कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna): भगवान श्री कृष्ण के अद्भुत रूप और उनके अर्थ

भगवान श्री कृष्ण हिंदू धर्म के अत्यंत लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं और उनकी लीलाएँ, ज्ञान और भक्ति भाव लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। भगवान कृष्ण की भक्ति में वृद्धि करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) का जाप बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।

इन नामों का स्मरण और उच्चारण करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है। हर नाम भगवान के किसी विशेष गुण या लीलाओं का प्रतीक है।

कृष्ण के 108 नामों का महत्

कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) सिर्फ़ उच्चारण के लिए नहीं हैं, बल्कि हर नाम में भगवान की विशेषता और भक्ति की ऊर्जा समाहित है। इन नामों का नियमित जाप करने से भक्तों के जीवन में निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  1. आध्यात्मिक उन्नति – नामों का जाप करने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और भक्ति भाव प्रबल होता है।
  2. मानसिक शांति – जीवन की उलझनों और तनाव से मुक्ति मिलती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा – हर नाम भगवान के दिव्य गुण को दर्शाता है, जिससे जीवन में सकारात्मकता आती है।
  4. मनोकामनाओं की पूर्ति – जन्माष्टमी और अन्य शुभ अवसरों पर इन नामों का पाठ करने से इच्छाएँ पूरी होती हैं।
108 names of krishna

कृष्ण के 108 नामों की सूची और मंत्र

नीचे भगवान श्री कृष्ण के कुछ प्रमुख नामों और उनके अर्थ दिए जा रहे हैं।

1. कृष्ण
ॐ कृष्णाय नमः।

2. कमलानाथ
ॐ कमलानाथाय नमः।

3. वासुदेव
ॐ वासुदेवाय नमः।

4. सनातन
ॐ सनातनाय नमः।

5. वसुदेवात्मज
ॐ वसुदेवात्मजाय नमः।

6. पुण्य
ॐ पुण्याय नमः।

7. लीलामानुष विग्रह
ॐ लीलामानुष विग्रहाय नमः।

8. श्रीवत्स कौस्तुभधराय
ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः।

9. यशोदावत्सल
ॐ यशोदावत्सलाय नमः।

10. हरि
ॐ हरिये नमः।

11. चतुर्भुजात्त चक्रासिगदा
ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नमः।

12. शङ्खाम्बुज आयुधाय
ॐ शङ्खाम्बुजायुधाय नमः।

13. देवकीनन्दन
ॐ देवकीनन्दनाय नमः।

14. श्रीशाय
ॐ श्रीशाय नमः।

15. नन्दगोप प्रियात्मज
ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः।

16. यमुनावेग संहार
ॐ यमुनावेगसंहारिणे नमः।

17. बलभद्र प्रियानुज
ॐ बलभद्रप्रियानुजाय नमः।

18. पूतना जीवित हर
ॐ पूतनाजीवितहराय नमः।

19. शकटासुर भञ्जन
ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः।

20. नन्दव्रज जनानन्दिन
ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः।

21. सच्चिदानन्दविग्रह
ॐ सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः।

22. नवनीत विलिप्ताङ्ग
ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः।

23. नवनीतनटन
ॐ नवनीतनटनाय नमः।

24. मुचुकुन्द प्रसादक
ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः।

25. षोडशस्त्री सहस्रेश
ॐ षोडशस्त्रीसहस्रेशाय नमः।

26. त्रिभङ्गी
ॐ त्रिभङ्गिने नमः।

27. मधुराकृत
ॐ मधुराकृतये नमः।

28. शुकवागमृताब्धीन्दवे
ॐ शुकवागमृताब्धीन्दवे नमः।

29. गोविन्द
ॐ गोविन्दाय नमः।

30. योगीपति
ॐ योगिनांपतये नमः।

31. वत्सवाट चराय
ॐ वत्सवाटचराय नमः।

32. अनन्त
ॐ अनन्ताय नमः।

33. धेनुकासुरभञ्जनाय
ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः।

34. तृणी-कृत-तृणावर्ताय
ॐ तृणीकृत तृणावर्ताय नमः।

35. यमलार्जुन भञ्जन
ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः।

36. उत्तलोत्तालभेत्रे
ॐ उत्तलोत्तालभेत्रे नमः।

37. तमाल श्यामल कृता
ॐ तमालश्यामलाकृतिये नमः।

38. गोप गोपीश्वर
ॐ गोपगोपीश्वराय नमः।

39. योगी
ॐ योगिने नमः।

40. कोटिसूर्य समप्रभा
ॐ कोटिसूर्यसमप्रभाय नमः।

41. इलापति
ॐ इलापतये नमः।

42. परंज्योतिष
ॐ परंज्योतिषे नमः।

ॐ परंज्योतिषे नमः।
43. यादवेंद्र

ॐ यादवेंद्राय नमः।

44. यदूद्वहाय
ॐ यदूद्वहाय नमः।

45. वनमालिने
ॐ वनमालिने नमः।

46. पीतवससे
ॐ पीतवसने नमः।

47. पारिजातापहारकाय
ॐ पारिजातापहारकाय नमः।

48. गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे
ॐ गोवर्थनाचलोद्धर्त्रे नमः।

