शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN): माँ कुष्मांडा की पूजा, कथा, महत्व और भोग

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) (25 सितंबर 2025) देवी दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की आराधना को समर्पित है। इस दिन को शक्ति, ऊर्जा और सृजन की उपासना का दिन माना जाता है। माँ कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए इन्हें सृष्टि की जननी” कहा जाता है।

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) माँ कुष्मांडा का स्वरूप

माँ कुष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं।

  • इनके दाहिने हाथों में कमंडल, धनुष, कमल और अमृतकलश हैं।
  • बाएँ हाथों में गदा, चक्र, जपमाला और धनुष-बाण हैं।
  • माँ का वाहन सिंह है, जो शक्ति और निर्भयता का प्रतीक है।

भक्त मानते हैं कि माँ का यह रूप सृजन शक्ति और जीवन की सकारात्मकता का प्रतीक है।

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) की पूजा विधि


प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  1. पूजा स्थान पर माँ कुष्मांडा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  2. एक कलश रखें और उस पर नारियल व आम्रपल्लव स्थापित करें।
  3. दीपक जलाएं और धूप-फूल अर्पित करें।
  4. मालपुए या कद्दू से बने व्यंजन का भोग लगाएं।
  5. “ॐ कूष्माण्डायै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।

 नवरात्रि की शुरुआत से जुड़े विवरण के लिए पढ़ें: शारदीय नवरात्रि का पहला दिन (shardiya navratri ka pahla din)

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) माँ कुष्मांडा की कथा

प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब माँ कुष्मांडा ने अपनी मंद मुस्कान से सूर्य और ब्रह्मांड की रचना की। सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश इन्हीं से प्राप्त हुआ।

कथा यह भी बताती है कि माँ के आशीर्वाद से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। भक्तों के जीवन में जब भी निराशा या अंधकार छा जाता है, तब माँ कुष्मांडा का स्मरण उन्हें नई रोशनी देता है।

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN)कामहत्व और लाभ

माँ कुष्मांडा की उपासना करने से:

  • घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • रोग और मानसिक कष्ट दूर होते हैं।
  • कार्यों में सफलता और उन्नति मिलती है।
  • धन, वैभव और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • साधक की आयु और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।

 आध्यात्मिक लाभ जानने के लिए पढ़ें: भगवान विष्णु के 10 अवतार (Bhagwan Vishnu ke 10 avtar)

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) का विशेष भोग

माँ कुष्मांडा को मालपुए का भोग विशेष प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मालपुआ अर्पित करने से भक्त की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं। साथ ही, कद्दू से बने व्यंजन भी चढ़ाए जाते हैं क्योंकि कद्दू को कुष्मांडा का प्रतीक माना गया है।

अगर तुम शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा का ध्यान कर मालपुआ का भोग चढ़ाते हो, तो तुम्हारे जीवन की हर कठिनाई सरल हो सकती है। जब तुम उनके बीज मंत्र का जाप करते हो, तो भीतर की नकारात्मकता दूर होती है और नई रोशनी जीवन में प्रवेश करती है। इस दिन तुम अनुभव कर सकते हो कि माँ कुष्मांडा की कृपा से हर अंधकार उजाले में बदल जाता है।

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) माँ कुष्मांडा के मंत्र

  • बीज मंत्र: ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः॥
  • साधना मंत्र: सर्वसिद्धि प्रदायिनी, दुर्गे ध्यानस्थिता शुभे।
    कूष्माण्डे कमलपदे, सुख-समृद्धि प्रदायिनी॥”

108 बार मंत्र जप करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) के आराधना के फल

भक्त मानते हैं कि चौथे दिन की पूजा से:

  • शारीरिक और मानसिक बल की प्राप्ति होती है।
  • जीवन में उत्साह और ऊर्जा आती है।
  • परिवार में शांति और सौहार्द बढ़ता है।
  • दांपत्य जीवन में सामंजस्य आता है।

एक समय एक व्यापारी जीवन की परेशानियों से घिरा हुआ था। उसने नवरात्रि के चौथे दिन माँ कुष्मांडा का व्रत किया। पूजा के बाद उसके व्यापार में अचानक वृद्धि होने लगी और घर में सुख-शांति लौट आई। तब से वह हर साल चौथे दिन मालपुआ का भोग अवश्य चढ़ाता है। भक्त मानते हैं कि माँ की मुस्कान ही जीवन में नई ऊर्जा का संचार करती है।

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) से जुड़े सवाल (FAQs)

माँ कुष्मांडा का स्वरूप कैसा है?

माँ कुष्मांडा अष्टभुजा देवी कहलाती हैं। उनके आठ हाथों में कमल, धनुष, बाण, अमृतकलश, चक्र, गदा, जपमाला और कमंडल सुशोभित रहते हैं।

माँ कुष्मांडा की पूजा का क्या महत्व है?

माना जाता है कि माँ कुष्मांडा की पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और आत्मबल की वृद्धि होती है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

माँ कुष्मांडा को कौन-सा भोग अर्पित करना चाहिए?

 माँ कुष्मांडा को मालपुआ का भोग सबसे प्रिय है। इसके साथ पान, सुपारी और मिश्री चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं

माँ कुष्मांडा की पूजा कब करनी चाहिए?

सूर्योदय के बाद प्रातःकाल में स्नान कर शुद्ध मन से उनकी पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है।

माँ कुष्मांडा की कृपा से भक्तों को क्या लाभ मिलता है?

 उनकी आराधना से मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) के ब्लॉग का निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन (SHARDIYA NAVRATRI KA CHAUTHA DIN) माँ कुष्मांडा की आराधना का विशेष अवसर है। इस दिन की पूजा न केवल भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह भरती है, बल्कि सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मानसिक शांति का वरदान भी देती है। माँ कुष्मांडा की मुस्कान से सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए उनका आशीर्वाद अंधकार को दूर कर जीवन में उजाला लाता है। श्रद्धा और भक्ति से की गई पूजा निश्चित ही साधक को आध्यात्मिक शक्ति और सांसारिक उन्नति प्रदान करती है।

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