Baidyanath Jyotirling : जहां शिव स्वयं वैद्य बनकर करते हैं हर रोग का इलाज

Baidyanath Jyotirling

सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का महीना है । इस महीने में ज्योतिर्लिंग के पावन दर्शनों का बड़ा महत्व हैं । भारत की पावन भूमि पर स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं बैद्यनाथ  महादेव ज्योतिर्लिंग (Baidyanath Jyotirling)  यह झारखंड के देवघर जिले में स्थित है और इसे “बाबा बैद्यनाथ धाम” के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान विशेष रूप से श्रावण मास में शिवभक्तों के लिए आराधना, तपस्या और श्रद्धा का परम केंद्र है। इस मंदिर के प्रति आस्था सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। खासतौर पर श्रावण मास में यहां लाखों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक के लिए पहुँचते हैं। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि वह स्थल है जहां शिव स्वयं ‘वैद्य’ यानी चिकित्सक के पूजे जाते हैं ।

भगवान भोलेनाथ ने रावण को दिया आत्मलिंग

Baidyanath Jyotirlinga की सबसे प्रसिद्ध और पौराणिक कथा रावण से जुड़ी हुई है । कथा के अनुसार रावण भगवान शिव का परम भक्त था। रावण शिव को लंका लेकर जाना चाहता था । इसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की । रावण की तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने उसे एक दिव्य आत्मलिंग दिया। भगवान शिव ने इसके साथ एक शर्त भी रख दी कि यह लिंग जहां भी भूमि पर रख दिया जाएगा, वहीं स्थायी रूप से स्थापित हो जाएगा । रावण आत्मलिंग को लेकर लंका लौट रहा था, लेकिन देवताओं को भय हुआ कि यदि शिवलिंग लंका में स्थापित हो गया, तो रावण अमर और अजेय हो जाएगा। इसी के कारण सभी देवताओं ने एक योजना बनाई कि भगवान विष्णु से सहायता मांगी जाए । जब सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए तो वे देवताओं का साथ देने को तैयार हो गए ।

रावण की लघुशंका ने झारखंड को Baidyanath Jyotirlinga

योजना के अनुसार वरुण देव ने रावण के पेट में जल भर दिया । इसके कारण रावण को जोरों से लघुशंका हुई । अब रावण के लिए के दुविधा की स्थिति बनी हुई थी वह शिवलिंग को जमीन पर कैसे रखें । अगर शिवलिंग को जमीन पर रख दिया तो वह वहीं पर रह जाएगा । रावण ने इधर ऊधर देखा कि कोई शिवलिंग को पकड़ ले । इसी बीच रावण को एक ग्वाला दिखाई दिया । रावण लघुशंका के लिए परेशान था तो उसने ग्वाले को शिवलिंग पकड़ने के लिए कहा । रावण के आग्रह पर ग्वाला शिवलिंग पकड़ने के लिए तैयार हो गए । यह ग्वाला कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु भगवान थे जो ग्वाले का रूप धरकर आए थे । रावण लघुशंका के लिए थोड़ी दूर गया तो ग्वाले ने शिवलिंग को नीचे रख दिया । जब रावण वापस लौटा तो उसने शिवलिंग को उठाने का प्रयास किया, लेकिन वह अपनी जगह से हिला तक नहीं। अंततः रावण को क्रोधित होकर शिवलिंग पर प्रहार करना पड़ा, जिससे वह कई खंडों में विभाजित हो गया। आज भी देवघर स्थित यह शिवलिंग उसी पौराणिक कथा का साक्षी है। इसे वैद्यनाथ या Baidyanath Jyotirlinga के नाम से पूजा जाता है।

रावण ने अपनी भुजाएं काटकर भगवान शिव को अर्पित की थी

इस पवित्र ज्योतिर्लिंग को वैद्यनाथ इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि जब रावण ने अपनी भुजाएं काटकर भगवान शिव को अर्पित कीं, तो भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण के घावों को ठीक किया। उस समय शिव ने एक वैद्य की भांति रावण का इलाज किया , इसलिए उन्हें वैद्यनाथ कहा गया, अर्थात “चिकित्सकों के देवता”। Baidyanath Jyotirlinga की एक और विशेषता यह है कि यहां भगवान शिव के साथ माता पार्वती का भी मंदिर है।  यह भारत का इकलौता ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां शिव और शक्ति एक साथ पूजित होते हैं। भक्त यहां शिव-पार्वती को एक युगल रूप में दर्शन कर आशीर्वाद पाते हैं। यह स्थान शिवशक्ति की एकता का प्रतीक है और प्रेम, शक्ति तथा भक्ति का संगम है।

श्रावण के महीने में उमड़ते हैं श्रद्धालु

श्रावण के महीने में इस तीर्थ की महिमा और अधिक बढ़ जाती है। सुल्तानगंज से गंगा जल लाकर कांवड़िए लगभग 108 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा करके देवघर पहुंचते हैं और बाबा वैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं। इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है और यह भारत की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक है। भक्त “बोल बम” के जयकारों के साथ चलते हैं और यह यात्रा भक्ति, तप और अनुशासन का एक अनुपम उदाहरण है।

बाबा वैद्यनाथ के दर्शन से रोगों से मुक्ति मिलती है

वैद्यनाथ धाम का न केवल धार्मिक महत्व ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शांति का भी अनुभव होता है। यहां आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि बाबा बैद्यनाथ के दर्शन से रोगों से मुक्ति मिलती है । जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आयुर्वेद और योग में भी शिव को आरोग्य के देवता माना गया है और बैद्यनाथ धाम उसी विश्वास का केंद्र है।

हवाई सड़क और ट्रेन से धाम पहुंच सकते हैं

अब बात करें इस पवित्र धाम Baidyanath Jyotirlinga तक पहुंचने की, तो यहां देश के स्थानों से यहां पहुंच सकते हैं । देवघर रेलवे स्टेशन और जसीडीह जंक्शन इस क्षेत्र के मुख्य रेलवे स्टेशन हैं। सड़क मार्ग से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओड़िशा से यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा हाल ही में शुरू हुआ देवघर हवाई अड्डा (Deoghar Airport) दिल्ली, कोलकाता और पटना जैसे शहरों से सीधा जुड़ा है, जिससे देशभर से तीर्थयात्रियों की सुविधा और भी बढ़ गई है।

यहां मिलता है हर बीमारी का इलाज

बैद्यनाथ महादेव ज्योतिर्लिंग एक ऐसा स्थान है जो भक्ति, पौराणिकता, इतिहास और चिकित्सा शक्ति का अद्भुत संगम है। यहां आने वाला प्रत्येक भक्त यह विश्वास लेकर आता है कि बाबा उसके सारे दुख हर लेंगे, रोग दूर करेंगे और जीवन को शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि से भर देंगे। यही कारण है कि यह धाम न केवल एक मंदिर है, बल्कि आस्था की जीवित मिसाल है। जब भी जीवन में किसी समस्या, रोग या मानसिक परेशानी का सामना हो — श्रद्धा से बाबा बैद्यनाथ का स्मरण कीजिए, और उनके चरणों में समर्पण करिए — क्योंकि वही हैं ‘वैद्य’ जो हर रोग का इलाज कर सकते हैं।

भक्ति की यात्रा जारी रखें अगला ब्लॉग यहाँ से पढ़ें:- Bhimashankar Jyotirlinga: पौराणिक कथा, महत्व, दर्शन लाभ और यात्रा मार्ग

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