49. गोपाल
ॐ गोपालाय नमः।

50. सर्वपालकाय
ॐ सर्वपालकाय नमः।

51. अजाय
ॐ अजाय नमः।

52. निरञ्जन
ॐ निरञ्जनाय नमः।

53. कामजनक
ॐ कामजनकाय नमः।

54. कञ्जलोचनाय
ॐ कञ्जलोचनाय नमः।

55. मधुघ्ने
ॐ मधुघ्ने नमः।

56. मथुरानाथ
ॐ मथुरानाथाय नमः।

57. द्वारकानायक
ॐ द्वारकानायकाय नमः।

58. बलि
ॐ बलिने नमः।

59. बृन्दावनान्त सञ्चारिणे
ॐ बृन्दावनान्त सञ्चारिणे नमः।

60. तुलसीदाम भूषनाय
ॐ तुलसीदाम भूषनाय नमः।

61. स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे
ॐ स्यमन्तकमणेर्हर्त्रे नमः।

62. नरनारयणात्मकाय
ॐ नरनारयणात्मकाय नमः।

63. कुब्जा कृष्णाम्बरधराय
ॐ कुब्जा कृष्णाम्बरधराय नमः।

64. मायिने
ॐ मायिने नमः।

65. परमपुरुष
ॐ परमपुरुषाय नमः।

66. मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय
ॐ मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय नमः।

67. संसारवैरी
ॐ संसारवैरिणे नमः।

68. कंसारिर
ॐ कंसारये नमः।

69. मुरारी
ॐ मुरारये नमः।

70. नाराकान्तक
ॐ नाराकान्तकाय नमः।

71. अनादि ब्रह्मचारिक
ॐ अनादि ब्रह्मचारिणे नमः।

72. कृष्णाव्यसन कर्शक
ॐ कृष्णाव्यसन कर्शकाय नमः।

73. शिशुपालशिरश्छेत्त
ॐ शिशुपालशिरश्छेत्रे नमः।

74. दुर्योधनकुलान्तकृत
ॐ दुर्योधनकुलान्तकाय नमः।

75. विदुराक्रूर वरद
ॐ विदुराक्रूर वरदाय नमः।

76. विश्वरूपप्रदर्शक
ॐ विश्वरूपप्रदर्शकाय नमः।

77. सत्यवाचे
ॐ सत्यवाचे नमः।

78. सत्य सङ्कल्प
ॐ सत्य सङ्कल्पाय नमः।

79. सत्यभामारता
ॐ सत्यभामारताय नमः।

80. जयी
ॐ जयिने नमः।

81. सुभद्रा पूर्वज
ॐ सुभद्रापूर्वजाय नमः।

82. विष्णु
ॐ विष्णवे नमः।

83. भीष्ममुक्ति प्रदायक
ॐ भीष्ममुक्ति प्रदायकाय

84. जगद्गुरु
ॐ जगद्गुरवे नमः।

85. जगन्नाथ
ॐ जगन्नाथाय नमः।

86. वेणुनाद विशारद
ॐ वेणुनाद विशारदाय नमः।

87. वृषभासुर विध्वंसि
ॐ वृषभासुर विध्वंसिने नमः।

88. बाणासुर करान्तकृत
ॐ बाणासुर करान्तकाय नमः।

89. युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे
ॐ युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे नमः।

90. बर्हिबर्हावतंसक
ॐ बर्हिबर्हावतंसकाय नमः।

91. पार्थसारथी
ॐ पार्थसारथये नमः।

92. अव्यक्त
ॐ अव्यक्ताय नमः।

93. गीतामृत महोदधी
ॐ गीतामृत महोदधये नमः।

94. कालीयफणिमाणिक्य रञ्जित श्रीपदाम्बुज
ॐ कालीय फणिमाणिक्य रञ्जित श्री पदाम्बुजाय नमः।

95. दामोदर
ॐ दामोदराय नमः।

96. यज्ञभोक्त
ॐ यज्ञभोक्त्रे नमः।

97. दानवेन्द्र विनाशक
ॐ दानवेन्द्र विनाशकाय नमः।

98. नारायण
ॐ नारायणाय नमः।

99. परब्रह्म
ॐ परब्रह्मणे नमः।

100. पन्नगाशन वाहन
ॐ पन्नगाशन वाहनाय नमः।

101. जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराक
ॐ जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराकाय नमः।

