Ganesh Chaturthi 2025: महत्व, पूजन-विधि और तिथि और शुभ योग

Ganesh Chaturthi क्यों मनाई जाती है ।
गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नों को हरने वाला कहा गया है । इसलिए जब भी किसी शुभ कार्य का शुभारम्भ भगवान गणेश की पूजा से ही शुरू होता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को Ganesh Chaturthi का पर्व पूरे भारत में बड़े ही भक्तिभाव और उल्लास के साथ मनाया जाता है। भाद्रपद की चतुर्थी को विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भगवान गणेश का जन्म हुआ था। इसी वजह से इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है। Ganesh Chaturthi से शुरू होने वाला यह उत्सव पूरे दस दिन तक चलता है, जिसमें चतुर्थी के दिन भक्त भगवान गणेश की प्रतिमा को गाजे बाजे ढोल नगाड़ों के साथ घर लेकर आया जाता है और फिर स्थापना के साथ पूजा अर्चना शुरू हो जाती है। इसी तरह पूरे दस दिन तक भगवान गणेश की पूजा जारी रहती है ।
प्रतिमा स्थापना और पूजा-अर्चना
Ganesh Chaturthi पर घरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इन दस दिनों तक प्रतिदिन सुबह-शाम आरती, मंत्र-जाप और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। भक्त भगवान गणपति को उनके प्रिय भोग मोदक, लड्डू और दूर्वा अर्पित करते हैं। माना जाता है कि प्रतिमा स्थापना के साथ ही बप्पा घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं तथा विसर्जन के समय सभी विघ्न और दुख अपने साथ ले जाते हैं।
Ganesh Chaturthi 2025 की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार साल 2025 में Ganesh Chaturthi की तिथि 26 अगस्त मंगलवार दोपहर 1 बजकर 55 मिनट से शुरू होकर 27 अगस्त बुधवार दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि को मानते हुए Ganesh Chaturthi का पर्व 27 अगस्त बुधवार को मनाया जाएगा।
Ganesh Chaturthi का व्रत
Ganesh Chaturthi का व्रत 26 अगस्त मंगलवार को रखा जाएगा क्योंकि इस दिन रात में चंद्रमा का पूजन और दर्शन होंगे। व्रतधारी पूरे दिन उपवास रखकर शाम को चंद्र दर्शन और पूजन के बाद व्रत पूर्ण करेंगे। वहीं प्रतिमा स्थापना और मुख्य पूजा 27 अगस्त को की जाएगी।
दस दिनों का उत्सव और गणेश विसर्जन
गणेश उत्सव दस दिनों तक चलता है, जिसमें भक्त रोजाना भक्ति, भोग और पूजन करते हैं। गणेश विसर्जन परंपरा अनुसार 1, 5, 3, 5, 7 या 10 दिन बाद किया जा सकता है। अंतिम दिन यानी अनंत चतुर्दशी को भव्य शोभायात्रा और “गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तू जल्दी आ” के जयकारों के साथ बप्पा को विदाई दी जाती है।
Ganesh Chaturthi 2025 के शुभ योग
इस साल 2025 की Ganesh Chaturthi बहुत ही विशेष है क्योंकि इस दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं, लक्ष्मी नारायण योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शुभ योग और शुक्ल योग। इन योगों में गणेश पूजा करने से जीवन में समृद्धि आती है, बाधाएं दूर होती हैं और सभी कार्यों में सफलता मिलती है ।
निष्कर्ष
Ganesh Chaturthi केवल एक धार्मिक पर्व नहीं बल्कि आस्था, भक्ति और उत्साह का संगम है। यह उत्सव घर-घर और समाज में सकारात्मकता फैलाता है और भक्तों को यह विश्वास दिलाता है कि बप्पा उनके जीवन से सभी दुख और संकट हर लेंगे। वर्ष 2025 में यह पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा और इस बार का पर्व विशेष शुभ योगों के कारण और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
गणेश चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणपति सद्गुण सदन, कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभ काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो । उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी । सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा । शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै । अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश ॥
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डूअन का भोग लागे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभू सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