गोवर्धन परिक्रमा कितनी लंबी होती है?
गोवर्धन परिक्रमा (govardhan parikrama) लगभग 21 किलोमीटर लंबी होती है। श्रद्धालु इसे पैदल चलते हुए पूरा करते हैं। परिक्रमा के दौरान भक्तजन गिरिराज महाराज को प्रणाम करते हुए, “राधे-राधे” और “गिरिराज महाराज की जय” का उच्चारण करते हैं।
एक बार एक साधारण किसान ने पहली बार गोवर्धन परिक्रमा (govardhan parikrama) करने का निश्चय किया। नंगे पांव, हाथ में माला और होंठों पर “राधे-राधे” का जाप करते हुए वह चल पड़ा। जैसे-जैसे वह आगे बढ़ा, उसकी थकान श्रद्धा में बदलती गई। परिक्रमा पूरी होते ही उसने अपार शांति का अनुभव किया। उसे लगा मानो गिरिराज महाराज ने उसकी सारी परेशानियाँ अपने ऊपर ले ली हों। यही आस्था का चमत्कार है।
क्या गोवर्धन परिक्रमा गाड़ी से कर सकते हैं?
हालाँकि परंपरागत रूप से परिक्रमा पैदल ही की जाती है, परंतु स्वास्थ्य कारणों से लोग गाड़ी या रिक्शे से भी परिक्रमा करते हैं। फिर भी कहा जाता है कि पैदल की गई परिक्रमा का पुण्य अधिक होता है।
गोवर्धन पर्वत की कितनी परिक्रमा होती हैं?
मुख्य रूप से गोवर्धन पर्वत की एक परिक्रमा मानी जाती है। हालांकि कई भक्त आस्था व व्रत के अनुसार इसे बार-बार भी करते हैं।
गोवर्धन परिक्रमा के नियम क्या हैं?
- परिक्रमा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- निरंतर जप करें – “राधे-राधे” या “गिरिराज महाराज की जय”।
- परिक्रमा बीच में रोकनी नहीं चाहिए।
- नंगे पांव चलना अधिक शुभ माना जाता है।
- अहिंसा और संयम का पालन करें।
84 कोस किलोमीटर में कितना होता है?
84 कोस लगभग 252 किलोमीटर होता है। यह ब्रज मंडल परिक्रमा का हिस्सा है, जिसमें वृंदावन, बरसाना और नंदगांव जैसे तीर्थ आते हैं।
क्या ब्रज और बरसाना एक ही हैं?
ब्रज और बरसाना दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं लेकिन अलग स्थान हैं। ब्रज श्रीकृष्ण की लीलाभूमि है और बरसाना राधारानी का धाम।
वृंदावन के 12 वन कौन से हैं?
मान्यता है कि वृंदावन के बारह वनों में –
- तालवन
- मदुवन
- नंदगांव
- बरसाना
- गोवर्धन
- लोहवन
- भांडीरवन
- कम्यवन
- महावन
- वृंदावन
- कदंबवन
- बिल्ववन
शामिल हैं। यह सभी श्रीकृष्ण की लीलाओं से पवित्र माने जाते हैं।
क्या रात में गोवर्धन परिक्रमा सुरक्षित है?
आज के समय में प्रशासनिक व्यवस्था के कारण रात में भी परिक्रमा सुरक्षित है, लेकिन परंपरा यही कहती है कि दिन में परिक्रमा करना श्रेष्ठ और सुरक्षित होता है।
गोवर्धन परिक्रमा में क्या जपना चाहिए?
परिक्रमा करते समय भक्तजन –
- “राधे-राधे”
- “गिरिराज महाराज की जय”
- “जय श्रीकृष्ण”
का जप करते हैं।
गोवर्धन परिक्रमा का खर्च कितना आता है?
यदि पैदल परिक्रमा की जाए तो खर्च लगभग नहीं के बराबर होता है। हां, यदि कोई रुकने, गाड़ी, या भोजन व्यवस्था करता है तो खर्च 500 से 2000 रुपये तक आ सकता है।
श्रीकृष्ण ने किस उम्र में गोवर्धन उठाया था?
श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने मात्र 7 वर्ष की आयु में गोवर्धन पर्वत उठाया था। इससे इंद्र का अभिमान टूटा और ब्रजवासियों की रक्षा हुई।
गोवर्धन पूजा का पशु कौन सा है?
गोवर्धन पूजा में विशेष रूप से गाय की पूजा होती है। गाय को धर्म और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
गोवर्धन को शाप क्यों मिला?
मान्यता है कि पुलस्त्य ऋषि ने गोवर्धन को श्राप दिया था कि वह ब्रज में स्थिर रहेगा और वहीं पूजित होगा।
गोवर्धन पर कौन सा रंग पहनना चाहिए?
भक्तजन पीला, सफेद या भगवा रंग पहनना शुभ मानते हैं। यह रंग भक्ति, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक हैं।
भक्तजन पीला, सफेद या भगवा रंग पहनना शुभ मानते हैं। यह रंग भक्ति, पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक हैं।
गोवर्धन परिक्रमा कितने किलोमीटर की है?
परिक्रमा लगभग 21 किलोमीटर की होती है, जिसे श्रद्धालु पैदल पूरा करते हैं। कई लोग इसे 6-7 घंटे में संपन्न करते हैं।
भक्तजन इस यात्रा के दौरान श्री राम स्तुति और अन्य भक्ति गीत भी गाते हैं, जिससे भक्ति और गहरी हो जाती है।
क्या गोवर्धन पूजा पर दिया जलाते हैं?
जी हाँ, गोवर्धन पूजा में दीप जलाना शुभ और मंगलकारी माना जाता है। दीपक जलाने से घर में समृद्धि आती है।
यहाँ भक्तजन अक्सर राम जी की आरती गाते हैं और भक्ति भाव से वातावरण को पवित्र करते हैं।
गोवर्धन परिक्रमा कैसे पूरी करें?
- स्नान और पूजन करके शुरुआत करें।
- नंगे पांव चलें।
- जप और कीर्तन करते हुए परिक्रमा पूरी करें।
- बीच में न रुकें।
- अंत में गिरिराज महाराज को प्रणाम कर आशीर्वाद लें।
जब आप गोवर्धन परिक्रमा (govardhan parikrama) करने निकलते हैं, तो शुरुआत में रास्ता लंबा और कठिन लगता है। लेकिन हर कदम पर आपको भक्ति और ऊर्जा मिलती है। नंगे पांव चलते समय मिट्टी की ठंडक और भक्तों की आवाजें आपके मन को शुद्ध करती हैं। परिक्रमा पूरी होने पर आपको महसूस होगा कि आपने केवल पर्वत की परिक्रमा नहीं की, बल्कि अपने जीवन की चिंताओं को भी गिरिराज महाराज को अर्पित कर दिया है। निष्कर्ष
गोवर्धन परिक्रमा (govardhan parikrama) केवल धार्मिक यात्रा नहीं है, यह भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक शांति का मार्ग है। जो भी व्यक्ति नियमों का पालन करते हुए परिक्रमा करता है, उसे जीवन में सुख, शांति और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
गोवर्धन परिक्रमा (govardhan parikrama) केवल धार्मिक यात्रा नहीं है, यह भक्ति, श्रद्धा और आत्मिक शांति का मार्ग है। जो भी व्यक्ति नियमों का पालन करते हुए परिक्रमा करता है, उसे जीवन में सुख, शांति और भगवान की कृपा प्राप्त होती है।