Trimbakeshwar Jyotirlinga: कथा, महत्व, पूजन विधि और यात्रा मार्गदर्शिका

श्री Trimbakeshwar Jyotirlinga भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक अत्यंत पवित्र और पौराणिक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह मंदिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक ज़िले में त्र्यंबक नगर में स्थित है। यह स्थल पवित्र गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के पास बसा हुआ है और सह्याद्री पर्वतमाला की गोद में स्थित है।
इस ज्योतिर्लिंग का नाम त्र्यंबकेश्वर नाम क्यों पड़ा? इसकी भी एक कहानी है त्र्यंबकेश्वर शिव का वह रूप है जिसमें उन्होंने तीनों नेत्रों (सूर्य, चंद्र, अग्नि) से संसार की रक्षा और नाश करने की शक्ति धारण की है।
त्र्यंबकेश्वर भारत के चार कुंभ स्थलों में से एक है। हर 12 वर्षों में यहां गोदावरी नदी के तट पर सिंहस्थ कुंभ मेला लगता है। जिन जातकों को पितृ दोष, अकारण कष्ट, कुंडली में कालसर्प दोष, पूर्वजों की अशांति या वंश वृद्धि में रुकावट हो – उनके लिए Trimbakeshwar Jyotirlinga के दर्शन अत्यंत फलदायी है। यहाँ किया गया महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक रोग, शोक, भय और अकाल मृत्यु से बचाव करता है।
Trimbakeshwar Jyotirlinga की उत्पत्ति की कथा व पौराणिक महत्व:
Trimbakeshwar Jyotirlinga की उत्पत्ति कथा गौतम ऋषि के साथ जुड़ी हुई है । इसका वर्णन ‘स्कंद पुराण’, ‘शिव पुराण’ और ‘पद्म पुराण’ में भी है। गौतम ऋषि अपनी पत्नी अहिल्या के साथ त्र्यंबक पर्वत पर आश्रम बनाकर रहते थे। वे अत्यंत धर्मपरायण और तपस्वी और करुणावान थे ।
गौतम ऋषि पर लगा गौहत्या का पाप
एक बार धरती पर भीषण सूखा पड़ा। केवल गौतम ऋषि के क्षेत्र में ही निरंतर वर्षा होती रही क्योंकि उन्होंने यज्ञ और तपस्या से देवताओं को प्रसन्न किया था। यह देख अन्य ऋषियों को गौतम ऋषि के जलने लगे । इसी जलन के चलते दूसरे ऋषियों ने अपनी माया से एक गाय बनाई फिर उस गाय को गौतम ऋषि के यहा भेजा । जैसे ही गाय गौतम ऋषि के पास गई तो ऋषि ने गाय को दूर करने के लिए कुशा का उपयोग किया । कुशा की मार से गाय मर गई । दूसरे ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गाय की हत्या का आरोप लगाया ओर उसे समाज से बाहर कर दिया । दूसरे सभी ऋषियों ने गौतम ऋषि से कहा कि इस हत्या के पाप का प्रायश्चित करना है तो देवी गंगा को यहां लेकर आना होगा ।
कठोर तपस्या से किया शिव को प्रसन्न
गाय की मौत से गौतम ऋषि भी अत्यंत दुखी हुए । गौहत्या के पाप से मुक्ति पाने और देवी गंगा को यहां लाने के लिए शिवलिंग की स्थापना करके घोर तपस्या शुरू कर दी । गौतम ऋषि की भक्ति से खुश होकर भगवान शिव माता पार्वती के साथ प्रकट हो गए । तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हो गए और ऋषि से वर मांगने को कहा । तब ऋषि गौतम ने शिवजी से देवी गंगा को उस स्थान पर भेजने का वरदान मांगा। तो भगवान शिव ने गंगा को वहां प्रकट किया लेकिन मां गंगा ने एक शर्त रख दी कि यदि शिवजी इस स्थान पर वास करेंगे तभी वह भी यहां रहेंगी । गंगा के ऐसा कहने पर शिवजी वहां Trimbakeshwar Jyotirlinga के रूप वास करने को तैयार हो गए और गंगा नदी गौतमी के रूप में वहां बहने लगी। गौतमी नदी का दूसरा नाम गोदावरी भी है ।
मंदिर की वास्तुकला और विशेष निर्माण:
- गर्भगृह में एक अष्टकोणीय गर्भशिला है जिसमें लिंग स्थित है।
- निर्माण शैली: हेमाडपंथी (काले पत्थर से बनी, 18वीं शताब्दी की स्थापत्य कला)
- निर्माणकर्ता : पेशवा बालाजी बाजीराव (पेशवा नानासाहेब) द्वारा पुनर्निर्मित किया गया
- शिखर: शुद्ध नक्काशीदार, शिखर पर सोने का कलश, धार्मिक चिन्हों से सुसज्जित
- गर्भगृह : अष्टकोणीय गर्भशिला है जिसमें लिंग स्थित है। लिंग का आकार असामान्य – अष्टकोणीय रूप, जिसमें तीन छोटे-छोटे लिंग ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वहाँ जाकर क्या करें:
- शिवलिंग के दर्शन करें और अभिषेक करवाएं।
- गोदावरी नदी में स्नान करें (पाप विनाशक माना गया है)।
- कालसर्प दोष या पितृ दोष से पीड़ित हों तो वहाँ विशेष पूजा करवाएं।
- भगवान शिव की महिमा का श्रवण करें, पुराणों का पाठ कराएं।
- कुंभ मेला के समय दर्शन करें (यदि संभव हो)।
- त्र्यंबक पहाड़ी पर चढ़ाई कर गोदावरी उद्गम स्थल “कुशावर्त तीर्थ” के दर्शन करें।
शास्त्रों में वर्णित स्तुति और मंत्र
“त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
— महामृत्युंजय मंत्र
यह मंत्र त्र्यंबकेश्वर से जुड़ा है और मृत्यु के भय को दूर करता है।
“गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलस्मिन्सन्निधिं कुरु॥”
गोदावरी तट पर स्नान से पूर्व का इस मंत्र का जाप अवश्य करें।इस मंत्र की असीम महिमा है आप घर में स्नान करते समय भी इस मंत्र का जाप करके स्नान करेंगे तो अति उत्तम रहेगा । स्नान के दौरान अपने दोनों हाथों को पानी में डाल लें और तीन बार इस मंत्र का जाप करें । इस तरह स्नान करने से आपको सप्त (सात) नदियों में स्नान का पुण्य प्राप्त होता है । इस मंत्र में सात नदियों का वर्णन है ।
त्र्यंबकेश्वर कैसे जाएं
- सड़क मार्ग : नासिक से त्र्यंबकेश्वर के लिए बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
- रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन नासिक रोड है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
- हवाई मार्ग: निकटतम एयरपोर्ट मुंबई या नासिक है। मुंबई से लगभग 200 किमी की दूरी पर है। नासिक एयरपोर्ट से 39 किमी दूर है ।
निष्कर्ष:
Trimbakeshwar Jyotirlinga न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत भी है। यहां की प्रकृति, पवित्रता और शिव की विशेष उपस्थिति भक्तों को मोक्ष और आत्मिक शांति प्रदान करती है। जो भी श्रद्धा और आस्था से यहाँ आता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है।
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