102. पुण्य श्लोक
ॐ पुण्य श्लोकाय नमः।

103. तीर्थकरा
ॐ तीर्थकृते नमः।

104. वेदवेद्या
ॐ वेदवेद्याय नमः।

105. दयानिधि
ॐ दयानिधये नमः।

106. सर्वभूतात्मका
ॐ सर्वभूतात्मकाय नमः।

107. सर्वग्रहरुपी
ॐ सर्वग्रह रुपिणे नमः।

108. परात्पराय
ॐ परात्पराय नमः।

और भी अनेक नाम हैं, जिन्हें पढ़कर भक्त भगवान के विभिन्न रूपों और लीलाओं को समझ सकते हैं। नियमित पाठ से भक्ति भाव और आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है।

अगर आप और भी भक्ति भरे नामों के संग्रह के लिए देखना चाहते हैं तो आप राधा रानी के 28 नाम (radha rani ke 28 naam) और श्री बांके बिहारी जी की आरती(shree baanke bihari jee kee aarti) भी पढ़ सकते हैं।

कृष्ण के 108 नामों का पाठ कैसे करे

  1. समय और स्थान – सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ स्थान पर बैठें।
  2. शुद्ध मन और ध्यान – अपने मन को शांत करें और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हों।
  3. जप विधि – प्रत्येक नाम का उच्चारण “ॐ [नाम] नमः” करें।
  4. संपूर्ण पाठ – सभी 108 नामों का ध्यानपूर्वक जप करें।
  5. संकल्प – जाप के अंत में अपने मन की इच्छाओं का संकल्प लें।

इस विधि से जाप करने से कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna)  की शक्ति और प्रभाव आपके जीवन में महसूस होगा।

कृष्ण के 108 नामों के ला

  • भक्ति में वृद्धि – भक्तों का हृदय भगवान के प्रति अधिक सच्चा और श्रद्धाभरित बनता है।
  • सकारात्मक जीवन ऊर्जा – नामों का जाप मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा देता है।
  • संपूर्ण मनोकामना पूर्ति – भगवान श्री कृष्ण की कृपा से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
  • सकारात्मक बदलाव – जीवन में कठिनाइयाँ कम होती हैं और सुख-संपत्ति बढ़ती है।

राधा ने जन्माष्टमी के दिन अपने छोटे भाई के साथ बैठकर कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) का पाठ किया। हर नाम का उच्चारण करते समय उनके हृदय में भगवान की लीलाएँ और उनकी भक्ति का भाव प्रबल होता गया। जैसे-जैसे नाम पूरे हुए, घर में एक दिव्य शांति का अनुभव हुआ। उस दिन राधा और उसके भाई ने महसूस किया कि कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) केवल स्मरण करने के लिए हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने का माध्यम भी हैं।

कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) से जुड़े सवाल (FAQs)

1. कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) क्या हैं और उनका महत्व क्या है?

उत्तर: ये नाम भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न रूपों और गुणों का प्रतीक हैं। इनका जाप भक्ति में वृद्धि, मानसिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

2. जन्माष्टमी पर कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) क्यों पढ़े जाते हैं?

उत्तर: जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव है। इस दिन इन नामों का पाठ करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और भक्ति भाव प्रबल होता है।

3. कृष्ण के 108 नामों का पाठ कैसे करें?

उत्तर: सुबह स्वच्छ स्थान पर बैठकर मन को शांत करें और प्रत्येक नाम का जाप “ॐ [नाम] नमः” करके करें। नियमित पाठ से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।

4. श्री कृष्ण के प्रमुख मंत्र कौन-कौन से हैं?

उत्तर: प्रमुख मंत्र हैं – “ॐ कृष्णाय नमः”, “ॐ वासुदेवाय नमः”, “ॐ गोपालाय नमः”। ये मंत्र भक्ति और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाते हैं।

5. कृष्ण के 108 नामों का पाठ किन अवसरों पर करना शुभ है?

उत्तर: जन्माष्टमी, गोवर्धन पूजा, तथा अन्य शुभ अवसरों पर इस पाठ को करना लाभकारी माना गया है।

कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) के ब्लॉग का निष्कर्ष

भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में वृद्धि और जीवन में सुख-शांति लाने का सबसे सरल तरीका है कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) का पाठ। नियमित रूप से कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) का जाप करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। जन्माष्टमी और अन्य शुभ अवसरों पर इन नामों का स्मरण आपके जीवन में खुशियाँ और समृद्धि लाता है। इसलिए, अपने हृदय में भक्ति जागृत करें और आज ही कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) का पाठ शुरू करें। अंततः, कृष्ण के 108 नाम (108 names of krishna) का स्मरण और जप आपकी आध्यात्मिक यात्रा को और अधिक सार्थक बनाता है।

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