चंद्र ग्रहण 2025: तारीख, समय और महत्व

साल 2025 का पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर 2025 (भाद्रपद पूर्णिमा) की रात को लगेगा। यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, हिंद महासागर और अंटार्कटिका में दिखाई देगा।

  • ग्रहण की शुरुआत – रात 8:58 बजे
  • मध्य काल – रात 11:10 बजे
  • ग्रहण मोक्ष (समापन) – रात 2:25 बजे

इस दौरान चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र और कुंभ राशि में रहेगा।

सूतक काल का समय और नियम

शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। यानी 7 सितंबर की सुबह से ही सूतक लग जाएगा।

  • सूतक काल में भोजन, विवाह, धार्मिक अनुष्ठान और नए कार्य वर्जित माने जाते हैं।
  • केवल बच्चे, बुजुर्ग और रोगियों को इस नियम से छूट होती है।
  • ग्रहण काल में जप, ध्यान, और मंत्रोच्चार करना विशेष फलदायी माना जाता है।

इसी तरह हनुमान अष्टक के लाभ ग्रहण काल में जप करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।

पितृपक्ष और 2025 का चंद्र ग्रहण

यह चंद्र ग्रहण खास इसलिए है क्योंकि इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है। 122 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि पितृपक्ष की शुरुआत और समापन दोनों ग्रहण से होंगे।

  • 7 सितंबर – चंद्र ग्रहण से शुरुआत
  • 21 सितंबर – सूर्य ग्रहण से समापन

धार्मिक मान्यता है कि इस समय पितरों के लिए श्राद्ध और दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।

जैसे भगवान विष्णु के 10 अवतार में भी पितरों और देवताओं की संतुलन साधने की कथाएँ वर्णित हैं।

चंद्र ग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार:

  • भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
  • विश्व में शांति में कमी आ सकती है।
  • कुछ राशियों पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव भी होगा।
  • धार्मिक कार्यों में उत्साह और भक्ति की भावना बढ़ेगी।

सनातन धर्म के अनुसार, ग्रहण केवल खगोलीय घटना नहीं बल्कि आत्मचिंतन और साधना का अवसर है।

एक वृद्ध साधक ने अपने शिष्य से कहा – “बेटा, जब-जब चंद्र ग्रहण होता है, मनुष्य को आत्मचिंतन का अवसर मिलता है। ग्रहण के समय किया गया एक छोटा-सा जप भी हजार गुना फल देता है।” यही कारण है कि लोग चंद्र ग्रहण 2025 की रात को आध्यात्मिक साधना में लगते हैं।

ग्रहण काल में क्या करें और क्या न करें?

करें:

  • मंत्र जाप और ध्यान
  • स्नान और दान
  • भगवान का स्मरण

न करें:

  • भोजन और जल ग्रहण
  • धार्मिक मूर्तियों को स्पर्श
  • नए कार्यों की शुरुआत

जब तुम 7 सितंबर 2025 की रात आकाश में रक्तवर्ण चंद्रमा देखोगे, तो तुम्हें एहसास होगा कि यह सिर्फ खगोलीय घटना नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण का अवसर है। इस चंद्र ग्रहण 2025 में अगर तुम मंत्र जाप और ध्यान में डूब जाओ, तो तुम्हें गहन शांति और ऊर्जा का अनुभव होगा।

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