आज देशभर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही Nirjala Ekadashi
नई दिल्ली , डेस्क : आज देशभर में Nirjala Ekadashi, जिसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जा रही है। जगह-जगह छबील लगाकर लोगों को मीठा शरबत पिलाया जा रहा है। कहा जाता है कि इस दिन पानी की छबील लगाने से अनंत पुण्य का लाभ प्राप्त होता है। लोगों को रोक-रोककर मीठे पानी का शरबत पिलाया जा रहा है।कहा जाता है कि इस दिन पानी की छबील लगाने से अनंत पुण्य का लाभ प्राप्त होता है।Nirjala Ekadashi व्रत में भक्त 24 घंटे के लिए अन्न और जल का पूर्णतः त्याग करते हैं।
Nirjala Ekadashi 24 घंटे की
मान्यता है कि इस एक व्रत को करने से साल भर की सभी 24 एकादशियों का पुण्यफल प्राप्त होता है। इस बार यह व्रत दो दिन का होने की वजह से इसका महत्व और अधिक हो गया है। इस बार 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट से शुरू हो गई है और एकादशी तिथि का समापन 7 जून को सुबह बह्म मुहुर्त में 4 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। 6 और 7 जून दोनों ही दिन उदयातिथि होने के कारण Nirjala Ekadashi 24 घंटे की होगी। लेकिन, व्रत के पारण का समय 7 जून को दोपहर में होने के कारण एकादशी का व्रत 32 घंटे से अधिक की लंबी अवधि का रहेगा ।
व्रत में क्या करें:
- अन्न और जल का पूर्ण त्याग करें और भगवान विष्णु की भक्ति करें।
- सुराही या घड़े का दान करें।
- राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाएं या शरबत वितरित करें।
- श्रीहरि के नाम का जप, आरती और भजन करें।
- माता लक्ष्मी को कमल का पुष्प और केसर मिश्रित खीर अर्पित करें।
- दिनभर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
- गरीब कन्याओं को वस्त्र व भोजन दान करें।
- जरूरतमंदों को अनाज और कपड़े दान करें।
व्रत में क्या न करें:
- तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन, मांस) का सेवन न करें।
- क्रोध, झूठ, द्वेष और अपशब्दों से बचें।
- भारी शारीरिक श्रम से बचें ताकि उपवास में कठिनाई न हो।
हिंदू पंचांग के अनुसार Nirjala Ekadashi का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को विष्णु प्रिया भी कहा जाता है। Nirjala Ekadashi व्रत सबसे कठिन व्रतों में माना जाता है लेकिन इसका फल मोक्ष तक की राह खोल देता है। इस व्रत के दिन पूरे दिन जल का सेवन नहीं किया जाता। इसीलिए इसे ‘निर्जला’ (बिना जल) एकादशी कहा जाता है। Nirjala Ekadashi उपवास से जीवन में सुख,शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
क्या है Nirjala Ekadashi का महत्व?
बता दें कि हिंदू पंचाग के अनुसार साल में 24 एकादशी आती और सभी एकादशियों का अपना एक महत्व है लेकिन Nirjala Ekadashi को सबसे अधिक महता है। मान्यता है कि अकेले Nirjala Ekadashi का व्रत सभी एकादशियों का पुण्य देता है।
Nirjala Ekadashi को ‘भीमसेनी एकादशी’ के साथ ही ‘पांडव एकादशी’ भी कहा जाता है। जिसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है।
व्रत को करने का संकल्प
कथा के अनुसार, महाभारत के वीर योद्धा भीमसेन ने इस व्रत को करने का संकल्प लिया था। कहानी के अनुसार, एक समय भीमसेन ने महर्षि वेदव्यास से कहा कि उनके सभी भाई—युधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल और सहदेव—हर माह की दोनों एकादशियों का व्रत करते हैं। लेकिन मेरे लिए हर महीने दो बार व्रत रखना अत्यंत कठिन कार्य है। मैं भोजन और जल के बिना रह नहीं पाता। तब भीमसेन ने वेदव्यास जी से यह पूछा कि क्या कोई ऐसा उपाय है जिससे मैं भी पुण्य प्राप्त कर सकूं और व्रत करने का लाभ पा सकूं। इस पर वेदव्यास जी ने Nirjala Ekadashi व्रत करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा व्रत है जिसे यदि श्रद्धापूर्वक किया जाए तो वर्ष की 24 एकादशियों का पुण्य फल एक साथ मिल जाता है।
निष्कर्ष
Nirjala Ekadashi का व्रत भक्ति, संयम और सेवा का अद्भुत उदाहरण है। जो भी श्रद्धापूर्वक इस कठिन व्रत को करता है, उसे वर्ष भर की सभी एकादशियों का पुण्यफल और भगवान विष्णु श्री हरि और मां लक्ष्मी की व्रतियों पर विशेष कृपा होती है।
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