख-समृद्धि का संचार होगा।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)  का महत्व

  • शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    की पूजा विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं के विवाह के लिए प्रसिद्ध है।
  • विवाह और दांपत्य जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
  • साधक को आध्यात्मिक शक्ति, आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  • ग्रह-नक्षत्रों से जुड़ी अड़चनें कम होती हैं।
  • घर में सुख-समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है।

अगर आप सनातन धर्म और शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    के गहरे महत्व को समझना चाहते हैं, तो अवश्य पढ़ें सनातन धर्म की जानकारी (sanatan dharma)

राधा नाम की एक कन्या का विवाह लंबे समय से अटका हुआ था। परिवार ने शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    माँ कात्यायनी की पूजा करने का संकल्प लिया। पूरे मन से व्रत और दुर्गा सप्तशती पाठ करने के बाद चमत्कारिक रूप से उसका विवाह शीघ्र तय हो गया। यह कथा बताती है कि शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)   सिर्फ़ पूजा का दिन नहीं, बल्कि आशाओं को पूरा करने का अवसर है।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din) माँ कात्यायनी और विवाह का विशेष संबंध

माँ कात्यायनी को विवाह की देवी भी कहा जाता है। प्राचीन शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि जिन कन्याओं का विवाह योग अटका हुआ हो, वे शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)    देवी की पूजा कर ‘कात्यायनी व्रत’ रखें। इससे विवाह में आने वाली सभी बाधाएँ दूर हो जाती हैं।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)  से जुड़े सवाल (FAQs)

कात्यायनी माता को कौन सा रंग पसंद है

कात्यायनी माता को लाल रंग सबसे प्रिय माना जाता है। पूजा के दौरान भक्त देवी को लाल वस्त्र पहनाकर सजाते हैं और लाल फूल, जैसे गुलाब या रजनीगंधा, अर्पित करते हैं। लाल रंग शक्ति, उत्साह और सौभाग्य का प्रतीक है, जो माता कात्यायनी की दिव्य ऊर्जा और वीरता का परिचायक है। इस कारण नवरात्रि के छठे दिन पूजा में लाल रंग का विशेष महत्व है।

कात्यायनी माता की सवारी क्या है

कात्यायनी माता की सवारी सिंह (शेर) है। शेर उनके साहस, शक्ति और विजय का प्रतीक माना जाता है। माता का यह रूप बताता है कि वे सभी बाधाओं और नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली हैं और अपने भक्तों को सुरक्षा और शक्ति प्रदान करती हैं। नवरात्रि के छठे दिन उनकी पूजा करते समय इस सवारी का ध्यान करना शुभ माना जाता है।

कात्यायनी माता किसकी कुलदेवी थी

कात्यायनी माता को कात्यायन ऋषि की कुलदेवी माना जाता है। प्राचीन हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, कात्यायन ऋषि ने माता कात्यायनी की कठोर तपस्या की थी और उसी तपस्या से माता उनके कुल की रक्षक और देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुईं। आज भी कई परिवार और जातियाँ उन्हें अपनी कुलदेवी मानकर नवरात्रि में विशेष पूजा करती हैं, ताकि परिवार में सुख, सौभाग्य और समृद्धि बनी रहे।

कात्यायनी देवी कौन हैं

कात्यायनी देवी माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों में छठा स्वरूप हैं। उन्हें शक्ति, साहस और वीरता की देवी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, उन्होंने असुरों का वध करने के लिए कठोर तपस्या की और अपने भक्तों को जीवन में शक्ति, संकल्प और सफलता प्रदान करने के लिए प्रकट हुईं। नवरात्रि के छठे दिन उनकी पूजा करने से विवाह संबंधी इच्छाएँ पूरी होती हैं, जीवन में सौभाग्य आता है और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।

मां कात्यायनी को कौन सा भोग पसंद है

मां कात्यायनी को मालपुए, शहद, लाल रंग के पुष्प और मीठे फल का भोग सबसे प्रिय माना जाता है। भक्त उनकी पूजा में ये भोग अर्पित करते हैं ताकि देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो। इसके अलावा, लाल रंग से संबंधित वस्तुएँ और मिठाइयाँ देवी की पूजा में शुभ मानी जाती हैं। नवरात्रि के छठे दिन यह भोग विशेष रूप से लगाने की परंपरा है।

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)   के ब्लॉग का निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)   माँ कात्यायनी की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन उनकी पूजा, व्रत और भक्ति से न केवल विवाह संबंधी इच्छाएँ पूरी होती हैं, बल्कि जीवन में सौभाग्य, समृद्धि, मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल भी प्राप्त होता है।

लाल रंग, शेर की सवारी और प्रिय भोग अर्पित करके श्रद्धापूर्वक की गई पूजा देवी की कृपा को और प्रभावी बनाती है। इसलिए शारदीय नवरात्रि का छठा दिन (shardiya navratri ka chhatha din)  माँ कात्यायनी की विधिपूर्वक पूजा करना हर भक्त के लिए शुभ और लाभकारी माना जाता है।

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