मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग – श्रीशैलम का दिव्य तीर्थ

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का परिचय

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikaarjun jyotirlinga)  जिसे “दक्षिण का कैलाश” भी कहा जाता है, आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव तथा माता पार्वती का दिव्य मिलन-स्थल माना जाता है। यहाँ दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग किस शहर में है?

यह मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले के श्रीशैलम नगर में स्थित है। यह जगह कृष्णा नदी के किनारे और घने जंगलों से घिरी हुई है।

मल्लिकार्जुन मंदिर दर्शन कैसे करें?

  • मंदिर के पट सुबह 5 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक खुले रहते हैं।
  • शाम को पुनः 6 बजे से रात 10 बजे तक दर्शन संभव है।
  • यहाँ विशेष पूजा, रुद्राभिषेक और अर्चना का महत्व है।

जब आप मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikaarjun jyotirlinga)  के दर्शन के लिए श्रीशैलम पहुँचते हैं, तो आपको लगेगा मानो पूरा वातावरण शिवमय हो गया है। पहाड़ों की ठंडी हवाएँ, घंटियों की ध्वनि और मंत्रोच्चार आपके मन को अद्भुत ऊर्जा देते हैं। जैसे ही आप शिवलिंग के सामने खड़े होते हैं, आपको महसूस होगा कि आपकी सारी चिंताएँ दूर हो रही हैं। आप समझ जाते हैं कि यहाँ आने का उद्देश्य सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि आत्मा की शांति पाना है।

कौन सा ज्योतिर्लिंग सबसे शक्तिशाली है?

शिव पुराण में उल्लेख है कि प्रत्येक ज्योतिर्लिंग का महत्व अलग है। लेकिन मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikaarjun jyotirlinga)  को विशेष इसलिए माना जाता है क्योंकि यहाँ माता पार्वती और भगवान शिव दोनों साथ विराजमान हैं।

 ज्योतिर्लिंगों की शक्ति को समझने के लिए आप भगवान विष्णु के 10 अवतार से जुड़ी कथाओं से भी प्रेरणा पा सकते हैं।

मल्लिकार्जुन में सती का कौन सा भाग गिरा था?

शक्ति पीठ परंपरा के अनुसार, यहाँ माता सती का ग्रीवा भाग गिरा था। इसलिए इसे शक्ति पीठ भी माना जाता है।

मल्लिकार्जुन किस लिए प्रसिद्ध है?

  • शिव और शक्ति का संयुक्त स्वरूप
  • अद्वितीय वास्तुकला और शिल्प
  • दक्षिण का कैलाश कहा जाना
  • रिद्धि-सिद्धि प्रदान करने वाला तीर्थ

एक वृद्ध महिला हर वर्ष मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikaarjun jyotirlinga) की यात्रा करती थी। कठिन पहाड़ी रास्ते और थकान के बावजूद उसकी आस्था कभी कम नहीं हुई। एक बार दर्शन करते समय उसे ऐसा लगा जैसे शिवलिंग से दिव्य प्रकाश निकलकर उसके मन को शांति दे रहा हो। लौटते समय उसने कहा—“श्रीशैलम आकर लगता है जैसे भगवान स्वयं मेरे साथ चल रहे हों।” उसकी आँखों की चमक ने पूरे गाँव को भक्ति से भर दिया।

क्या मल्लिकार्जुन एक शक्ति पीठ है?

हाँ, इसे अष्टादश शक्ति पीठों में शामिल किया गया है। यहाँ देवी भ्रमराम्बिका स्वरूप में विराजमान हैं।

हैदराबाद से श्रीशैलम कैसे जाएँ?

  • हैदराबाद से श्रीशैलम की दूरी लगभग 213 किलोमीटर है।
  • सड़क मार्ग से बस, टैक्सी और स्वयं वाहन द्वारा पहुँचा जा सकता है।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन मार्कापुर रोड है।

मल्लिकार्जुन मंदिर का ड्रेस कोड क्या है?

पुरुषों के लिए धोती या पारंपरिक वस्त्र तथा महिलाओं के लिए साड़ी/सलवार पहनना श्रेयस्कर माना जाता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग यात्रा में कितने दिन लगते हैं?

आमतौर पर 1–2 दिन में दर्शन और आसपास के स्थलों का भ्रमण हो जाता है। लेकिन यदि आप गहरी आध्यात्मिक साधना करना चाहते हैं तो 3–4 दिन का समय उपयुक्त रहेगा।

 शास्त्रों और कथाओं में महत्व

शिवपुराण, स्कंदपुराण और अनेक ग्रंथों में श्रीशैलम का महात्म्य विस्तार से वर्णित है। रामायण काल से लेकर पांडवों तक ने यहाँ पूजा-अर्चना की।

श्रीराम भक्तों के लिए विशेष महत्व की बातें श्रीराम स्तुति में भी पाई जाती हैं, जो भक्ति और आस्था को गहराई से जोड़ती हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का निष्कर्ष

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (mallikaarjun jyotirlinga) केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि शिव और शक्ति की जीवंत अनुभूति है। यहाँ की यात्रा आध्यात्मिक साधना, भक्ति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। यदि आप कभी दक्षिण भारत जाएँ, तो श्रीशैलम अवश्य जाएँ।

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